खनन व उद्योगों ने बढ़ाया प्रदूषण

राज्य विपुल खनिज संपदा सहित जमीन व पानी की उपलब्धता सहित तमाम सुविधाओं के कारण बड़े उद्योग समूह का पसंदीदा स्थान बन रहा है। लिहाजा, चाहे टाटा, एस्सार, जेएसपीएल, एनएमडीएस स्टील हों या ग्रासिम, लाफार्ज, अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट, सभी के कारखाने छत्तीसगढ़ में हैं। राज्य में 50 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्रों के लिए एमओयू किए जा चुके हैं।

छत्तीसगढ़ में खनिजों के अवैध खनन और एक ही स्थान पर अत्यधिक उद्योगों की स्थापना के कारण वायु व जल प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। इससे पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ता जा रहा है। खनन के बाद खदानों को खुला छोड़ दिया जाता है और वहां पौधरोपण भी नहीं किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में बड़ी तादाद में लौह अयस्क व कोयला खदानें हैं। इनमें से अधिकांश खदानें वन क्षेत्रों में हैं। खनिजों को निकालने के लिए पेड़ों की कटाई जरूरी है। वहीं नदियों के किनारे भी अवैध खनन हो रहा है। पूरे प्रदेश में साल भर में सड़क चौड़ीकरण समेत विभिन्न कारणों से 25 हजार से अधिक पेड़ काटने की सरकारी अनुमति दी गई है। इसके अलावा प्रदेश में स्पंज आयरन, सीमेंट उद्योग और हजारों मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र लगाए जा रहे हैं।

उद्योगों से निकलने वाले काले धुएं और दूषित पानी से आसपास का पर्यावास दूषित हो चुका है। हालांकि प्रदूषण रोकने लिए उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण यंत्र (ईएसपी) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा भी उद्योगों की लगातार निगरानी व मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ नया राज्य होने के कारण सभी इलाकों में काफी संख्या में निर्माण और विकास कार्य चल रहे हैं। राजधानी रायपुर में भी लोग धूल व काले धुएं से परेशान हैं। यहां वायु में मानक से अधिक धूल के कण पाए गए हैं, जिसे विशेषज्ञों ने लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक बताया है। सड़कों के चौड़ीकरण के लिए भी हजारों की संख्या में पेड काटे गए हैं। राजधानी रायपुर में ही करीब पांच हजार से अधिक पेड़ कट चुके हैं।

कुछ मार्गों में तो हरियाली भी गायब हो गई है। प्रदेश में हरियर छत्तीसगढ़ के महाअभियान के तहत परती भूमि और सड़कों के किनारे पौधरोपण किया जा रहा है। इस साल साढ़े सात करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। बीते दो साल में करीब 12 करोड़ से अधिक पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है। उद्योग समूहों को भी पौधरोपण और उसकी देखभाल करने का जिम्मा सौंपा गया है। इसके बावजूद देखभाल की कमी के कारण लगाए गए पौधे बहुत संख्या में जीवित बच पाए हैं। छत्तीसगढ़ में कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से आच्छादित है, जबकि देश के कुल खनिज उत्पादन का 16 प्रतिशत उत्पादन छत्तीसगढ़ में हो रहा है। यहां देश का 20 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार है। वहीं देश के कुल कोयला भंडार का 17 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में है।

राज्य विपुल खनिज संपदा सहित जमीन व पानी की उपलब्धता सहित तमाम सुविधाओं के कारण बड़े उद्योग समूह का पसंदीदा स्थान बन रहा है। लिहाजा, चाहे टाटा, एस्सार, जेएसपीएल, एनएमडीएस स्टील हों या ग्रासिम, लाफार्ज, अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट, सभी के कारखाने छत्तीसगढ़ में हैं। राज्य में 50 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्रों के लिए एमओयू किए जा चुके हैं। पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव एन. बैजेंद्र कुमार का कहना है कि प्रदूषण अकेले कोई विभाग नहीं रोक सकता। इसके लिए सभी पक्षों, संबंधित विभागों व एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। पिछले कुछ सालों में काफी हद तक प्रदूषण को नियंत्रित किया गया है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कई कड़े कदम उठाए गए हैं और लगातार इस दिशा में प्रयास जा रहा हैं।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading