मुखियाजी से मांगिये शौचालय

8 Oct 2012
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गांधी जंयती के मौके पर वर्धा से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और अभिनेत्री विद्या बालन की मौजूदगी में निर्मल भारत यात्रा की शुरुआत हुई। इस यात्रा का उद्देश्य देश के गांवों को स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित करना है। यात्रा 17 नवंबर को बिहार के बेतिया में पहुंच कर संपन्न होगी। इससे पहले भी सरकार की ओर से निर्मल भारत अभियान की शुरुआत की गयी है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत को निर्मल बनाना है। इसमें सबसे बड़ा काम है कि लोग खुले में शौच न करें। सरकार उन तमाम लोगों को 9 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध करा रही है, जिनके घरों में शौचालय नहीं है। यह योजना पंचायतों के जरिये ही लागू होंगी। वैसे भी गांव साफ-सुथरा रहे यह गांव के लोगों की ही जिम्मेदारी होनी चाहिये। सरकार इसमें सिर्फ मदद दे सकती है। पंचायतनामा के इस अंक में हम उन तमाम मसलों पर विचार करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे पूरा झारखंड निर्मल हो जाये। पढ़िये उमेश यादव की रिपोर्ट।

अगर आपके घर में शौचालय नहीं है तो चिंता किस बात की। अपने मुखियाजी से मिलिये और शौचालय मांगिये। सरकार इसके लिए सीधे पंचायत को पैसे उपलब्ध करा रही है। हर परिवार को शौचालय के लिए नौ हजार रुपये का प्रावधान है।

आप क्या करेंगे


मुखिया को लिखित आवेदन देंगे। इसमें परिवार के मुखिया, उनके पिता एवं पति का नाम, बीपीएल हैं तो नंबर, परिवार के सदस्यों की संख्या, कुल जमीन का रकवा, जाति और यदि नि:शक्त हैं उसके प्रकार का ब्यौरा होगा। यदि आप एपीएल में हैं तब भी शौचालय मांग सकते हैं। इसके लिए 5 एकड़ से कम जमीन या अनुसूचित जाति एवं जनजाति का सदस्य या परिवार का मुखिया किसी महिला का होना या परिवार में किसी नि:शक्त का होना जरूरी है।

मुखिया क्या करेंगे


आवेदन प्राप्त होते ही ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के जरिये सर्वे करायेंगे और आवेदनकर्ता का नाम संबंधित गांव के शौचालय निर्माण की लाभुक सूची में सूचीबद्ध करायेंगे। सभी गांव से प्राप्त सूची को पंचायतस्तर पर समेकित करने के बाद मांग पत्र जिला जल एवं स्वच्छता मिशन कार्यालय को सौपेंगे। एक प्रति प्रखंडस्तरीय जल एवं स्वच्छता समिति को भी देंगे।

जिलास्तरीय समिति क्या करेगी


मुखिया से प्राप्त मांग के आधार पर प्रति परिवार 4500 की दर से राशि सीधे ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के खाते में भेज देगी।

मनरेगा से कैसे मिलेगा पैसा


शौचालय निर्माण में मनरेगा से मजदूरी के रूप में पैसा मिलेगा। इसके लिए निर्माण कार्य में शामिल कुशल एवं अकुशल श्रमिकों का मास्टर रॉल भरा जायेगा। इसके बाद संबंधित मजदूर के खाते में मुखिया पैसा डाल देंगे।

पंचायत से ही बदलेगी सूरत


स्वच्छता की अवधारणा में व्यक्तिगत साफ-सफाई, घरेलु स्वच्छता, पेयजल, कूड़ा-करकट, घरों एवं अन्य स्त्रोतों से निकलने वाला गंदा पानी और मानव मल का उचित निपटान निहित है। व्यक्तिगत साफ-सफाई काफी हद तक पेयजल एवं समुचित स्वच्छता सुविधा की उपलब्धता पर निर्भर करता है। संविधान के 73 वां संशोधन अधिनियम के आलोक में बना झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 की धारा 10 एवं 75 पंचायत प्रतिनिधियों को पेयजल एवं स्वच्छता के लिए काम करने का पर्याप्त अधिकार देता है। इसी कानूनी प्रावधान के कारण केंद्र एवं राज्य सरकारों ने ग्रामसभा एवं ग्राम पंचायत को अधिकार हस्तांतरित किया है।

