कृत्रिम बांध की बजाय पूरे हिमालय को प्राकृतिक बांध बनाया जाएः बहुगुणा

नई दिल्ली, (भाषा)। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान वृद्धि को पेजयल संकट का प्रमुख कारण बताते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दर लाल बहुगुणा ने कहा कि हिमालय पर कृत्रिम बांध बनाने की बजाए पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक बांध के रूप में विकास किया जाए।

हिमालय दिवस पर `भाषा' से बातचीत में बहुगुणा ने कहा, हिमालय पर कृत्रिम बांध बनाने की बजाए पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक बांध के रूप में विकास किया जाना चाहिए, इस मामले में भूटान का उदाहरण हमारे सामने है। भूटान में बड़े पैमाने पर पनबिजली का उत्पादन हो रहा है लेकिन जल एवं वन संसाधनों के साथ पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अंग्रेज व्यापारियों ने हिमालयी क्षेत्र में चीड़, फर, स्प्रूस जैसे शंकु वृक्ष (कोनिफर) लगा दिये। इन वृक्षों में न तो पानी रोकने की क्षमता है और न ही मिट्टी बांधने की।

चिपको आंदोलन के सूत्रधार बहुगुणा ने कहा कि इन वृक्षों के स्थान पर बादाम, अखरोट जैसे मेवों के वृक्ष लगाये जाने चाहिए। बहगुणा ने कुछ समय लोकसभा अध्यक्ष और सांसदों को एक पत्र लिखकर उनसे पर्यावरण संरक्षण को विशेष तवज्जो दिये जाने का आग्रह किया था।

उन्होंने सांसदों से पर्यावरण संरक्षण को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में लिए जाने की मांग की थी। बहुगुणा ने कहा, पर्यावरण के विषय पर जब तक जनप्रतिनिधि और नीति निर्धारक आगे आकर दृढ इच्छा शक्ति नहीं दिखायेंगे तब तक इस दिशा में सकारात्मक प्रगति नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को बलपूर्वक प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं करना चाहिए क्योंकि राजनैतिक सत्ता का सिद्धांत इच्छा शक्ति है, बलप्रयोग नहीं।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading