करोड़ों की योजना से बदलेगी किसानों की आर्थिकी

2 Jan 2019
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कृषि
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किसानों की आय दोगुनी करने के लिये सरकार नए साल से आइएमए विलेज, क्लस्टर आधारित खेती, औद्यानिक विकास परियोजना, परम्परागत कृषि उत्पादों की मार्केटिंग समेत 700 करोड़ रुपए की कृषि एवं बागवानी परियोजनाओं को लागू करेगी। इन योजनाओं के माध्यम से फसलों का उत्पादन बढ़ाकर किसानों की आय को बढ़ाया जाएगा।

केन्द्र सरकार विश्व बैंक पोषित 700 करोड़ रुपए की एकीकृत बागवानी मिशन विकास परियोजना को अपनी सैद्धान्तिक सहमति दे चुकी है। परियोजना की डीपीआर में फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम, मौन पालन, जड़ी-बूटी, सगन्ध पादप (ऐरोमैटिक), चाय उत्पादन के अलावा आधारभूत सुविधाओं के विकास, आधुनिक तकनीक के लिये किसानों को प्रशिक्षण आदि को शामिल किया गया। पहले चरण में इस परियोजना को चार पर्वतीय जिलों से शुरू किया जाएगा।

हालांकि अभी तक सरकार ने इन जिलों का चयन नहीं किया है, लेकिन यह तय है कि जिन क्षेत्रों में फल उत्पादन की ज्यादा सम्भावना है। उन जिलों में परियोजना को उद्यान विभाग पहले योजना शुरू करने की तैयारी कर रहा है। सेब, अखरोट, माल्टा, कीवी अन्य फलों के अनुसार ही क्लस्टर विकसित किये जाएँगे। इसके साथ ही 1500 करोड़ रुपए की ऑर्गेनिक खेती योजना, एकीकृत आदर्श कृषि गाँव (आईएमए विलेज), परम्परागत कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, मार्केटिंग के लिये रिवाल्विंग फंड समेत अन्य योजना को सरकार नए साल से शुरू करेगी। सरकार का मानना है कि इन योजनाओं से प्रदेश में फल व कृषि फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। उत्पादन बढ़ने से किसानों की आय भी बढ़ेगी।

किसानों की आय बढ़ाने पर सरकार का फोकस है। कृषि व बागवानी को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं। केन्द्र से 700 करोड़ रुपए की औद्यानिक विकास परियोजना को मंजूरी मिल गई है। वहीं, 1500 करोड़ रुपए से प्रदेश में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है -सुबोध उनियाल मंत्री, कृषि एवं उद्यान विभाग

 

 

 

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