नीर फाउंडेशन को मिला 2011 का वॉटर चैम्पियन अवार्ड

रमन त्यागी
रमन त्यागी
मेरठ सहित देश के खाते में एक उपलब्धि उस समय जुड़ गई जब इंटरनेशनल वॉटर एशोसिएशन, नीदरलैण्ड और वर्ल्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन, अमेरिका द्वारा वर्ल्ड वॉटर डे के मौके पर मेरठ स्थित गैर-सरकारी संगठन नैचुरल एन्वायरन्मेंटल एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन अर्थात नीर फाउंडेशन को वर्ष 2011 के वॉटर चैम्पियन अवार्ड के लिए पुनः चुना गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 व 2010 का वॉटर चैम्पियन अवार्ड भी संस्था को मिल चुका है। वर्ष 2011 के लिए विश्व के अलग-अलग देशों में पानी बचाने की अलख जगाने वाले चुनिंदा 12 उम्मीदवारों को वॉटर चैम्पियन अवार्ड के लिए चुना गया है। इसमें विश्व के सभी 6 द्वीपों में से दो-दो उम्मीदवारों का चयन किया गया है। एशिया में भारत से नीर फाउंडेशन और दूसरे म्यांमार के वूडी म्यूरहेड को इसके लिए चुना गया है। जबकि अफ्रीका से कैमेरून के प्लेज इन सर्विज ट्रैनिंग प्रोग्राम को कैनिया के वॉटर एण्ड यूथ इंटरनेशनल अफ्रीका को, आस्ट्रेलिया से गोल्ड कोस्ट वॉटर वाच, यूरोप के रसियन फेडरेशन से किरोया चैपेस्टक और टर्की के डॉ. मैहमत को, उत्तरी अमेरिका से क्यूबा के ग्लोबल स्पोर्टस एलांइस व अमेरिका के टोयोटा को तथा दक्षिणी अमेरिका में उरूग्वे के सेनको को व ब्राजील के रोसा मारिया को इस अवार्ड के लिए चुना गया है।

नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी संस्था की इस उपलब्धि को देश के स्कूलों के बच्चों व समाजसेवी संगठनों के सहयोग व समर्थन का नतीजा मानते हैं। गौरतलब है कि नीर फाउंडेशन को जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करते हुए अभी 4 वर्षों का ही समय हुआ है। नीर फाउंडेशन का महत्व विश्व में इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसका कार्यक्षेत्र ऐसी भूमि है जोकि सर्वगुण संपन्न मानी जाती है। यहां का पानी, मिट्टी व वायु तो सर्वश्रेष्ठ मानी ही जाती रही हैं साथ ही यहां का इंसान भी बहुत उर्जावान है। मेरठ व देश की इस असाधारण उपलब्धि के लिए मैं यहां की माटी को सत् सत् नमन करता हूं। इस पुरस्कार के मिलने से मेरा हौसला और बढ़ा है तथा मैं और अधिक उर्जा के साथ इस कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास करूंगा। इससे पहले भी संस्था को वर्ष वॉटर चैम्पियन अवार्ड, 2009, 2010, वॉटर डायजेस्ट अवार्ड 2010 व वॉटर ओएसिस अवार्ड 2010 भी मिल चुका है।

इस पुरूस्कार को देने के लिए इंटरनेशनल वॉटर एशोसिएशन व वर्ल्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन के एशिया के जजों के पैनल में आईआईटी रूड़की की रेनू भार्गव, वॉटर एण्ड सेनीटेशन एजेंशी (वासा), पाकिस्तान के इस्लाम हक, सिविल एण्ड एन्वायरन्मेंटल इंजीनियरिंग ननयांग टेक्नोलोजी यूनिवर्सीटी सिंगापुर के व्लादिमेयर इवानोव, एन्वायरन्मेंटल साइंस एण्ड इंजीनियनिंग नैशनल यूनिवर्सीटी आफ सिंगापुर के यी पिन लिन, सिंगापुर पालीटेक्निक के निदेशक की यांग नग, एमएससी वॉटर साइंस, पालिसी एण्ड मैनेजमेंट चाइना के रूइवेन पैंग, चुलाबोर्न रिसर्च इंस्टीटयूट थाइलैण्ड की क्वानरावी जोए सिरीकानचाना तथा फैकल्टी आफ कैमिकल इंजीनियरिंग यूनिवर्सीटी टेक्लोलोगी मारा मलेशिया के जाकी जैनुद्दीन शामिल थे। इन्होंने मिलकर एशिया के करीब 20 देशों में से भारत से नीर फाउंडेशन व म्यांमार के वूडी म्यूरहेड को चुना।

रमन ने जानकारी दी कि वर्ल्ड एन्वायरन्मेंट फेडरेशन और इंटरनेशनल वॉटर एशोसिएशन, नीदरलैण्ड के सहयोग से विश्वभर में चलाए जा रहे पानी जांचों अभियान में भारत से भी नीर फाउंडेशन भी इसका लगातार हिस्सा बना था। इस अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष 18 सितम्बर को वर्ल्ड वॉटर मानिटिरिंग डे मनाया जाता है। इसके तहत प्रत्येक वर्ष दुनिया भर के देशों से गैर-सरकारी संगठनों व समूहों का चयन करके उनको वॉटर टेस्ट करने की किट उपलब्ध कराई जाती हैं। इन किटों के माध्यम से सामाजिक संगठन अथवा समूह द्वारा अपने देश के प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित जल स्रोतों के पानी का परीक्षण किया जाता है। यह कार्य इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें स्कूली बच्चों की भागीदारी अधिक होती है। उपलब्ध कराई गई किटों के माध्यम से सम्पूर्ण परीक्षण 31 दिसम्बर से पहले पूर्ण करके वर्ल्ड वॉटर मानिटिरंग डे की टीम को सौंप दिए जाते हैं। वर्ष के कार्य में सभी देशों से जब सभी रिपोर्ट एकत्र हो जाती हैं तो इसको एक रिपोर्ट में बदल दिया जाता है तथा ज्योग्राफिकल इंफोरमेशन सिस्टम के द्वारा सम्पूर्ण रिपार्ट के आंकड़ों को दुनिया के नक्शे पर डाल दिया जाता है। जिससे के दुनिया भर के लोग इंटरनेट के माध्यम से इस रिपोर्ट को पढ़ सकते हैं। वर्ष 2011 के लिए वर्ल्ड वॉटर मानिटिरिंग डे की अधिकारी फ्रांसिस ल्यूक्राफ्ट द्वारा भारत से सामाजिक संगठन नीर फाउंडेशन को पुनः चुना गया था। संस्था को इस कार्य हेतु 150 वॉटर टैस्टिंग किट मई माह में उपलब्ध कराई गईं थीं।

वर्ष 2011 के कार्यक्रम को इण्डिया वॉटर पार्टनरशिप, नई दिल्ली के साथ मिलकर संचालित किया गया था। इसको उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, केरल, बिहार, पश्चिम बंगाल व उत्तराखण्ड राज्यों में विभिन्न संगठनों के साथ संचालित किया। इसमें इन राज्यों के करीब 30 जनपदों को शामिल किया गया। जिसमें कि वहां के जल स्रोतों के परीक्षण किए गए। उत्तर प्रदेश के (मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर, बिजनौर, अलीगढ़, आगरा व लखनऊ जनपद), मध्यप्रदेश के भोपाल, राजस्थान के जयपुर, उत्तराखण्ड के देहरादून, हरिद्वार, कोटद्वार व नैनीताल तथा पंजाब व हरियाणा के क्रमशः मानसा, भटिंडा व पानीपत तथा दिल्ली आदि जनपदों के जल स्रोत व नदियां के परीक्षण किए गए। इसके अतिरिक्त तमिलनाडू के मदुरई व दिनदिगुल, केरल के कोझीकोड, बिहार के कटिहार, पश्चिम बंगाल के कल्याणी, उड़ीसा के झारगुड़ा, भुवनेश्वर व देनकानेल तथा महाराष्ट्र के गोंडिया जनपदों में भी वहां के गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से स्थानीय जल स्रोतों के परीक्षण किए गए।

