पानी के लिए फैल सकती है अशांति

6 Feb 2012
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जल की कमी पर सरकार ने चेताया


नई दिल्ली (प्रेट्र)। सरकार ने देश के बड़े हिस्से में पानी की कमी को रेखांकित किया है। सरकार ने कहा कि इससे गंभीर सामाजिक अशांति की स्थिति पैदा हो सकती है। यह चेतावनी दी गई है कि इसके लिए 'जंग' की स्थिति पैदा हो सकती है। हाल ही में सार्वजनिक किए गए नवीनतम 'राष्ट्रीय जल नीति' मसौदे में यह बात मानी गई है कि भारत के एक बड़े हिस्से में फिलहाल पानी की कमी है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और जीवन यापन के तरीके में बदलावों के कारण पानी की मांग बढ़ी है। इससे जल सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। नीति मसौदे के अनुसार, अभी भी कुछ हिस्सों में सुरक्षित पेयजल का मिलना मुश्किल है। मसौदे में कहा गया है कि अलग-अलग क्षेत्रों में और एक ही क्षेत्र के अलग-अलग लोगों के लिए पानी की उपलब्धता में कमी अन्यायपूर्ण है और इसमें भयंकर सामाजिक अशांति पैदा करने की ताकत है। नीति में जिन अन्य मसलों की ओर इंगित किया गया है उनमें समुद्र के जलस्तर में वृद्धि भी शामिल है। इसमें जल संसाधनों से परिपूर्ण देश के पूर्वी एवं उत्तर पूर्व भाग की भी बात की गई है। कहा गया है कि इन क्षेत्रों में जल संसाधनों के उपयोग के लिए ढांचागत सुविधाएं बहुत अच्छी नहीं हैं और साथ ही खाद्य सुरक्षा पर भी बल दिया गया है। समाज को जल की स्थानीय उपलब्धता के अनुसार पानी के उपयोग किए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

‘राष्ट्रीय जल नीति’ के मसौदे में दी है चेतावनी
• देश के बड़े हिस्से में फिलहाल पानी की कमी
• जनसंख्या वृद्धि के कारण पानी की मांग बढ़ी
• खाद्य सुरक्षा पर भी बल दिया गया

समुदाय आधारित जल प्रबंधन को मजबूत और संस्थागत किया जाना चाहिए। मसौदा में सरकार ने अच्छी जल प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक द्वारा प्रशिक्षित कर्मी की कमी की बात को माना है। मसौदा में राष्ट्रीय स्तर पर जल के लिए एक समग्र नीति अपनाए जाने की जरूरत पर बल दिया गया है। केंद्र ने वर्ष 2002 में जल नीति अपनाया था।

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