नदियों को जोड़ेंगे, चाहे जो हो : केन्द्र

16 Jan 2015
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1. रास्ते में आने वाली बाधा को हटाएँगे : वैकेया
2. कहा, लोकतन्त्र में आवाजें तो उठती हैं, उठने दीजिए।


भारत जल सप्ताह 2015 का उद्घाटननई दिल्ली (एजेंसी)। पर्यावरणविदों द्वारा जताई गई चिन्ताओं पर ध्यान नहीं देते हुए केन्द्र सरकार ने कहा कि चाहे जो हो, वह प्राथमिकता के आधार पर नदियों को आपस में जोड़ेगी और इसके रास्ते में आने वाली किसी भी ‘बाधा’ का समाधान किया जाएगा या उसे हटा दिया जाएगा। शहरी विकास मन्त्री एम वैकेया नायडू ने मंगलवार को ‘भारत जल सप्ताह’ के मौके पर एक समारोह में कहा, ‘हमारे कुछ पर्यावरणविद मित्र चिन्ता जता रहे हैं लोकतन्त्र में आवाजें तो उठती हैं, उठने दीजिए। लेकिन उनका जवाब भी है हम प्राथमिकता के आधार पर नदियों को जोड़ेंगे, चाहे जो हो।’

उन्होंने कहा कि देश में एक माहौल बनाए जाने की जरूरत है ताकि नदियों को जोड़ने की योजना लोगों का आन्दोलन बन सके।

पर्यावरणविदों ने यह दावा करते हुए नदियों को जोड़ने पर चिन्ता जताई है कि इससे समुद्री जीवन को खतरा पैदा हो जाएगा और यह जल विज्ञान तथा पारिस्थितिकी के अनुकूल नहीं है। नायडू ने कहा कि विकसित देश हमें ‘पाठ पढ़ा रहे हैं और भाषण दे रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘पहले हमें विकसित होना होगा, उसके बाद हम दूसरों को पाठ पढ़ा सकते हैं।’

जल संरक्षण के मसले पर नायडू ने कहा कि उनका मन्त्रालय सभी स्थानीय निकायों के लिए जल संग्रहण को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव करने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में मैं प्रस्ताव करुँगा कि सभी शहरी निकायों में सभी घरों और फार्म हाउसों में जल संग्रहण को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। यह प्राथमिकता भी होगी।’

समारोह में पर्यावरण राज्य मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन द्वारा पेश चुनौतियों की पृष्ठभूमि में सतत् विकास के लिए जल प्रबन्धन पर विचार किया जाना चाहिए। जावड़ेकर ने कहा, ‘दबाव की स्थिति है क्योंकि जलवायु परिवर्तन विभिन्न स्थानों पर पानी की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को प्रभावित करेगा।’ जल की गुणवत्ता पर कैग की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए पर्यावरण राज्य मन्त्री ने कहा कि करीब एक तिहाई औद्योगिक प्रदूषण बिना शोधन के जल ईकाइयों में जा रहा है। मन्त्री ने जल सुरक्षा के लिए ठोस जल प्रबन्धन की जरूरत पर बल दिया।

जल की उपलब्धता का दबाव और बढ़ने की आशंका : उमा


देश में बढ़ती आबादी, तेजी से विकसित हो रहे राष्ट्र की बढ़ती जरूरतों और जलवायु परिवर्तन के असर के चलते जल की उपलब्धता पर दबाव और अधिक बढ़ जाने का अन्देशा है। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मन्त्री उमा भारती ने यह आशंका जताते हुए कहा कि विभिन्न राज्यों के बीच गहराते जल विवाद भी इस ओर संकेत दे रहे हैं। उन्होंने कहा है जल संसाधन प्रबन्धन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सम्बन्धित आँकड़ों को सार्वजनिक करना है, क्योंकि इससे पारदर्शिता एवं जागरुकता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग ने इसरो के राष्ट्रीय दूर संवेदी केन्द्र के सहयोग से आँकड़ों के सृजन की परियोजना शुरू की है। उमा भारती ने यहाँ ‘भारत जल सप्ताह’ का उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। पानी की किल्लत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि 18 फीसदी से अधिक विश्व की आबादी भारत में निवास करती है।, लेकिन विश्व के नवीकरणीय जल संसाधन का महज चार फीसदी ही हमारे देश में है। नदियों को जोड़े जाने की योजना को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में नदी बेसिनों में उपलब्ध जल की मात्रा में व्यापक अन्तर देखने को मिलता है।

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