नदी- जोड़ परियोजना ठीक नहीं- राहुल गांधी

12 Sep 2009
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कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने नदियों को जोड़ने का विरोध किया है. तमिलनाडु यात्रा पर गये राहुल गांधी ने चेन्नई में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे नदियों को जोड़नेवाले विचार के खिलाफ हैं क्योंकि इसका पर्यावरण पर बहुत घातक दुष्परिणाम होगा.

राहुल गांधी तीन दिन के तमिलनाडु दौरे के तहत गुरूवार को चेन्नई में पत्रकारों से बात कर रहे थे. जब पत्रकारों ने उनसे नदियों को जोड़ने के बारे में सवाल पूछा तो उनका कहना था कि 'यह बहुत आपदाकारी विचार है. यह ऐसा विचार है जिससे देश के पर्यावरण को बहुत घातक नुकसान होगा. व्यक्तिगत रूप से मैं इस विचार का समर्थन नहीं करता हूं. मेरा मानना है कि प्रकृति बहुत ताकतवर है और हमें इतने व्यापक पैमाने पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए. इसका परिणाम अच्छा नहीं निकलेगा.'

राहुल गांधी को जब पत्रकारों ने याद दिलाया कि तमिलनाडु के कांग्रेसी नेता नदी जोड़ने का समर्थन करते हैं तो राहुल गांधी ने कहा कि 'वे ऐसा राज्य के स्तर पर कर रहे हैं.' राहुल गांधी ने कहा राज्यों के बीच पानी के बंटवारे जो झगड़ा है उसे आपसी समझदारी से ही सुलझाया जा सकता है.

देश में एनडीए शासनकाल के दौरान पहली बार नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव सामने आया था. इसके पीछे कुल तर्क यह दिया जा रहा था कि जहां सूखा है अगर वहां बाढ़ग्रस्त इलाकों का पानी पहुंचा दिया जाए तो दोनों स्थान पर पानी की समस्या से निजात मिल सकती है. अगर यह परियोजना सिरे चढ़ती तो पूरी परियोजना साढ़े छह लाख करोड़ की होती. इतने बड़े पैमाने पर होनेवाले व्यापार के कारण निजी औद्योगिक घराने इस परियोजना का खुलकर समर्थन कर रहे थे लेकिन राजनीतिक वर्ग में सिवाय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के किसी ने भी इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया. उनके शासन काल में सुरेश प्रभु के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था लेकिन जब पहली बार यूपीए सरकार बनी तो वामपंथी दलों ने इस योजना पर अमल न करने की शर्त पर ही अपना समर्थन दिया था.

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आश्चर्यजनक रूप से इस योजना का समर्थन करते हैं और राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान और उसके बाद भी वे इस परियोजना की वकालत करते रहे हैं. लेकिन कलाम से उलट देश का लगभग हर पर्यावरण विज्ञानी और जल जानकार इसे एक विनाशकारी योजना बताकर खारिज करता रहा है. बाद के दिनों में सुरेश प्रभु ने भी मानना शुरू कर दिया था कि यह परियोजना सिरे चढ़ती तो शायद मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी भूल साबित होती.
 
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