नैनीताल बना जिला मुख्यालय

8 Feb 2020
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नैनीताल बना जिला मुख्यालय
नैनीताल बना जिला मुख्यालय

1892 में नैनीताल ने अपनी बसावट के पचास साल पूरे कर लिए थे। अनेक प्राकृतिक आपदाओं और तमाम व्यावहारिक दिक्कतों के बावजूद तत्कालीन प्रशासकों ने नैनीताल के विकास में कोई रुकावट नहीं आने दी। मल्लीताल और तल्लीताल बाजार क्षेत्र को छोड़कर 1892 तक यहाँ 234 स्टेट्स विकसित हो चुके थे।

15 अक्टूबर, 1891 को नैनीताल जिला बना गया। नैनीताल को जिला मुख्यालय बनाया गया। तराई तथा भाबर को एक अधिकारी के नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से नैनीताल को अलग जिला बनाया गया। नैनीताल जिले के वजूद में आने से पहले नैनीताल, कुमाऊँ जिले का हिस्सा था। नैनीताल तथा भाबर तहसील, सहायक आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण में थी। जबकि काशीपुर तथा तराई परगना का प्रशासनिक कार्य ‘सुपरिटेंडेट ऑफ द तराई’ के हवाले था। तब नैनीताल तहसील सात परगना तथा 24 पट्टियों में विभक्त थी। छः खाता, कोटा, धनियाकोट, रामगढ़, कुटौली, महरुरी, कोश्यां मल्ला और कोश्यां तल्ला परगनों तथा काशीपुर एवं तराई परगने को मिलाकर नैनीताल जिला बना। डिप्टी कमिश्नर की नियुक्त हो गई फिर उनका दफ्तर खुल गया। प्रारम्भिक दिनों में यहाँ तैनात डिप्टी कमिश्नर कैलाखान स्थित सेना की छावनी से अपना काम-काज निपटाते थे। नैनीताल जिले के वजूद में आ जाने और यहाँ डिप्टी कमिश्नर की तैनाती के बाद नैनीताल के डिप्टी कमिश्नर को नगर पालिका के अधिकारिक चेयरमैन का दायित्व भी सौंप दिया गया।

1891 में नगर पालिकाओं के पुलिस प्रबन्धन पर ‘पुलिस कमेटी’ बनी। इस कमेटी को नगर पालिकाओं की पुलिस व्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट देनी थी। 1891 से पहले नगर पालिकाओं के पास अपनी पुलिस थी। जिन्हें चौकीदार और जमादार कहा जाता था। चौकीदार को चार रुपए और जमादार को छह से 10 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था। चौकीदार को कांस्टेबिल और जमादार को हेड कांस्टेबिल के बराबर अधिकार प्राप्त थे। पुलिस कमेटी ने सुझाव दया कि जमादार का वेतन बढ़ाया जाए। उन्हें वर्दी दी जाए। सम्भव हो तो चौकीदार और जमादार की नियुक्ति पुलिस लाइन द्वारा रेगुलर पुलिस से किए जाने की संस्तुति की गई। समिति द्वारा छह सौ की आबादी पर एक चौकीदार की नियुक्ति, कार्य के बंटवारे और दायित्वों के निर्वहन की निगरानी के लिए वार्ड फोर्स बनाए जाने के साथ ही 12 चौकीदारों के ऊपर एक जमादार नियुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया।

इसी साल ब्रेबरी से नैनीताल तक तल्लीताल कार्ट रोड को ताँगा चलने लायक बनाने का काम शुरू हुआ। सरकार के निर्देश पर नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस के सुपरवाइजिंग इंजीनियर, ए.जे.ह्रूज ने 14 से 18 नवम्बर, 1891 तक नैनीताल में पीने का पानी, सीवरेज, नाले, पेल डिपो एवं स्वच्छता व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया।

म्युनिसिपल कमेटी ने 17 दिसम्बर, 1891 की बैठक के प्रस्ताव संख्या -12 द्वारा कमेटी के सदस्यों को अवगत कराया कि कमेटी को चालू वित्तीय वर्ष में घरेलू नौकरों पर टैक्ट की मद में तीन हजार, घोड़ा और गाय के टैक्स के रूप में एक हजार, कुत्ता टैक्स से तीन सौ, बाजार संरक्षण टैक्स से एक हजार, भूमि टैक्स से 15 सौ और किराए पर टैक्स के रूप में 12 कुल आठ हजार रुपए की आय हुई। इसके साथ ही नगर पालिका कमेटी ने एक सप्ताह के भीतर घरेलू नौकरों और चपरासियों की जानकारी नगर पालिका को देना अनिवार्य कर दिया। नगर पालिका के टैक्ट कलेक्टर समय-समय पर घरेलू नौकरों की सूची की जाँच करते थे। नौकरों के बारे में ततय समय पर सही सूचना नहीं देने पर 50 रुपए जुर्माना देना होता था। नोटिस मिलने के सात दिन के भीतर सर्वेन्ट टैक्स जमा करना आवश्यक था। होटल, क्लब और गेस्ट हाउस में आने वाले पर्यटकों के नौकरों का टैक्स वसूल करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी नगर पालिका कमेटी के अध्यक्ष तथा सचिव की होती थी। यह उनके दायित्वों में शामिल था। नगर पालिका के अध्यक्ष और सचिव इस दायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करते थे।