संस्था द्वारा इस कार्यक्रम में 55 स्कूलों के करीब 10,000 बच्चों व 40 गैर-सरकारी संगठनों के करीब 500 सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया। वर्ष 2011 के कार्यक्रम में उन सभी स्थानों के पुनः उन्हीं संस्थाओं से परीक्षण कराए गए जो कि वर्ष 2010 के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इनमें ग्रामीण व शहरी तथा महिलाएं व पुरुष दोनों शामिल हुए, साथ ही अल्पसंख्यक व दलित छात्रों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा गया था। यह परीक्षण जून से प्रारम्भ होकर नवम्बर माह में पूर्ण हो गए। इस दौरान बच्चों व सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा ऐतिहासिक गंगा नदी, यमुना नदी, हिण्डन नदी, काली पूर्वी नदी, काली पश्चिमी नदी, कृष्णी नदी, धमोला नदी, बूढ़ी गंगा, अरिल नदी, गोमती नदी, पांवधोई, सहस्रधारा, सौंग नदी, अपर गंगा नहर, मध्य गंगा नहर, लोअर गंगा नहर, संजय गांधी झील, महाभारतकालीन गांधारी तालाब, ऐतिहासिक नवलदेह कुआं, पौराणिक श्रृगऋषि का आश्रम, हैण्डपम्प, सबमर्सिबल पम्प, टोटी का पानी, डैम, नालों व विभिन्न तालाबों के करीब 200 स्थानों के करीब 2000 नमूनों का परीक्षण किया गया। इसमें नदियों के 530, हैण्डपम्प के 195, टोटी के पानी के 370, तालाबो के 160, सबमर्सिबल पम्प के 50, डैम के 15, झीलों के 20 तथा नहर व नालों के करीब 50 नमूने शामिल थे। तालाबों, झीलों, नहरों, डैम, टोटी व सबमर्सिबल पम्प के नमूनों में कहीं-कहीं ही ऑक्सीजन की कमी पाई गई। ये सभी परीक्षण एक विशेष प्रकार की वॉटर टेस्टिंग किट द्वारा किए गए। इन परीक्षणों में मुख्य रूप से पानी का तापमान, उसकी टरबिडिटी, पीएच मूल्य व डिसॉल्वड ऑक्सीजन के परीक्षण किए गए, साथ ही परीक्षण करते समय का तापमान, मौसम की जानकारी, लांगीट्यूड व लैटीट्यूड, परीक्षण का समय, स्थान व दिनांक सहित वर्ल्ड वॉटर मानिटिरिंग डे द्वारा उपलब्ध कराए गए परफोर में अनुसार जानकारियां जुटाई गईं।

नीर फाउंडेशन द्वारा इस कार्य हेतु पीजीएफ इंटरनेशनल स्कूल, जे पी एकाडेमी, मणीदीप इण्टर कॉलेज, शांतिनिकेतन विधापीठ, श्री दयालेश्वर पब्लिक स्कूल, मेरठ, के वी पब्लिक स्कूल, परीक्षितगढ़, रोज पब्लिक जूनियर हाई स्कूल, परीक्षितगढ़, राजकीय कन्या इण्टर कॉलेज, परीक्षितगढ़, महाकवि गंगादास सरस्वती शिशु मन्दिर, हापुड़, डी ए वी पब्लिक स्कूल, बुढ़ाना, आत्मासेवानन्द कन्या विधालय, करनावल, बाल भवन पब्लिक स्कूल, दिल्ली, बाल भारती पब्लिक स्कूल, दिल्ली तथा रेयान इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, दिल्ली, कैपरे फाउंडेशन, नई दिल्ली, डवलेपमेंट अल्टरनेटिव, नई दिल्ली, धान फाउंडेशन, तमिलनाडू, यादवा कॉलेज, तमिलनाडू, मीरा फाउंडेशन, तमिलनाडू, वॉटर इण्डिया, तमिलनाडू, इंदिरा गांधी इंटेगरल एजूकेशन फाउंडेशन, उड़ीसा, उदयमान, उड़ीसा, अरूण इंस्टीटयूट ऑफ रूरल अफेयर्स, उड़ीसा, द चेतना, उड़ीसा, इण्डियन सोशल वेलफेयर सोसायटी, महाराष्ट्र, वेलफेयर इण्डिया, बिहार, सेंटर फॉर वॉटर रिसोर्स डवलेपमेंट एण्ड मेनेजमैंट, केरल, किंस्पार्क, पश्चिम बंगाल, गुरू अर्जन देव इंस्टीटयूट एण्ड डवलेपमेंट स्टडीज, पंजाब, जन कल्याण संस्था, मेरठ, नेचर फाउंडेशन, दिल्ली, ऐम, लखनऊ, हरीतिमा, अलीगढ़, शहजाद राय शौद्ध संस्थान, बागपत, लोकहित फाउंडेशन, देहरादून व समीक्षा गाजियाबाद जैसे गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हुए। इन स्कूलों व संस्थाओं को उनके इंटरेस्ट को देखते हुए व उस क्षेत्र का होने के कारण इस कार्यक्रम में शामिल किया गया।

नोट: वर्ल्ड वॉटर मॉनिटिरिंग डे की प्रेस रिलीज संलग्न है।

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