महिला ग्राम प्रधान ने कायम की मिसाल

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स्वच्छ पेयजल
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की ग्राम पंचायत आमा टिनिच विकासखंड सल्टोआ के अति पिछड़े ग्राम पंचायतों में जाना जाता था लेकिन एक जागरूक महिला ग्राम प्रधान की पहल ने मात्र दो वर्षों में ही इस ग्राम पंचायत के ऊपर लगे पिछड़ेपन के दाग को हटाकर अति विकसित ग्राम पंचायत की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। लगभग 5000 की जनसंख्या व पांच राजस्व गांवों में क्रमशः आमा, कोड़री, वैदोलिया, इमलिया व डिंगरभरिया वाली इस ग्राम पंचायत के विकास का सारा श्रेय जाता है यहां की वर्तमान ग्राम प्रधान श्रीमती सुमन सिंह को।

आमा टिनिच ग्राम पंचायत की वर्तमान ग्राम प्रधान श्रीमती सुमन सिंह जब इस गांव में ब्याह कर आयी तो इस गांव का पिछड़ापन देख उनका मन दुःखी हो गया। एम.ए., बी.एड. तक की पढ़ाई कर चुकी सुमन सिंह अध्यापन के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहती थी लेकिन उन्होंने गांव के पिछड़ेपन को आमा टिनिच ग्राम पंचायत की वर्तमान ग्राम प्रधान सुमन सिंह अध्यापन के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहती थी लेकिन उन्होंने गांव के पिछड़ेपन को देखते हुए अपने परिवार व पति के सामने गांव के विकास में भागीदारी निभाने का प्रस्ताव रखा जिसको उनके परिवार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। फिर क्या था श्रीमती सुमन सिंह की सोच को जैसे पंख लग गए और उन्होंने 2010 में हुए पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ा। जब गांव के लोगों ने एक पढ़ी-लिखी ढृढ़ संकल्पित महिला को अगुवाई करते देखा उन्हें भी गांव के विकास की उम्मीद की किरण दिखलायी दी जिससे वह भारी मतों से विजयी होकर ग्राम प्रधान पद पर निर्वाचित हुई।

श्रीमती सुमन सिंह के ग्राम प्रधान पंचायत के मुखिया का पद संभालते ही गांव के विकास का मुद्दा उनके लिए चुनौती के रूप में खड़ा था। उन्होंने इसे बड़ी सहजता से लिया और ग्राम पंचायत के 13 वार्ड सदस्यों व ग्राम पंचायत सेक्रेटरी जितेन्द्र सिंह की पहली बैठक बुलाकर गांव के विकास की रूपरेखा तैयार की जिसमें, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सहित बुनियादी सुविधाओं पर खासा जोर दिया गया। फिर क्या था इन्होंने ग्राम पंचायत के कार्यों में सहायता के लिए जरूरी 6 समितियों का गठन किया जिसमें नियोजन एवं विकास समिति, शिक्षा समिति, निर्माण कार्य समिति, स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति, प्रशासनिक समिति व जल प्रबंधन समितियों का गठन कर उनके हिस्से की जिम्मेदारियों का बंटवारा किया। उन्होंने इन समितियों में सभी वर्ग विशेष को ध्यान में रखकर महिला, अनु. जाति, अनु. जनजाति, पिछड़ी जातियों की भी भागीदारी सुनिश्चित की है।

सुमन सिंह ने सबसे पहले गांव की बुनियादी सुविधाओं और जरूरतों को ध्यान में रखकर गांव की खुली बैठक बुलाई जिसमें सर्वसम्मति से उन्होंने लाभार्थियों का चयन किया। जहां गांव में किसी भी जरूरतमंद को पेंशन सुविधा नहीं प्राप्त थी उनके पहले प्रयास ने ही ग्राम पंचायत की 15 विकलांग पेंशन, 80 वृद्धा पेंशन व 53 विधवा पेंशन की सुविधा दिलवायी। खुली बैठक में ही लक्ष्मीबाई पेंशन योजना में 11 लोगों को सुविधा दिलायी गई। इसके अलावा 15 अति निर्धन लोगों को इंदिरा आवास का लाभ दिलवाया। श्रीमती सुमन सिंह ने राममनोहर लोहिया आवास योजना में भी 65 अति निर्धन लोगों के लिए सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया है।

पेयजल व स्वास्थ्य


श्रीमती सुमन सिंह के प्रधान बनने से पहले गांव की जनता संक्रमित पानी पीने को मजबूर थी लेकिन इन्होंने जल प्रबंधन समिति के माध्यम से गांव वालों को शुद्ध जल मुहैया कराने का प्रयास किया और जिले के सम्बन्धित अधिकारियों को प्रस्ताव भेजकर गांव में पाइपलाइन बिछवाकर सभी घरों में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराया। साथ ही पूरी ग्राम पंचायत में 40 इंडिया मार्का हैण्डपम्प सम्बन्धित विभाग व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से लगवाए। आज पूरे गांव के लोग स्वच्छ पेयजल का प्रयोग कर रहे हैं।

