नहीं साफ हो सकी यमुना : सुप्रीम कोर्ट

राजधानी के वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के पिकलिंग कारखानों से बेहद खतरनाक तेजाब यमुना में फेंका जाता है। श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाके से करीब दो करोड़ लीटर तेजाब युक्त जहरीला पानी रोज निकलता है। इलाके का यह प्रवाह जहां नजफगढ़ नाले में मिलता है वहां का पीएच स्तर 1.8 यानी बहुत ज्यादा एसिडिक है। सुप्रीम कोर्ट ने यमुना के पानी की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि नदी को साफ करने के लिए उसके हस्तक्षेप और यमुना सफाई परियोजना पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पिछले एक दशक में स्थितियां सुधरी नहीं हैं बल्कि यह बहुत खराब हो गई है। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की खंडपीठ ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनता की एक बड़ी धनराशि खर्च करने के बावजूद यमुना के जल की गुणवत्ता में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।’ मैली हो रही यमुना के बारे में 1994 में प्रकाशित खबरों का स्वत: ही संज्ञान लेते हुए इस मामले में कार्यवाही शुरू की गई थी। पिछले 18 साल में अदालत यमुना के जल को स्वच्छ करने की दिशा में अनेक आदेश दे चुकी है। न्यायाधीशों ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यमुना नदी में सीधे गंदा पानी नहीं पहुंचे।

अदालत ने केंद्र सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा सरकार को नदी को प्रदूषण मुक्त कराने की मद में अब तक खर्च किए गए धन का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्र के अलावा तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ ही डीडीए, एनडीएमसी, तीनों एमसीडी व दिल्ली जल बोर्ड के प्रमुखों को भी दो हफ्ते के भीतर इस संबंध में हलफनामें दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यमुना में सीधे पहुंचने वाले इंडस्ट्रियल व निगम के नालों का विवरण भी चाहता है। अदालत ने सभी राज्यों से कहा है कि इन नालों पर लगे ट्रीटमेंट प्लांट का विवरण भी पेश किया जाए। अदालत ने कहा कि नदी में पहुंचने वाले कचरे व गंदे पानी की समस्या से निबटने के लिए व्यापक योजना की आवश्यकता है और इसके लिए सभी एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा।

यमुना में 19 एमएलडी तो केवल तेजाब फेंकते हैं


राजधानी के वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के पिकलिंग कारखानों से बेहद खतरनाक तेजाब यमुना में फेंका जाता है। श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाके से करीब दो करोड़ लीटर (19 एमएलडी) तेजाब युक्त जहरीला पानी रोज निकलता है। इलाके का यह प्रवाह जहां नजफगढ़ नाले में मिलता है वहां का पीएच स्तर 1.8 यानी बहुत ज्यादा एसिडिक है। ये कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि यदि इसमें कोई लोहे की रॉड डाल दी जाए तो कुछ ही घंटों में वह घुल जाएगी। यहां करीब चार हजार कारखाने हैं, जिनमें से करीब 180 कारखाने स्टेनलेस स्टील पिकलिंग की गतिविधियों में लिप्त हैं।

यमुना में दिल्ली हर रोज डालती है 680 एमजीडी मैला


यमुना नदी की स्थिति चिताजनकयमुना नदी की स्थिति चिताजनकराजधानी में हर रोज 680 एमजीडी (3087 मिलियन लीटर) गंदा पानी निकलता है, जिसमें सीवेज व इंडस्ट्री का दूषित पानी शामिल है। इसके शोधन के लिए राजधानी में 19 स्थानों पर 28 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगे हैं, जिनकी शोधन क्षमता तो केवल 513.4 एमजीडी है, पर उनमें भी रोजाना करीब 350 एमजीडी सीवेज का ही शोधन हो पाता है। सरकार ने केवल एसटीपी बनाने पर सन् 1994 से अब तक 1254.2 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। राजधानी के 21 औद्योगिक इलाकों के लिए 15 सीईटीपी बनाए जाने थे, लेकिन उनमें से 11 ही बनाए जा सके, क्योंकि सन् 2003 से ही जितने सीईटीपी चालू होते गए, सीटीपी की तरह उनमें से भी किसी ने अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक औद्योगिक प्रवाह का शोधन नहीं किया।

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