पदार्थ एवं ऊर्जा


हवा से पानी का निष्कर्षण


वैज्ञानिकों ने एक ऐसी युक्ति बनाई है जो हवा से पानी को खींचती है और जो नमी वाले स्थानों में कम-से-कम 20 प्रतिशत तक काम कर सकते हैं। सूर्य के प्रकाश के आधार पर इस उपकरण को ‘सौर संचालित हार्वेस्ट’ कहा गया है। यह विशेष प्रकार के धातु ‘मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क’ (MOF) से बना है जिसमें जिर्कोनियम धातु और एडिपिक एसिड का संयोजन होता है जो जलवाष्प को बाँधे रखता है। एमओएफ वे संरचनाएँ हैं जहाँ मैग्नीशियम या एल्यूमीनियम जैसी धातुओं को एक क्रम में कार्बनिक अणुओं के साथ जोड़ दिया जाता है जो कि गैसों या तरल पदार्थों के भंडारण के लिये कठोर व छिद्रित संरचना बनाता है। 12 घंटे की अवधि में प्रोटोटाइप डिवाइस 1 किग्रा. एमओएफ का प्रयोगकर 20 से 30 प्रतिशत आर्द्रता में 2.8 लीटर पानी निकालती है। यह अनुसन्धान एमआईटी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले की टीम द्वारा किया गया और विज्ञान में प्रकाशित किया गया।

हाइड्रोजन का धातु में बदलना


कैम्ब्रिज की हावर्ड यूनिवर्सिटी में इजाक सिल्वेरा और रंगा डिसैट ने दावा किया है कि पृथ्वी के केन्द्र में 49 मिलियन गुने वायुमंडलीय दबाव पर हाइड्रोजन सम्पीडित कर धातु उत्पादन किया जा सकता है। यह शोध जनवरी 2017 के विज्ञान में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने दो हीरों के सिरों पर हाइड्रोजन गैस को इकट्ठा किया, फिर हीरों के सिरों को आपस में मिलाकर प्रयोगशाला में 83 केल्विन (-190 डिग्री से. अथवा -310 डिग्री से.) तक ठंडा किया। इस खोज से नये उच्च तापमान प्रतिरोधी सुपरकंडक्टर का विकास किया जा सकता है।

हाइड्रोजन का धातु में बदलना

हवा से प्राप्त सस्ता एवं स्वच्छ ईंधन


कार्फिड यूनिवर्सिटी, यूके के शोधकर्ताओं ने एक सरल उत्प्रेरक प्रक्रिया के माध्यम से मीथेन से मीथेनॉल का उत्पादन करने के लिये एक नई विधि खोज की है जो ऑक्सीजन और हाइड्रोजन परॉक्साइड का उपयोग कर कम तापमान पर मीथेनॉल उत्पादन को सक्षम बनाता है। मीथेनॉल एक महत्त्वपूर्ण रसायन के रूप में वाहनों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है। वर्तमान में मीथेनॉल का उत्पादन उच्च तापमान पर प्राकृतिक गैस को तोड़कर हाइड्रोजन गैस और कार्बन मोनोऑक्साइड में तोड़कर पुनः जोड़ने से पहले किया जा सकता है।

हवा से प्राप्त सस्ता एवं स्वच्छ ईंधन

विश्व की पहली तैरती पवन चक्की


स्कॉटलैंड में विश्व की पहली तैरती हुई पवन चक्की का एक फार्म बनाये जाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है। यह फार्म समुद्र में बनाया जा रहा है जहाँ विभिन्न पवन चक्कियाँ लगाई जाने की योजना है। इसका नाम ‘हाईविंड प्रोजेक्ट’ रखा गया है। पाँच टर्बाइनों वाली परियोजना का उद्देश्य 20,000 घरों को बिजली देना है। यह विंडफार्म लगभग 4 वर्ग किमी जल क्षेत्र को घेरता है। ब्लेड सहित टावर की कुल ऊँचाई 175 मीटर होगी। प्रत्येक टावर का वजन 11,500 टन होगा तथा प्रत्येक ब्लेड 75 मीटर लम्बा होगा जो किसी एयरबस के पंखों के बराबर होगा।

विश्व की पहली तैरती पवन चक्की

दुनिया का सबसे तेज लेजर


हाल ही में शोधकर्ताओं ने दुनिया का सबसे तेज लेजर विकसित किया है। यह लेजर काफी सटीक है तथा ऑप्टिकल परमाणु घड़ी को अधिक सटीक बनाने के साथ-साथ आइंस्टीन के ‘सापेक्षता के सिद्धान्त’ का परीक्षण करने में भी मदद करेग। शोधकर्ताओं ने केवल 10 मिलीहर्ट्ज की लाइनविड्थ वाली लेजर को विकसित किया है, जो पहले से कहीं अधिक एक आदर्श लेजर होगा। इस लेजर लाइट के विभिन्न अनुप्रयोग हैं, जैसे- ऑप्टिकल परमाणु घड़ी सटीक स्पेक्ट्रोस्कोपी, रेडियो-एस्ट्रोनॉमी और सापेक्षता के सिद्धान्त का परीक्षण। इसके साथ ही कुछ नये क्षेत्रों में भी इसके अनुप्रयोगों की सम्भावना बढ़ रही है।

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