मल-व्यवस्था (भाग 2)

28 May 2010
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गोपुरी-पाखाना


गोपुरी-पाखाने का आरंभ श्री अप्पासाहब पटवर्धन ने किया है, जो गांधीजी के साथियों में से महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध सेवक हैं। उनके आश्रम का नाम गोपुरी है। वहाँ यह पाखाना पहले-पहल शुरू हुआ। इसलिए इसका नाम गोपुरी-पाखाना पड़ा है। इसमें बाद में कई सुधार श्रीकृष्ण-दास शाह ने किये हैं। “सफाई” श्री शाह का मिशन है। कई सालों से अखिल भारतीय सर्वोदय-सम्मेलन की सफाई-व्यवस्था वे ही सँभालते हैं। वे बंबई-सरकार के सफाई-सलाहकार हैं और उस नाते बंबई प्रांत में कई स्थानों पर उन्होंने सफाई का सफल प्रचार किया है। सभी जगह उन्होंने गोपुरी-पाखाने को आजमाया है।

गोपुरी-पाखाने के कई प्रकार हैं। उसमें से कौटुंबिक गोपुरी-पाखाने का वर्णन यहाँ किया जाता है। घर के आहाते में या उसके पास ही 7.75 फुट x 6.25 फुट की जगह में यदि वहाँ सख्त जमीन हो, तो 1 फुट गहराई तक और नरम हो, तो 1.50 फुट या 2-2.5 फुट तक खोदा जाय। जमीन बिलकुल पथरीली हो, तो .50 फुट गहराई काफी है। जगह चुनते समय यह ध्यान रखा जाय कि वह ऐसी न हो कि बारिश के दिनों में वहाँ पानी भर जाता हो। खोदने के बाद ऊपर .50 फुट बाकी रहे, इस तरह उसमें छोटे-छोटे पत्थर या ईंटों के टुकड़े भरकर, उस पर मुरुम फैलाकर, पानी छिड़ककर, अच्छी तरह धुम्मस करके फर्श तैयार किया जाय। यदि जमीन सख्त हो या ठीक-ठीक ऊँची जगह पर हो, तो फर्श को प्लास्टर करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जमीन नरम हो और बारिश के मौसम में जमीन के भीतर का पानी उस गढ़े में आने की संभावना हो, तो फर्श चूने का प्लास्टर किया जाय। प्लास्टर के लिए सीमेंट का उपयोग न किया जाय।

जमीन की सतह से आधा फुट नीचे वाले उपर्युक्त फर्श पर चारों ओर तीन-तीन इंच जगह छोड़कर 7.25 फुट x 5.75 फुट का नाप लेकर चारों बाजू से दीवार बाँध सकें, इस तरह बाँध-काम शुरू किया जाय। दीवार की चौड़ाई 9” ली जाय। यदि चौड़ाई 14-15” लेनी हो, तो फर्श की लंबाई और चौड़ाई 6-6” ज्यादा लेनी चाहिए। याने 8.25 फुट x 6.75 फुट का फर्श हो। इसमें भी भीतर की दीवारें 9” चौड़ाई की ही मानी हैं। लेकिन जहाँ ईंटें मिलना कठिन होता है और आमतौर से पत्थरों से ही बाँध-काम होता है? वहाँ भीतर की दीवारें भी 15” चौड़ाई की लेनी पड़ती हैं। उस स्थिति में फर्श की चौड़ाई और लंबाई और भी 6” 6” ज्यादा ली जाय। याने 8.75 फुट x 7.25 फुट का फर्श हो।

दीवार बाँधते वक्त, पिछला हिस्सा मल-मूत्र की टाँकियों के लिए और अगला हिस्सा घास-फुस की टाँकियों और सीढ़ियों के लिए अलग-अलग हो सके, इसलिए अगली दीवार से 1.50 फुट और पिछली दीवार से 2 फुट छोड़कर बीच में भी 9” चौड़ाई की दीवार बाँधना शुरू किया जाय पिछले भाग के बराबर बीच में भी 9 इंच चौड़ाई की दीवार ली जाय। जिससे कि दो टाँकियाँ बनेंगी, जो कि बारी-बारी से शौच के लिए काम में लायी जायँगी। अगले भाग में दोनों ओर डेढ़-डेढ़ फुट छोड़कर, बीच में 2 फुट जगह रहे, इसलिए 4.50” की दो दीवारें ली जायँ। इस तरह सब दीवारों का एक-एक स्तर का बाँध-काम होने पर उसमें पाँच खाने बने हुए दिखाई देंगे (देखिये, कैसा हो ढांचा चित्र संख्या 1) पिछले दो खाने बारी-बारी से शौच के लिए उपयोग में आनेवाली टाँकियों के लिए, अगले तीन खानों में से बीच का खाना सीढ़ियों के लिए और अगल-बगल के खाने घास-फूस, मिट्टी आदि रखने के लिए होंगे। दूसरा स्तर बाँधते वक्त ढाई फुट की जो दो टाँकियाँ हैं, उनमें हरएक की पिछली दीवार के बीचोबीच 11” की जगह छोड़कर, जमीन की सतह तक बांध काम किया जाए। यह जो 11’’ की जगह छोड़ी गयी है, वहाँ भीतर की ओर दीवार से लगाकर ही 4.50” ऊँचाई का बाँध काम किया जाय। ऊपर से चूने का प्लास्टर देकर, भीतर की और उतार दिया जाय। 11” की जगह टाँकी में से, फावड़े द्वारा आसानी से खाद निकालने के लिए है। भीतरी फर्श से खाद निकालने का मुँह थोड़ा ऊँचा इसलिए रखा जाता है कि पाखाने की टाँकी में पेशाब, पानी और मल के गलने के कारण आनेवाली द्रवता टाँकी से बाहर निकलती न रहे।

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