खारा पानी, भूगर्भ जल समस्या करें दूर

‘खेत का पानी खेत, गांव का पानी गांव’ का सिद्धांत अपनाएं किसान

‘खेत का पानी खेत और गांव का पानी गांव’ का सिद्धांत अपनायें। इससे जलस्तर बढ़ेगा और पानी की समस्या में सुधार होगा। किसान खेत की मेड़ मजबूत करें। चेक डैम बनें। पानी रोक कर जल को जमीन में डालें जिससे खारा पानी मीठा होगा।-इं. गिर्राज प्रसाद वशिष्ठ कृषि विशेषज्ञ

खारा पानी और नीचे गिरते जलस्तर की समस्या से मथुरा त्रस्त है। आगरा भी इससे परेशान है। समस्या के हल को अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किये गये हैं। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों के सुझाव पर ध्यान दिया जाए। यह बात अवकाश प्राप्त भूमि संरक्षण अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ इं. गिर्राज प्रसाद वशिष्ठ ने कही।

उन्होंने कहा कि ‘खेत का पानी खेत और गांव का पानी गांव’ का सिद्धांत अपनाया जाए। इस सिद्धांत को किसान अपने व्यवहार में लायें। इससे जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ खारे पानी की समस्या में सुधार होगा। इसके लिए खेतों में मेड़ को मजबूत बनाने तथा आवश्यकता अनुसार चेक डैम बनाकर पानी को रोक कर जल को जमीन में जाने से जलस्तर बढ़ेगा। धीरे-धीरे खारा पानी भी मीठा होगा। वाटर हाव्रेस्टिंग के अंतर्गत पानी को जमीन में रिचार्ज करने की योजना बनाई जाये जहाँ वर्षा का पानी काफी मात्रा में इकट्ठा होता है। बोरिंग कराकर वर्षा के पानी को बोरिंग के माध्यम से जमीन से पहुंचाया जाये। इस तरह से जलस्तर बढ़ेगा। सरकार को इस तरह की योजना लागू की जानी चाहिए।

प्रत्येक मकान बनाने वाले को यह आवश्यक कर दिया जाये कि वर्षा के दिनों में उसकी छत का पानी बोरिंग करकर जमीन के अंदर पहुंचाएं। नहरों का बचा हुआ पानी नदी, नालों में न डाल कर वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा जमीन के अंदर पहुंचाया जाए। कुण्डों और तालाबों को वर्षा के जल से भर दिया जाये तो जलस्तर बढ़ेगा। खारे पानी में भी सुधार होगा। वरिष्ठ का कहना है कि जहाँ खारा पानी अधिक मात्रा में है वहां बड़े-बड़े आरओ लगाकर पानी की समस्या दूर की जाये। कहीं-कहीं मीठा पानी भी मिल जाता है। वहाँ बोरिंग कराकर पाइप लाइन डालकर दूर-दराज के क्षेत्रों तक फसल की प्रथम सिंचाई के लिए एवं पानी पीने की समस्या के लिए योजना बनाई जानी चाहिए।

40 से 100 फुट नीचे पहुँचा भूजल


भू-जल स्तर 40 फुट से लेकर 100 फुट नीचे जा चुका है। नौहझील, फरह, राया और बलदेव विकास खंड डार्क क्षेत्र घोषित हैं। यहां विद्युत ट्यूबैल लगाने की स्वीकृति एवं बोरिंग आदि में शासन द्वारा प्रदत्त सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा। वर्ष 2014-15 में जनपद के 891 गाँवों में से 854 गाँव के 3.76 लाख किसान सूखे से प्रभावित हैं। 27306 हेक्टेयर भूमि सूखा से प्रभावित हुई है।

जतीपुरा में सफल रहा प्रयोग


जतीपुरा के किसान करन सिंह बघेल द्वारा पानी का बहुत बड़ा प्लांट लगाया गया है। उसके अच्छे परिणाम आये हैं। इस तरह के प्लांट शासन द्वारा लगाये जाने चाहिए तथा इस तरह के लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस प्लांट में वर्षा का पानी कुओं में उडेला जाता है। वह पानी मीठा हो जाता है और पीने योग्य बनता है।

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