पैरों से नियंत्रित होने वाला नल बचाएगा पानी

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बाथरूम और किचन में इस्तेमाल होने वाले साधारण नलों से पानी की बहुत बर्बादी होती है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिये सेंसर और लेजर तकनीक से नियंत्रित होने वाले नल (टैब) बनाए जा चुके हैं, लेकिन इनकी कीमत अधिक है। हिमाचल प्रदेश स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर के एक छात्र ने इसका सस्ता और सरल समाधान निकाला है। पैरों से नियंत्रित किया जा सकने वाला यह नल (फुट टैब) न सिर्फ पानी बचाएगा बल्कि संक्रमण से भी बचाव करेगा।

अभियांत्रिकी विभाग के तृतीय वर्ष के छात्र प्रशांत वर्मा ने 2016 में इस नल पर शोध शुरू किया था। उनका कहना है कि बाथरूम में हाथ-मुँह धोने, शेव या ब्रश करते वक्त नल को बार-बार खोलना-बंद करना मुश्किल होता है। कई बार बाल्टी में पानी भरते वक्त भी नल खुला ही रह जाता है। इससे बहुत पानी बर्बाद होता है। यही नहीं, एक ही टोंटी को अलग-अलग लोगों के द्वारा छूने से संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। यह नल जितनी जरूरत बस उतना ही पानी देगा।

ऐसे करता है काम

टोंटी की जगह इसे पंप से नियंत्रित किया जाएगा। दरअसल, टँकी से आने वाले पाइप और नल के बीच पैरों से नियंत्रित होने वाला इलैक्ट्रिक पंप जोड़ा गया है। पैडल दबाने पर पंप पानी को खींचता है। इस तरह जितने पानी की जरूरत होगी, उतनी देर पैडल दबाए रखने पर ही पानी निकलेगा। पैर हटाते ही पानी की सप्लाई बंद हो जाएगी। गंदे पानी को बाहर निकालने के लिये भी पाइप लगाया गया है, ताकि इस्तेमाल किये जा चुके पानी को गमलों या क्यारियों में पहुँचाया जा सके।

सस्ता और टिकाऊ

प्रशांत बताते हैं कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर बुनियादी काम कर लिया है, लेकिन इसमें कुछ और बदलाव किये जाने हैं। लोग इस नल को बाथरूम, हॉस्टलों या होटलों में स्थापित कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि पैर से चलने वाले इस नल की कीमत मात्र 300 रुपये है। इसे शीघ्र ही बाजार में उतारा जाएगा।

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