स्वच्छ पेयजलस्वच्छ पेयजलइसी के साथ ग्राम पंचायत की स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से अधिक दूरी भी एक समस्या बनी थी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग व जिला अधिकारी को प्रस्ताव भेजकर गांव में ही बंद पड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व ए.एन.एम. केन्द्र को चालू करवाया। आज उनके यहां दूरदराज व आसपास के लोग स्वास्थ्य लाभ लेने आते हैं। इस स्वास्थ्य केन्द्र पर 24 घण्टे डाक्टर व ए.एन.एम. उपस्थित रहते हैं जिससे दवा इलाज के अभाव में किसी भी गांव वाले की जान नहीं जाने पाती है। उन्होंने गांव के स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, टीकाकरण इत्यादि की जिम्मेदारी स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत गठित ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति को दे रखी है जो पूरी जिम्मेदारी से इस काम की निर्वाह करती है।

सौर ऊर्जा से जगमगाया पूरा गांव


गांव के मुखिया का पद संभालने के बाद सुमन सिंह ने गांव का कायाकल्प करना शुरू कर दिया था लेकिन गांव के विकास में बिजली कटौती की समस्या आड़े आ रही थी। समय से बिजली सप्लाई न मिलने की वजह से गांव के बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत होने के साथ ही गांव के लोग ढिबरी की रोशनी में भोजन पकाने को मजबूर थे। उन्होंने रोशनी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के लिए जिले के नेडा विभाग से सम्पर्क कर गांव में प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रस्ताव रखा। नेडा विभाग के अधिकारियों ने ग्राम प्रधान सुमन सिंह की बात को गम्भीरता से और नेडा विभाग ने भारत सरकार के सहयोग से उनके गांव में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की कवायद शुरू कर दी। अक्टूबर 2012 में ग्राम पंचायत में 5 सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर कुल 200 परिवारों को सौर ऊर्जा के प्रकाश से जगमग कर दिया। इस प्लांट के द्वारा हर परिवार में 2 बल्ब और एक मोबाईल चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा दी गई है। इसके लिए हर कनेक्शनधारक से मात्र 150 रुपये प्रति माह नेडा विभाग लेता है जो प्लांट की देखरेख व गांव के विकास के लिए खर्च किया जाता है। श्रीमती सुमन सिंह की इस पहल ने गांव की अंधेरे की समस्या को दूर कर बिजली की समस्या का समाधान किया। साथ ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए शाम 6 से रात 10 बजे व सुबह 4 बजे से 6 बजे तक निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की है। आज जहां आसपास के गांव बिजली कटौती की वजह से अंधेरे में डूबे रहते हैं वहीं यह गांव सौर ऊर्जा के प्रकाश से जगमगाता रहता है।

शिक्षा की व्यवस्था बनी चाक चौबंद


आमा टिनिच ग्राम पंचायत में एक प्राथमिक विद्यालय व एक जूनियर विद्यालय है। यहां पर अध्यापक समय से नहीं आते थे और न ही बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता था। उन्होंने सर्वप्रथम स्वयं घर-घर भ्रमण कर स्कूल बाहर बच्चों को चिन्ह्ति किया फिर ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से अध्यापकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा की दशा को सुधारने के लिए निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार कानून का विस्तृत अध्ययन कर अभिभावकों की अगुवाई में विद्यालय प्रबंध समिति का गठन कर उन्हीं की देखरेख में बच्चों की शिक्षा, गुणवत्ता का मूल्यांकन, अनुश्रवण सुनिश्चित किया हुआ है। यहां पर अध्यापकों द्वारा बच्चों को भय, दण्ड मुक्त व सीख आधारित शिक्षा प्रदान की जा रही है। स्कूल प्रबंधन समिति अपनी देखरेख में मिड डे मील का संचालन करवाती है। स्कूल में सभी बच्चों को समान अवसर प्राप्त हैं।

गांव में छोटे बच्चों के लिए दो आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं और दो नए आंगनबाड़ी केन्द्रों का प्रस्ताव सम्बन्धित विभाग को भेजा है। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों को खेल-खेल में मानसिक व शारीरिक विकास का अवसर दिया जा रहा है। यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरोज यादव व मीरा बच्चों के साथ मिलकर उन्हें सीखने का अवसर प्रदान कर रही हैं। साथ ही आंगनबाड़ी सेन्टर द्वारा गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चों को नियमित रूप से पोषक तत्वों से भरपूर पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। गांव की लड़कियों के लिए गांव में ही प्राइवेट इंटर कालेज खुलवा कर उन्होंने पूरे गांव की शिक्षा की दिशा में मोड़ दिया है।

