पेरिस जलवायु समझौते में प्रमुख भूमिका निभाए भारत

बेहद तेज गति से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को जलवायु परिवर्तन पर जिम्मेदार होना चाहिए ताकि वे दिसम्बर में पेरिस में एक सार्वभौमिक एवं अर्थपूर्ण जलवायु परिवर्तन समझौते तक पहुँच सकें। इसे एक नई और राजनैतिक जिम्मेदारी बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारा इन्तजार नहीं करती। वह हमारे साथ मोलभाव नहीं करती। इंसानों को ही टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़कर आना होगा। नई दिल्ली (एसएनबी)। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने भारत से कहा है कि वह इस साल के अन्त में पेरिस में एक अर्थपूर्ण जलवायु परिवर्तन समझौते तक पहुँचने में अहम् भूमिका निभाए। बान की मून ने मंगलवार को भारत की सबसे अधिक ग्रीन रेटेड (हरित मापदण्डों पर सबसे अधिक खरी मानी गई) इमारत इन्दिरा पर्यावरण भवन का दौरा किया और पर्यावरण एवं वन मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की।

संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन इस साल 30 नवम्बर से 11 दिसम्बर 2015 तक पेरिस में आयोजित किया जाना है। इस दौरान ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए बने एक वैश्विक समझौते को अन्तिम रूप दिया जाएगा। बान ने संवाददाताओं से कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर जारी हमारे प्रयासों के लिए मैं भारत के नेतृत्व पर यकीन करता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि संयुक्त राष्ट्र के एक बेहद महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में और एक बेहद तेज गति से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को जलवायु परिवर्तन पर जिम्मेदार होना चाहिए ताकि वे दिसम्बर में पेरिस में एक सार्वभौमिक एवं अर्थपूर्ण जलवायु परिवर्तन समझौते तक पहुँच सकें। इसे एक नई और राजनैतिक जिम्मेदारी बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारा इन्तजार नहीं करती। वह हमारे साथ मोलभाव नहीं करती। इंसानों को ही टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़कर आना होगा। जलवायु परिवर्तन हमारे दौर का एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने कहा कि वह नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता से प्रोत्साहित हैं। सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिए जाने और स्मार्ट शहर बनाने के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मैने वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में खुद देखा। मैं उम्मीद करता हूँ कि दुनिया के कई देश भारत की ऐसी पहलों को अपनाएँगे।

पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुई चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक मिशन के रूप में काम करने के जुनून के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी की सराहना की। उन्होंने हरित इमारत में ऊर्जा और जल संचयन से जुड़ी जानकारियाँ साझा की। उन्होंने कहा कि इस इमारत से हम हरित सन्देश देते हैं। इस इमारत में हम किसी आम इमारत की जरूरतों की तुलना में आधी मात्रा में जल एवं ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं।

संरा में हो अविलम्ब सुधार : प्रणब


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता पाने की भारत की आकांक्षाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से कहा कि वह अपने नेतृत्व का इस्तेमाल इसी साल विश्व निकाय में सुधारों की प्रक्रिया तेज करने के लिए करें।

राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत को अत्यन्त महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नेतृत्व निभाने की भारत सहित बहुत से देशों की आकांक्षाओं से अवगत हैं। मुखर्जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार उसकी विश्वसनीयता और वैधता को बढ़ाने के लिए जरूरी है ताकि वह आज की भौगोलिक राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व कर सके।

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजामणि ने एक वक्तव्य में बताया कि राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से कहा कि संयुक्त राष्ट्र में अपनी विश्वसनीयता और फैसलों की वैधता के लिए अविलम्ब सुधार की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को कम-से-कम संयुक्त राष्ट्र के 70वें वर्ष में आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

बान ने कहा कि पेरिस की घटना के बाद दुनिया ने भारी एकजुटता दिखाई लेकिन प्रतिबद्ध कार्रवाई अधिक महत्वपूर्ण है। मुखर्जी ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय कतिपय सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तथा 2015 के बाद के एक व्यापक विकास एजेण्डे को अन्तिम रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान तथा जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के समाधान के लिए गम्भीर राष्ट्रीय कार्रवाई तथा वास्तविक अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। विकास की भारी चुनौतियों के बावजूद भारत महत्वाकांक्षी जलवायु सम्बन्धी पहल शुरू कर रहा है।

मुखर्जी ने कहा कि भारत 1945 में अपनी आजादी से पहले ही संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन चुका था। उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों ने संयुक्त राष्ट्र के 16 में से 10 शान्ति रक्षा मिशनों में 8000 से अधिक सैनिकों और पुलिसकर्मियों के साथ भाग लिया है। बान की मून ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से भी मुलाकात की।

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