सरकार की योजनाएं


केंद्र एवं राज्य सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की जो योजनाएं अभी गांवों के लिए चल रही है, उसमें राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता (एनआरडीडब्ल्यूपी), निर्मल भारत अभियान (एनबीए) एवं निर्मल ग्राम पुरस्कार(एनजीपी) प्रमुख है। इन प्रमुख योजनाओं में योजना, योजना स्थल एवं लाभुक चयन करने, कार्यान्वयन एवं निगरानी का पूरा-पूरा अधिकार ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति और ग्राम पंचायत को दिया गया है। हालांकि इसमें सरकार द्वारा कुछ मापदंड निर्धारित है।

एनआरडीडब्ल्यूपी


राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम ( एनआरडीडब्ल्यूपी ) का लक्ष्य गांव में रहने वाले सभी घरों एवं लोगों को पेयजल मुहैया कराना है। भारत सरकार का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अपने कुल बजट का 30 प्रतिशत इस कार्यक्रम पर खर्च करता है। पूर्वोतर राज्यों में इसके तहत जो योजनाएं ली जाती हैं उसका 90 प्रतिशत भारत सरकार एवं 10 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। इसमें चापानल का अधिष्ठापन एवं मरम्मती, शॉकपीट का निर्माण, पाइप जलापूर्ति योजना आदि ली जाती हैं। ग्राम पंचायत और ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को इस कार्यक्रम के तहत यह तय करने का अधिकार है कि योजनाएं किस प्रकार की होगी, कहां पर कार्यान्वयन होगा, बजट क्या होगा, काम किस तरह होगा, संचालन किस तरह होगा, निगरानी कौन करेगा आदि।

स्वच्छता के लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति जो कर सकती है


• झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 की धारा 10 में वर्णित कृत्य इस प्रकार हैं।
• उपधारा (14) - स्वच्छता, सफाई एवं न्यूसेंस का निवारण एवं उपशमन।
• उपधारा (15) - सार्वजनिक कुओं एवं तालाबों का निर्माण, मरम्मत और अनुरक्षण तथा घरेलु उपयोग के लिए पेयजल उपलब्ध कराना।
• उपधारा (16) - नहाने, धोने और पालतु पशुओं के लिए जलस्त्रोत उपलब्ध कराना एवं उनका अनुरक्षण।
• उपधारा (18) - सार्वजनिक सड़कों, संडासों, नालियों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का निर्माण, अनुरक्षण एवं उनकी सफाई।
• उपधारा (19) - उपायोग में न आने वाले कुओं, अस्वच्छ तालाबों, खाईयों एव गड्ढों को भरना।
• उपधारा (23) - मकानों, संडासों, मूत्रालय, नालियों तथा फ्लश शौचालयों का विनियमन।
• उपधारा (25) - शवों, पशु शवों (लावारिश शवों सहित) और अन्य घृणोत्पादक पदार्थों का इस प्रकार व्यवस्था करना ताकि वे अस्वस्थकर न हो।
• उपधारा (26) - कचरा इकट्ठा करने के लिए स्थानों की अलग से व्यवस्था करना।

झारखंड राज्य सरकार स्थापना दिवस (15 नवंबर) के अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता विषयों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को पुरस्कृत करती है। इसका लाभ लेने के लिए अभी से आप अपने गांव-पंचायत को स्वच्छ बनाने के अभियान में जुट जायें। इससे दो तरह के लाभ होंगे : पहला तो यह कि आपका गांव स्वच्छ होगा, जिससे आप, आपका परिवार व अन्य लोग जल्दी बीमार नहीं पड़ेंगे, दूसरा आपका व आपके गांव का नाम रौशन होगा, लोग उसके बारे में जानेंगे व तारीफ करेंगे, सरकार और योजनाएं देगी।

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