गांव से पलायन पर लगायी रोक


ग्राम प्रधान सुमन सिंह ने गांव के लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रयास करना शुरू किया क्योंकि ज्यादातर लोग रोजगार के अभाव में बड़े शहरों में पलायन करते जा रहे थे। उन्होंने गांव के 250 परिवारों को मनरेगा जैसी भारत सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना से जोड़कर 100 दिनों के रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया है। यहां पर मनरेगा योजना के अन्तर्गत बना हुआ आदर्श जलाशय पूरे बस्ती मण्डल का सबसे मॉडल जलाशय है। इसके अलावा उन्होंने गांव की महिलाओं को स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना से जोड़कर 76 परिवारों को पशुपालन, दुकान, इत्यादि के माध्यम से रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया है।

ग्राम पंचायत में बुनियादी सुविधाओं की लगायी भरमार


श्रीमती सुमन सिंह ने महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या खुले में शौच पर रोक लगाने की दशा में बड़ा प्रयास किया। इसके अलावा उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को शौचालय के महत्व से अवगत कराया। उनके समझाने के फलस्वरूप गांव में 256 शौचालय का निर्माण लोगों ने अपने स्रोतों से करवा कर दूसरी ग्राम पंचायतों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। सुमन सिंह ने गांव के 500 जरूरतमंद परिवारों के लिए निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत शौचालय निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

उन्होंने गांव की सभी जरूरी सुविधाओं का ख्याल रखा है। मात्र 2 वर्षों के कार्यकाल में गांव की सभी सड़कों को खडंजा, सीसी. रोड व कंक्रीट से आच्छादित कर दिया है। किसानों को 50 निःशुल्क बोरिंग की सुविधा उपलब्ध करायी है। गांव में ही किसानों की खाद, बीज व तकनीकी जानकारी के लिए बन्द पड़ी सहकारी समिति को चालू कराया है। वह स्वयं पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन कर व विशेषज्ञों को गांव में बुलाकर किसानों को आधुनिक तकनीकी से रूबरू करवाती हैं। आज उनके गांव में कृषि वैज्ञानिक किसानों के खेत में जानकारी का आदान-प्रदान करने आते हैं। गांव के किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए मंडी भाव की जानकारी देने का काम कर रही हैं।

गांव के विकास में सूचना संचार क्रान्ति का प्रयोग


श्रीमती सुमन सिंह एक उच्च शिक्षित महिला ग्राम प्रधान हैं। वह अपनी पढ़ाई का उपयोग गांव के विकास के लिए खूब करती हैं। उन्होंने गांव को तेज गति के ब्राडबैण्ड इन्टरनेट सेवा से आच्छादित कर रखा है। उनके यहां सभी अभिलेख कम्प्यूटरीकृत हैं। वह सूचना के अधिकार के प्रयोग का मौका ही नहीं देती क्योंकि सभी जरूरी सूचनाएं उन्होंने दीवार पर अंकित करवा रखी हैं। इसके अलावा कभी भी कोई गांव से सम्बन्धित कोई सूचना कम्प्यूटर में अवलोकित या प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट सुविधा का उपयोग गांव के विकास व सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए खूब करती हैं। वह सभी सरकारी योजनाओं, कानून, इत्यादि की सही जानकारी ग्राम पंचायत के लोगों को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराती हैं। उनके गांव के प्रत्येक परिवार को 1 से 2 मोबाइल कनेक्शन उपलब्ध हैं जिसका नम्बर वह ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट में अंकित करके रखे हुए हैं। उन्होंने 24 प्रकार के अभिलेखों को कम्प्यूटरीकृत कर रखा है। इस काम में ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम रोजगार सेवक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं को आगे आने के लिए करती हैं प्रेरित


सुमन सिंह स्वयं अपना उदाहरण देते हुए गांव की महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करती हैं। वह महिलाओं के लिए कम्प्यूटर, सिलाई-कढ़ाई, आचार, मुरब्बा, निजी व्यवसाय से जोड़ने के लिए समय-समय पर विभिन्न विभागों से प्रशिक्षित करवाती रहती हैं। साथ ही गांव की महिलाओं को आत्मरक्षा के उपाय भी बताती हैं।

श्रीमती सुमन सिंह ने 2 वर्ष से कम समय में ही आमा टिनिच ग्राम पंचायत के मुखिया के रूप में पूरे जिले के ग्राम प्रधानों के लिए मिसाल पेश की है। वह परिवार के पुरुष सदस्यों का सहयोग लिए बिना ही अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हैं। वह स्वयं सभी बैठकों में शामिल होती हैं। घर में सास, बच्चों, पति की जिम्मेदारियों को निभाते हुए ग्राम पंचायत की 5000 की जनसंख्या की जिम्मेदारी भी वह बड़ी सहजता से निर्वहन कर रही हैं। उन्होंने एक पिछड़े गांव को मात्र 2 वर्षों से कम समय में अति विकसित श्रेणी में शामिल कर यह साबित कर दिया है कि कोई भी काम कठिन नही है। बस उसके लिए संकल्प और काम करने की जरूरत है। ऐसी ग्राम प्रधान के जज्बे को सलाम।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
ई-मेल: brihaspati_kumar@rediffmail.com

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