पहले पानी फिर निर्मल गांव

15 Oct 2012
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जयराम रमेश कार्यकेरम में शिरकत करते हुए
जयराम रमेश कार्यकेरम में शिरकत करते हुए
समग्र स्वच्छता अभियान, मर्यादा अभियान, निर्मल ग्राम एवं अन्य कई नाम से ग्रामीण भारत को समग्र रूप से स्वच्छ बनाने का कार्य लंबे अर्से से चल रहा है, जिसमें एक महत्वपूर्ण घटक है - खुले में शौच खत्म करना। लेकिन क्या खुले में शौच को खत्म करना आसान है? इसका सकारात्मक जवाब मिलना फिलहाल मुश्किल है क्योंकि अब तक देश में निर्मल ग्राम घोषित किए गए अधिकांश गांवों में लोग खुले में शौच आज भी जा रहे हैं। इस बात को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश भी स्वीकारते हैं। खुले में शौच जाना एक प्रवृत्ति हो सकती है, पर जब गांवों में पीने के लिए पानी जुटाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ जाती है, तब लोगों से यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वे खुले में शौच नहीं जाएं?

यही वजह है कि जयराम रमेश अब कहते हैं कि निर्मल भारत बनाने की सबसे बड़ी चुनौती गांवों में पानी की व्यवस्था करना है। पानी एवं शुद्ध पेयजल के अभाव में निर्मल भारत संभव नहीं है। अगले 10 सालों में निर्मल भारत बनाने का सपना साकार करने के लिए हमें उसके पहले पानी की व्यवस्था करनी होगी। मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित निर्मल भारत यात्रा में केंद्रीय मंत्री ने मध्य प्रदेश की इस बात के लिए सराहना की कि यहां सबसे पहले ‘नल-जल योजना’ वाले गांवों को निर्मल ग्राम बनाने के लिए पहल की जा रही है। मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि मध्य प्रदेश में सरकार ने नल-जल योजना वाली 7 हजार 300 गांवों को मार्च 2013 तक निर्मल बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर 68 प्रतिशत लोग खुले में शौच करें तब यह नहीं कहा जा सकता कि हमें पूरी आजादी मिल गई है। शौचालय निर्माण में अनुदान देने के बारे में विधवा एवं विकलांगों के लिए भी विशेष प्रावधान करने की मध्य प्रदेश शासन की मांग पर जयराम रमेश ने सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत साढ़े चार हजार रुपए की राशि प्रति शौचालय बनाने पर आसानी से मिलना उपलब्ध कराना चाहिए। देश में 8 लाख 40 हजार आशा कार्यकर्ता हैं, 14 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं एवं 25 लाख महिला स्वयं सहायता समूह भी हैं। इनका सहयोग भी स्वच्छता एवं पेयजल के कार्यों में लिया जाना चाहिए। श्री रमेश ने बैतूल जिले की अनिता की चर्चा करते हुए बताया कि उससे प्रेरित होकर हरियाणा में ‘‘शौचालय नहीं, तो दुल्हन नहीं’’ का नारा गूंज रहा है।

निर्मल ग्राम अभियान महिलाओं की सुरक्षा, आत्मसम्मान तथा गरिमा से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण अभियान है। अभियान का मुख्य उद्देश्य कुपोषण से मुक्ति भी है। निर्मल भारत यात्रा 3 अक्तूबर को सेवा ग्राम वर्धा से शुरू की गई है एवं 55 दिनों बाद 19 नवंबर को बेतिया में समाप्त होगी। अगले 10 साल में भारत के सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों को पूर्ण स्वच्छ बनाये जाने का लक्ष्य है। अभी तक 28 हजार ग्राम पंचायतें निर्मल हो चुकी हैं। यात्रा का आयोजन वॉश युनाइटेड द्वारा क्विकसैंड डिजाइन स्टूडियो के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय, युनिसेफ, अर्घ्यम, वाटर एड सहित कई संस्थाएं सहभागी हैं।

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