मनरेगा में महालूट
21 February 2013

भारत के जिस महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा से हिन्दुस्तान की तस्वीर बदलने का दावा किया गया था, उसकी ज़मीनी हकीक़त को देखने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पौने दो लाख करोड़ की जिस योजना ने कांग्रेस को दोबारा दिल्ली की सत्ता दिला दी, उस योजना में भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है।2009 में सत्ता में लौटने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने जीत की उपलब्‍धि का सेहरा नरेगा के सिर बाँधा। जिसके बाद तय हुआ कि नरेगा के साथ महात्मा गांधी का नाम जोड़ दिया जाए क्योंकि नरेगा ने गांव की तस्वीर बदली है और गांधी जी गांव की तस्वीर ही बदलना चाहते थे।

200 जिले और 15 हजार करोड़ से शुरू हुआ नरेगा आज की तारीख में देश के सभी 624 जिलों और सालाना 33 हजार करोड़ खर्च करने तक जा पहुंचा है। इस योजना के तहत अब तक सबसे ज्यादा 41 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया। तो सियासत के लिहाज से चाहे नरेगा से मनरेगा ने देश की तासिर बदल दी लेकिन इसका असल सच एक ऐसी लूट का है जो महालूट में बदल चुकी है। सवा-सवा करोड़ के तालाब है पर एक बूंद पानी नही। सवा-सवा लाख के कुंए हैं पर दो फुट भी गहरे नहीं। बीस-बीस लाख की सड़कें हैं पर कागज़ों पर हैं वजूद। मरे लोगों के नाम पर जॉब कार्ड पर जिन्दा है बेरोजगार। महात्मा गांधी के नाम पर चल रही दुनिया की सबसे बड़ी रोज़गार योजना अब बन गया है लूट और घोटाले का अड्डा।

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