1892 में नैनीताल ने अपनी बसावट के पचास साल पूरे कर लिए थे। अनेक प्राकृतिक आपदाओं और तमाम व्यावहारिक दिक्कतों के बावजूद तत्कालीन प्रशासकों ने नैनीताल के विकास में कोई रुकावट नहीं आने दी। मल्लीताल और तल्लीताल बाजार क्षेत्र को छोड़कर 1892 तक यहाँ 234 स्टेट्स विकसित हो चुके थे। सरकार ने इन स्टेट्स को करीब सवा 12 सौ एकड़ जमीन आवंटित कर दी थी। झील के किनारे स्थित हिन्दू मन्दिर (नयना देवी मन्दिर) और असेम्बली रुम्स के बीच में नहाने एवं तैराकी के वास्ते एक खूबसूरत शेड का निर्माण किया जा चुका था। सेंट-लू के पास पुलिस चौकी खोल दी गई थी। जुलाई 1889 की बरसात में क्षतिग्रस्त हो चुकी पुरानी कार्ट रोड की जगह उसी के समानांतर नया नैनीताल- काठगोदाम पैदल मार्ग बनकर तैयार हो गयता था। अब यही मार्ग आवाजाही का मुख्य साधन था। 15 जनवरी, 1892 में ‘एक्ट-XIV सन् 1883’ के तहत नैनीताल में जिला परिषद का गठन हुआ। जिला परिषद में 16 सदस्य थे, जिनमें सात आधिकारिक एवं नौ मनोनीत सदस्य शामिल थे। नैनीताल के डिप्टी कमिश्नर को जिला परिषद का अध्यक्ष तथा सहायक कमिश्नर को उपाध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया।

नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव आर.स्मीटन ने दिनाँक 22 फरवरी, 1892 को नोटिफिकेशन संख्या-315 द्वारा बाजार क्षेत्र छोड़कर शेष नैनीताल में साइड टैक्स दो रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर तीन रुपए प्रति एकड़ करने तथा एक नौकर पर प्रतिवर्ष एक रुपए टैक्स लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 21 मार्च, 1892 को सरकार ने नगर पालिका सीमा के भीतर एक माह की अवधि के लिए रखे गए घरेलू नौकरों को कर मुक्त कर दिया। बाजार क्षेत्र के घरेलू नौकरों की समय-समय पर जाँच किए जाने के आदेश दिए गए। 4 मई, 1892 को लेफ्टिनेंट गवर्नर एण्ड चीफ कमिश्नर ने भू-स्खलन से निपटने के लिए नगर पालिका को विशेष परिस्थितियों में दिए गए डेढ़ लाख रुपए कर्ज का ब्याज माफ कर दिया।

वर्ष 1891-92 तक नगर पालिका की वार्षिक आय पिछला विशेष जोड़कर 65 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी थी। 1889-90 से 1891-92 के बीच नगर पालिका की सालाना आमदनी निम्न प्रकार थी-

 

आय के मद

वर्ष 1889-90

वर्ष 1890-91

वर्ष 1891-92

रुपए

आना

पैसा

रुपए

आना

पैसा

रुपए

आना

पैसा

जानवरों पर चुंगी

3455

0

0

4314

0

0

4265

0

0

भवन बिल्डिंग्स तथा जमीन पर कर

16567

3

9

17020

6

11

17673

15

6

गाय एवं कुत्तों पर कर

-

-

-

-

-

-

1285

8

0

वाहन तथा पैदल यात्री कर

8800

0

0

7800

0

0

8310

0

0

विशेष कर (स्टाल साइड तथा अतिरिक्त साइड कर)

21812

2

4

21755

3

10

22263

3

9

दुकान एवं भवनों से किराया

3234

5

6

3495

15

11

3037

15

2

बगीचे

315

0

0

100

0

0

204

11

1

जुर्माना

609

11

0

414

12

0

221

5

0

खोड़

66

3

0

50

7

6

36

14

9

विविध कर

3341

1

5

3400

1

0

3535

4

9

असाधारण/असामान्य की बिक्री पर)

3865

6

10

7787

9

6

4215

5

2

 

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