पर्यावरण को समर्पित गणेश प्रतिमा

Ganesh statue
Ganesh statue

पानी और पर्यावरण के लिये उठाए विशेष कदम


धार। जिलास्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय धार के विद्यार्थियों ने शिक्षकों की प्रेरणा से इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएँ बनाई थीं। इन गणेश प्रतिमाओं का रंगरोगन करके इनको स्कूल में प्रदर्शनी लगाकर प्रस्तुतिकरण किया गया। उत्कृष्ट विद्यालय के विद्यार्थियों की यह पहल जिले भर में सराही जा रही है।

इसकी वजह यह है कि पानी और पर्यावरण के लिये शिक्षकों ने विद्यार्थियों में जो अलख जगाई थी वह यहां पर सार्थक साबित हुई है। 200 से अधिक विद्यार्थियों ने गणेश प्रतिमा बना ली है और उन पर इको फ्रेंडली रंग भी चढ़ाए गए हैं। इन प्रतिमाओं को आम लोगों की बिक्री के लिये रखा गया।

बच्चों द्वारा बनाई गई इन प्रतिमाओं को पर्यावरण हितैषी कदम मानते हुए लोगों ने बच्चों को अच्छे दाम दिये। बच्चों ने इससे मिलने वाली राशि से स्कूल में बगीचे के विकास का काम शुरू किया।

गौरतलब है कि जिले में नर्मदा नदी से लेकर अन्य तालाबों का प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इसमें एक कारण मिट्टी की बजाय प्लास्टर ऑफ पेरिस की बड़ी प्रतिमाएँ बनाई जाना है। इनके कारण लम्बे समय तक परेशानी बनी रहती है। पर्यावरण को नुकसान होता है। इन हालात में उत्कृष्ट विद्यालय में एक विशेष पहल की गई है।

दरअसल पर्यावरण के पाठ्यक्रम को पढ़ाने की बजाय उन्हें व्यावहारिक रूप में लाना जरूरी है। इसी सोच के साथ उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षकों ने एक अभिनव पहल की। जिसके तहत एक दिन की कार्यशाला के माध्यम से बच्चों को गणेश प्रतिमाएँ बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरान्त बच्चों ने बहुत ही मौलिक और सुन्दर प्रतिमाएँ बनाई।

 

प्रदर्शनी देखकर खुश हुए अधिकारी


इस प्रदर्शनी को देखकर अधिकारी भी खुश हुए हैं। कलेक्टर जयश्री कियावत खुद इसका अवलोकन कर चुकी थी। शुक्रवार को रंगरोगन करने के बाद गणेश प्रतिमाओं की जो प्रदर्शनी लगाई गई थी उसे देखने के लिये एसडीएम नीरजसिंह पहुँचे। प्रत्येक बच्चे द्वारा जो भी गणेश प्रतिमाएँ बनाई गई हैं। मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से तैयार हुई ये गणेश प्रतिमाएँ अब घर-घर पहुँचे इसके लिये भी विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों ने अभिनव प्रयास किया है।

 

मूल्य पर्यावरण हितैषी हो


इस प्रदर्शनी के अवलोकन के बाद अब एक और पहल की जा रही है। इस पहल के तहत विद्यालय में जितनी भी गणेश प्रतिमाएँ बनी हैं उन प्रतिमाओं को बेचा जाएगा। यहाँ बेचना शब्द उचित नहीं है। बल्कि पर्यावरण हितैषी मूल्य दिया जाएगा। इस पर्यावरण हितैषी मूल्य की जिम्मेदारी तो समाज पर छोड़ दी गई है।

विद्यार्थियों द्वारा जो गणेश प्रतिमाएँ बनाई गई है उत्कृष्ट विद्यालय के बाहर डिस्प्ले किया गया। जिससे कि समाज के लोग देखें और प्रतिमा अपने घर पर स्थापित करें। इससे न केवल बच्चों को शिक्षा मिली है बल्कि 200 से अधिक परिवारों में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएँ पहुँचे उसके लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास है।

बच्चों द्वारा जो प्रतिमाएँ तैयार की गई हैं उनका मूल्य समाज के लोग जितना ज्यादा दे सकते हो वह पर्यावरण के हित में ही रहेगा। इसकी वजह यह है कि बिक्री से जो राशि प्राप्त होगी वह राशि निश्चित रूप से बच्चों के ही कहने पर पर्यावरण के लिये कार्य में लगाई जाएगी। इसलिये अधिक राशि एकत्रित होने पर बच्चों को लाभ नहीं मिलना है बल्कि पर्यावरण और विद्यालय परिसर की बेहतरी होना है।

 

बगीचे का विकास


इससे करीब 10 हजार रुपए की राशि एकत्रित हुई। इसमें बच्चों ने ही अपनी पर्यावरण टीम के माध्यम से बगीचे का विकास भी शुरू किया है। इस तरह की पहल पूरे जिले भर में हो इसके लिये कवायद करने के लिये कलेक्टर ने निर्देश दिये हैं।

 

 

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