पर्यावरण के ये हैं सच्चे रखवाले

6 Sep 2012
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कचरा बीनते हैं, जैविक खाद बनाते हैं और पौधे उगाकर बांटते हैं।


यहां सभी मिलकर पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं। पौधे उगाने के लिए शहर में जगह-जगह ठेले, खोमचे के आसपास पीकर फेंके गए जूठे पानी पाउच, घरों से निकलने वाले दूध व तेल के पैकेट व बेकार पड़े पॉलीथिन को बिनकर लाते हैं जो शहर को प्रदूषित करते रहते हैं। खाद का जुगाड़ भी वे खुद करते हैं। भिलाई। बाइक या कार से उतरकर कोई भद्र पुरुष इधर-उधर पड़े जूठे पानी पाउच बीनते या पॉलीथिन में गोबर इकट्ठे करते दिखे तो कुछ और समझ लेने की भूल बिलकुल मत कीजिएगा। हो सके तो आप भी आगे बढ़कर हाथ बंटाएं। ये कोई और नहीं शहर को प्रदूषण मुक्त रखने और हरियाली बांटने वाले पर्यावरण के रखवाले हैं। वे गोबर व कचरा इकट्ठा कर जैविक खाद बनाते हैं और बेकार पॉलीथिन में पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं।

शहर में बीएसपी कर्मचारियों का एक ऐसा कुनबा है, जो पर्यावरण संरक्षण और हरियाली के लिए तन-मन से जुटा है। कारखाने के अलग-अलग विभागों में हाट शॉप में काम करने वाले ये कर्मचारी रोज आठ घंटे की ड्यूटी के बाद अपना बाकी समय प्रकृति की सेवा में लगाते हैं ताकि शहर की आबोहवा अच्छी रहे। ये रहते तो हैं टाउनशिप के अलग-अलग सेक्टर्स में और काम भी अलग-अलग विभाग में करते हैं, लेकिन समाज और पर्यावरण के प्रति दायित्व बोध ने इन्हें एकजुट कर दिया है। इन्होंने मरोदा सेक्टर में एल-पाकेट, थ्री सी आवास के सामने खाली मैदान में एक छोटी से बाड़ीनुमा घेरा बना रखा है।

यहां सभी मिलकर पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं। पौधे उगाने के लिए शहर में जगह-जगह ठेले, खोमचे के आसपास पीकर फेंके गए जूठे पानी पाउच, घरों से निकलने वाले दूध व तेल के पैकेट व बेकार पड़े पॉलीथिन को बिनकर लाते हैं जो शहर को प्रदूषित करते रहते हैं। खाद का जुगाड़ भी वे खुद करते हैं। उनकी गाड़ी में पॉलीथिन बैग रहता है। आते-जाते समय सुविधानुसार गोबर इकट्ठा कर ले आते हैं। उसमें कचरा व मिट्टी मिलाकर जैविक खाद बनाते हैं। उसी से पौधे उगाते हैं। नर्सरी में अभी एक हजार फलदार व छायादार पौधे हैं। लहलहा रहे हैं। आम, केला, करौंदा, नीबू के पौधे तैयार हो चुके हैं।

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