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Paigong lake in Hindi

पैगांग झील को विश्व की सबसे ऊंची, गहरी और लम्बी झील कहा जाता है। समुद्र तल से 14,000 फुट की ऊंचाई पर लेह से 980 कि.मी. दूर लद्दाख पर्वत श्रृंखला के आंचल में खारे पानी की पैंगांग झील पसरी हुई है। संभवतः यह विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित है। पैंगोंग झील 150 कि.मी. लम्बी और 700 फुट से लेकर चार कि.मी. चौड़ी है। एक तरह से यह पहाड़ी समुद्र की तरह है। इसकी गहराई 120 से लेकर 200 फुट तक है। इस झील के पानी का कहीं निकास नहीं है, इसलिए इसके किनारे पर नमक की तह भी देखी जा सकती है। इस खारी झील में पहाड़ों से गिरने वाली बर्फ के कारण अनेकों खनिज पदार्थ जमा हो गये हैं, जिससे इस का तल ऊपर उठता जा रहा है। पानी के अभाव में यह झील सिमटने लगी है। वर्ष के तीन माह यह झील जमी रहती है, जिस पर जीप चलाई जा सकती है। सूर्य की किरणों के बदलने के साथ इस झील का रंगीन पानी भी बदलता रहता है।

इस पहाड़ी पर व झील के निर्मल जल में लाल रत्न बेशुमार बिखरे पड़े हैं, लेकिन इन अनगढ़ पत्थरों को खोज पाना काफी श्रम साध्य है। इस झील के तीन हिस्से चीन के पास हैं। अब तक इस झील तक प्रवेश सरकार द्वारा बंद था लेकिन अब चीन सरकार से समर्थन व सहयोग के बाद सरकार इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है।

लद्दाख की समूची घाटी झीलों और नदियों से भरपूर है। इस बर्फीली घाटी के उत्तर में विशाल हिमालय और दक्षिण में पीर पंजाल श्रृंखलाएं हैं। इस घाटी के तीनों दर्रों का विशेष महत्व है, जो रोहतांग, बारालाचा तथा कुंजम दर्रे के नाम से जाने जाते हैं। बारालाचा दर्रा के दक्षिण-पूर्व के किनारे से चन्द्रा नदी, दक्षिण-पश्चिम किनारे से भागा नदी तथा उत्तरी किनारे से चेनाब नदियां निकलती हैं। कुंजम दर्रे से स्पीती नदी का उद्भव होता होता है। यह नदी स्पीती घाटी से गुजरते हुए किन्नौर जिले कि सतलुज नदी में गिरती है। बारालाचा दर्रे से चन्द्रा के उद्भव के पास स्थित सूरज ताल से भागा नदी के निकलने पर दोनों मिलकर तांबी में गिरती हैं तब वहां चन्द्र भागा कही जाती है, और आगे बढ़ने पर वहीं चेनाब कहलाती है।

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