लगातार चर्चा कर लोगों को जगाया और गांव बदल गया: छवि राजावत

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खाका खींचा, कैसी होगी आजादी के सौ साल पूरे होने पर भारत की तस्वीर


स्थाई शहरी विकास पर जोर देते हुए जीके भट्ट ने नगरीय विकास के लिए बेहतर व्यवस्था को लाने की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि सूरत में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या से लोगों को मुक्ति केवल कुशल व्यवस्था कर दिलाई गई। उन्होंने भविष्य के विकास के लिए इस बात पर जोर दिया कि विकासशील होती तकनीक और व्यवस्था और संगठनों के निर्माण पर केंद्रित होना चाहिए।अगले 23 साल बाद भारत की आजादी के सौ साल पूरे हो जाएंगे। तब तक भारत तरक्की के किस मुहाने पर पहुंचेगा और बेहतर भारत के लिए क्या तैयारियां की जा रही हैं। इन सब के मद्देनजर गुरुवार की शाम को ‘डवलपमेंट अल्टरनेटिव्स’ की ओर से ‘दीर्घकायी भविष्य के निर्माण: बदलाव, जिसकी हमें जरूरत है’ पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए कामयाब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार और अनुभवों के साथ भविष्य के लिए रोडमैप को पेश किया।

आर्थिक विकास, सामाजिक सशक्तीकरण और पर्यावरण प्रबंध आदि कार्यों के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करने वाली संस्था डवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के ट्रायलोग 2047 श्रृंखला के तहत आयोजित इस संगोष्ठी में वक्ताओं में रंग दे, बंगलोर के चैतन्य नंदकरनी, चिंतन, नई दिल्ली क अध्यक्ष भारती चतुर्वदी, जयपुर के सोडा गांव की बहुचर्चित सरपंच छवि राजावत, कल्याण अकीपेद्दी (आंध्र प्रदेश) के संस्थापक जीके भट्ट और तारू की कीर्ति नागरथ शामिल थीं। इन वक्ताओं ने संपूर्ण ग्रामीण विकास, शहरी कचरा प्रबंधन माइक्रो फाइनेंस, निम्न कार्बन और सहभागी अभिशासन जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे। ट्रायलोग 2047 का लक्ष्य एक ऐसा मंच मुहैया कराना है जिससे उन नई दिशाओं की पहचान हो सके, जिसमें भारत को आगे बढ़ना चाहिए और उन उपायों का भी पता लगे, जिनसे एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सके। चर्चा में विजय प्रताप, रंभा त्रिपाठी और नरेंद्र यादव सहित समाज सेवा के विद्यार्थी और समाजकर्मी भी मौजूद थे।

इस मौके पर राजस्थान के सोडा गांव की सरपंच छवि राजावत ने अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने ग्रामीणों से संवाद किया फिर उनमें स्वामित्व की भावना जगाई। फिर श्रमदान के मुद्दे पर लोग एकजुट हुए और विकास के कार्यों को अंजाम दिया। इस तरह उनका गांव बदल गया। कल्याण अकीपेद्दी के जीके भट्ट ने अपने लक्षित गांवों में आश्चर्यजनक तरीके से आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने जब अपना काम शुरू किया तो पहले गरीबी को समझने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अभी तक गरीबी हटाने के तरीके अधारहीन होते रहे हैं। हमने गरीबी हटाने के अपने तरीके खोजे। इसी तरह गरीबों को छोटे स्तर पर कर्ज दे कर कई गांवों की हालत बदलने में कामयाब हुई संस्था रंग दे के अध्यक्ष चैतन्य नंदकरनी ने बताया कि हमारी कोशिश रही कि लोग कर्ज को सामाजिक निवेश के रूप में देखे। उनकी कोशिश कामयाब हुई और हजारों लोगों की जिंदगी बदल गई।

स्थाई शहरी विकास पर जोर देते हुए जीके भट्ट ने नगरीय विकास के लिए बेहतर व्यवस्था को लाने की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि सूरत में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या से लोगों को मुक्ति केवल कुशल व्यवस्था कर दिलाई गई। उन्होंने भविष्य के विकास के लिए इस बात पर जोर दिया कि विकासशील होती तकनीक और व्यवस्था और संगठनों के निर्माण पर केंद्रित होना चाहिए। डवलपमेंट अल्टरनेटिव्स की कीर्ति नागरथ ने बताया कि भारत में खरीदने योग्य घर बनाने की बहुत ज्यादा जरूरत क्यों है और कैसे डवलपमेंट अल्टरनेटिव्स इस दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में 215 मिलियन लोगों से भी ज्यादा लोग उचित घर के बिना रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर की हालत ऐसी नहीं है कि वे अपने लिए एक घर बना सके पर उन्हें मदद की जा रही है।

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