प्रदूषण खत्म करने में कोई बाधा नहीं आएगी

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गंगा-यमुना में व्याप्त प्रदूषण को खत्म करने की उमा ने दोहराई प्रतिबद्धता


गंगागंगादिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण को समाप्त करने में दिल्ली सरकार को अपने मंत्रालय का पूरा सहयोग देने का आश्वासन देते हुए उमा भारती ने बुधवार को कहा कि इस कार्य में किसी प्रकार के सरकारी प्रोटोकॉल को आड़े नहीं आने दिया जाएगा।

श्राद्ध के दौरान तर्पण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि अब गंगा का पानी कई जगहों पर पशुओं के उपयोग के लायक भी नहीं रह गया है। जल विपदा और जल प्रबंधन के बारे में यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने यमुना और गंगा के बारे में उक्त बातें कहीं।

इस अवसर पर उन्होंने विलुप्त सरस्वती नदी को खोजने में ‘कोई कोर कसर नहीं छोड़ने’ संबंधी संसद में दिए गए अपने बयान पर हुई प्रतिक्रियाओं का जवाब देते हुए कहा कि इस खोज के पीछे कोई धार्मिक भावना काम नहीं कर रही है बल्कि इसके जरिए पानी के स्रोतों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।

नदियों को जोड़ने की योजना को लेकर उठाई जा रही आशंकाओं का उल्लेख करते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि नदियों को जोड़े जाने से पर्यावरण संतुलन और नदियों के जीव-जंतुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।

देश की कुछ नदियों को आपस में जोड़ने के कार्य को अगले 10 साल में पूरा करने की सरकार की योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने से देश में नदियों के जल की सर्वत्र उपलब्धता होगी और बाढ़ के पानी का भी समुचित उपयोग किया जा सकेगा।

‘तीन साल में गंगा को अविरल निर्मल करने के प्रति प्रतिबद्ध सरकर’


केंद्र की सत्ता संभालने के पहले दिन से ही गंगा की धारा को अविरल तथा निर्मल बनाने के अभियान में जुटी मोदी सरकार ने कहा है कि इस लक्ष्य को तीन वर्ष में पूरा कर किया जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने यहां जल संरक्षण पर एक सेमिनार में कहा कि तीन वर्ष के भीतर गंगा की धारा को अविरल तथा निर्मल बना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कार्य योजना बनाई जा रही है और समय रहते इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।

कई विभाग तथा एजेंसियां इस काम में लगी हैं। उन्होंने कहा कि नारी और नदी की स्थिति एक जैसी है और दोनों को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए भी सरकार काम कर रही है। भारती ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2015 तथा 2016 को जल संरक्षण वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और इसके तहत साल भर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जाएगी।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार नदियों को जोड़ने की परियोजना के प्रति भी वचनबद्ध है। यह काम अगले कुछ वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना पर काम करते समय पर्यावरणविदों तथा विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा। परियोजना का उद्देश्य जल संरक्षण करना है।

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