मध्य प्रदेश में शुरू हुआ जलाभियान

26 Mar 2013
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देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं। भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। वाटर एड की ममता दास की यह टिप्पणी है कि अभियान की अगुवाई प्रभावित लोगों को ही करना है, जिसमें सिविल सोसायटी के लोग सहयोग करेंगे।जल अधिकार को लेकर मध्य प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा स्वैच्छिक संस्थाओं ने हाथ मिला लिया है और उन्होंने प्रदेश में जलाभियान शुरू कर दिया है। कई जिलों के सुदूर अंचलों से आए वंचित तबक़ों की उपस्थिति में भोपाल में आयोजित एक रैली के बाद अभियान की शुरुआत की गई। प्रदेश के कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होकर अभियान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से पानी ज्यादा प्रदूषित हुआ है। लोगों को अपनी आदतों में सुधार लाना होगा एवं पानी के दोहन को रोकना होगा, तभी हम जल बचा पाएंगे। सरकार ने पानी बचने के लिए कई योजनाएं बनाई है। जरूरत है कि हम सबको आरोप-प्रत्यारोप से परे होकर मिलजुलकर काम करने की।

जलाभियान, मध्य प्रदेश के संयोजक एवं एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रनसिंह परमार ने मध्य प्रदेश के संदर्भ में जल और स्वच्छता से जुड़े आंकड़ों को बताते हैं, ‘‘मध्य प्रदेश के 86.42 फीसदी ग्रामीण आबादी खुले में शौच करती है यानी सिर्फ 13.6 फीसदी ग्रामीण आबादी ही शौचालय का उपयोग कर पाती है। मध्य प्रदेश की आधी आबादी को तय मानक तक पानी उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसे में लोगों को जागरूक करने एवं सरकार को इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा है।’’ अभियान को लेकर मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अजय मेहता ने कहा कि जलाभियान एवं स्वच्छता की बात की जाए, तो यह धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्य है। देश को विकसित बनाने के लिए जल एवं स्वच्छता को आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा। रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि स्वच्छता के अभाव एवं खेतों में रसायन के उपयोग से जलस्रोत एवं नदियां प्रदूषित हो रही हैं।

भूजल के दोहन से पानी खत्म हो रहा है। हमें इसे रोकना होगा। वाटर एड की ममता दास की यह टिप्पणी है कि अभियान की अगुवाई प्रभावित लोगों को ही करना है, जिसमें सिविल सोसायटी के लोग सहयोग करेंगे। श्योपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष गुड्डी बाई ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि पानी हमारा मूलभूत अधिकार है एवं आदिवासी समाज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं करते, बल्कि जरूरत के मुताबिक उपयोग करते हैं। कल्पतरू, गुना के अजय शुक्ला ने कार्यक्रम का संचालन एवं आभार व्यक्त किया। विभिन्न स्वैच्छिक संस्थाओं ने प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखकर अभियान के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। अभियान की ओर से 11 जिलों के 11 आदिवासियों को अभियान का झंडा दिया गया। वे अपने क्षेत्र में सक्रियता से अभियान को चलाएंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रदूषित पानी एवं स्वच्छता के अभाव में देश के हजारों बच्चे की जान हर साल चली जाती है। लाखों महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर रहती हैं जहां छेड़छाड़ या बलात्कार जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। सिर्फ 12 फीसदी महिलाओं एवं लड़कियों का ही सेनेटरी नैपकिन तक पहुंच है। माहवारी शुरू होते ही 23 फीसदी भारतीय बालिकाएं शाला त्याग देती हैं। देश में अभी भी 794390 शुष्क शौचालय हैं, जहां से शौच की सफाई हाथों से होती है।



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