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नेपाल में उठेगा नदियों के प्रदूषण से प्रभावितों का मुददा
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नीर फाउन्डेशन के रमन त्यागी करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व


नेपाल इंजीनियनिंग कॉलिज द्वारा सेफ ड्रिंकिंग वाटर प्रोजेक्ट व डेवलेपमेंट पार्टनरशिप आफ हायर एजूकेशन प्रोग्राम के तहत एक तीन दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। इसमें करीब 30 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस सेमीनार का विषय एप्रोप्रियेट वाटर सप्लाई शोल्यूशन फार इंफोरमल सेटिलमेंट एण्ड मारजिनालाइज्ड कम्यूनिटीज रखा गया है। यह सेमीनार 19 से 21 मई, 2010 को नेपाल की राजधानी काठमांडू के होटल हिमालय में आयोजित की जा रही है। इस सेमीनार के लिए पानी की सल्लाई, बर्बादी, देखरेख, स्वास्थ्य, सरकारी जिम्मेदारियां, कानून, पर्यावरण, नए जानकारियां तथा विश्व में सरकारी व गैर सरकारी स्तर से किए गए प्रयासों के संबंध में विस्तार से चर्चा की जाएगी सर्वसम्मति से एक योजना तैयार की जाएगी।

नेपाल में आयोजित होने वाली इस सेमीनार की महत्वपूर्णता के संबंध में जानकारी देते हुए नीर फाउंडेशन के रमन त्यागी ने बताया कि विश्व की कुल आबादी के करीब 38 प्रतिशत लोगों को सेनिटेशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा लगभग इतनी ही आबादी स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रही है। उपरोक्त दोनों समस्याओं से सबसे अधिक प्रभावित एशिया, अफ्रीका व लातिन अमेरिका के गरीब व विकासशील देश हो रहे हैं। नेपाल इससे सवाधिक प्रभावित है। जिसमें कि एशिया के इसीलिए पूरे विश्व में स्वच्छ सेनिटेशन व स्वच्छ पेयजल के लिए विभिन्न योजनाएं सरकारी व गैर सरकारी स्तर से चलाई जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल व सेनिटेशन की व्यवस्था अनिवार्य होना उसका मौलिक अधिकार है। लेकिन विश्व के देशों में असमानता व इन मुददों को प्रमुखता ने देने के कारण ऐसा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सेनीटेशन व स्वच्छ पेयजल न उपलब्ध हो पाने के कारण लोगों के हो रहे मौलिकाधिकार हनन के संबंध में एक रिपोर्ट नीर फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत की जाएगी। इसमें सर्वाधिक जोर बढ़ते जल प्रदूषण के कारण सामने आ रही परेशानियों पर होगा। संस्था का फोकस पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रदूषित होती नदियों काली, हिण्डन, कृष्णी, यमुना व गंगा के किनारे बसे लोगों की समस्याओं पर होगा।

गौरतलब है कि संस्था पहले ही काली नदी के प्रदूषण को उजागर करने व लोगों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनवाई जा रही है। जिसको कि पीड़ित समाज व उसकी ओर ध्यान न देने वाले आकाओं को दिखाया जाएगा। इस डाक्यूमेंट्री का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है पूरा प्रयास किया जाएगा कि डाक्यूमेंट्री को अन्तराष्ट्रीय मंच पर भी प्रस्तुत किया जाए।