पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार

26 Jul 2009
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पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।इंदौर। 'अमृतम जलम्' के तहत हुक्माखेडी (बिजलपुर) में चल रहे तालाब गहरीकरण में रविवार को सैकडों लोग जुडे। विश्व जल दिवस पर प्यासी धरती को तरबतर करने के लिए कई भागीरथों ने पसीना बहाकर बूंदों की मनुहार की। इनमें उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक जीतू जिराती, बडी संख्या में ग्र्रामीणों के साथ शहरी नागरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व खेल संगठनों के नुमाइंदे भी शामिल हुए।

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के मार्गदर्शन में अभियान की शुरूआत 16 फरवरी को हुई थी। अभियान को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भू-जल संवर्द्धन पुरस्कार 2008 के लिए चुना है। इंदौर में भी शहरी क्षेत्र के 107 कुएं, बावडियों की चिंता की जा रही है और हुक्माखेडी में चल रहा अभियान इसकी महत्वपूर्ण कडी है।

संस्था प्रणाम भारत और विधायक जिराती की अगुवाई में चल रहे अभियान को गति देने के लिए रविवार को कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे। उन्होंने भागीरथों को पानी की महत्ता याद दिलाते हुए शपथ दिलवाई। उन्होंने कुदाली थामकर तालाब के बीच के मिट्टी के टीले को खोदना शुरू किया तो देखते ही देखते सैकडों जोडी हाथ सक्रिय हो गए। पलभर में भर-भर तगारी मिट्टी तालाब की पाल तक पहुंचने लगी। तालाब की पाल से तल तक दो-दो कतारें लग गई थी। एक से भरी तगारी जा रही थी, तो दूसरे से खाली लौट रही थी। तालाब के बीच मिट्टी के टीले एक-एक कर जमींदोज हो रहे थे, तो पाल के पार मिट्टी के पहाड बनने लगे। पहला मध्यांतर सुबह 10 बजे और दूसरा 11 बजे। जब सूरज सिर पर आया तब जलपान हुआ।

कमी नहीं थी पसीना बहाने वालों की
रविवार की छुट्टी के बाद भी पानी के लिए पसीना बहाने वालों की कमी नहीं थी। कलफ लगे कुर्ते-पायजामे वाले जनप्रतिनिधियों से लेकर खेत-किसानी करने वाले मेहनतकश भी डटे थे। इस अवसर पर दिनेश मल्हार, रवि रावलिया, बलराम वर्मा, मदन पटेल, पटवारी, पूनम माली, कैलाश चौधरी, प्रकाश मुनीम, दिलीप मामा, राजू मिस्त्री, आसिफभाई, रमेश भट्टीवाला, बबलू शर्मा, अतुल तिवारी, भारती पाटीदार, फूलवती सूर्यवंशी मौजूद थीं।

संस्था प्रणाम भारत के रीतेश शर्मा, नीलेश चौधरी अश्विन पटेल, ऋषि खनूजा, मंदीपसिंह बाजवा, रामेश्वर गुडडा, मोहनसिंह ठाकुर, अरविंद पटेल, संजय अडसपुरकर, कपिल खिल्लारी, रेहान खिलजी, भजन पटवारी, अनिल आर्य, मनीष नागदावाला, पंकज कपाटे, पवन चौधरी, अतुल आंदले, गोलु महावर, मुकेश दांगी, अनिल श्रीवास्तव, अंकुर छत्रपति शिवाजी समिति के रीतेश सालुंके, हीरालाल उस्ताद व्यायामशाला के जीतेंद्र तिवारी, रामलाल बोरासी, राजू चौधरी,म.प्र. सॉफ्टबाल एसोसिएशन के प्रवीण अनावरकर, राजकुमार सहगल, प्रदीप नारूलकर, समीर गुप्ता, अशोक अग्र्रवाल, राहुल पंडीत मनीष जायसवाल, भारत जोशी, रामजी शर्मा, म. प्र. खो-खो एसोसिएशन के जगदीश वर्मा, हेंडबाल एसोसिएशन के प्रीतपाल सलूजा, समर्थ क्रीडा मंडल शेलेष मजूमदार व श्रीकांत थोरात, विकलांग कल्याण जागृति मंच के हेमंत शर्मा, महेश सोलंकी, मायादेवी, उर्मिला, चंद्रभान, सिद्धीपुरम रहवासी संघ के अध्यक्ष रमणभाई पटेल, सचिव अरूण बर्वे, सुभाष मिश्रा ने श्रमदान कर योगदान दिया।

महिलाओं ने भी छोडा चूल्हा-चौका
रविवार को पसीना बहाने वालों मे महिलाओं ने भी पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर श्रमदान किया। महिलाएं अपना चूल्हा-चौका छोड बडी संख्या में शामिल हुई। उन्होने रविवार के छुट्टी के दिन का लुत्फ न उठाते हुए अपना पूरा दिन श्रमदान के नाम कर दिया और जल सरंक्षण दिवस पर अपना भरपुर योगदान दिया। किसी ने फावडा उठाया तो किसी ने तगारी उठाई। कार्यक्रम में हंसमुख महिला मंडल राजमोहल्ला की महिलाएं, लायनेस क्लब ऑफ इंदौर गौरव, व्यकेंट्श महिला मंडल एवं सन्मति सोशल ग्रुप शामिल हुआ।

राऊ तक पहुंचा अभियान
अभियान रविवार को राऊ भी पहुंच गया। वहां दिगंबर जैन सौशल ग्र्रुप पुष्प ने जल बचाओ-जीवन बचाओ के नारे के साथ रैली निकाली और लोगों से संकल्प पत्र भरवाए। संयोजक डॉ. आर.के. जैन के मुताबिक घर-घर जाकर पानी बचाने की गुहार की गई। शुरूआत तेजाजी चौक से हुई। डॉ. रवींद्र जैन एवं प्रो. महेंद्र जैन की अगुवाई में पहला संकल्प पत्र भाजपा नेता कंचनसिंह चौहान और नगर पंचायत अध्यक्ष मनोज सूले ने भरा।

रैली में वेटरनरी कालेज महू के छात्र पानी बचाने के आकर्षक स्लोगन लेकर चल रहे थे। जैन समाज की वयोवृद्ध महिला किशनदेवी जैन ने खुद संकल्प लिया और लोगों से आग्र्रह भी किया। अभियान में राऊ के पार्षद, लघु उद्योग निगम के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्रसिंह नीमखेडा, अनील झा, मनजीत भाटिया, बालाराम बालोलिया, रमेश चौधरी, गजानंद मंडले, सुनील मुकाती, मदन चौधरी, मुकेश कोतवाल, माखन मंडले, चंद्रशेखर डिंगू, पुष्प ग्र्रुप के सुमतप्रकाश जैन, प्रबोध जैन, विनोद सेठिया, गजेंद्र गांधी, प्रवीण जैन, संजय जैन, सुरेश जैन, एस.के. जैन, चंदनबाला जैन, अर्चना जैन, संध्या जैन, जयश्री जैन, पूनम जैन, डिसेंटबाला जैन, सुषमा सेठिया शामिल थे। आभार सचिव राकेश विनायका ने माना।

चार दिनों में ही निकल आया बावडी से पानी
आओं सहेजे कुएं-बावडी अभियान की पहली सफलता नारायण पटेल बगीचे की बावडी में दिखी। बरसों से कचरे से भरी बावडी रविवार को पूरी तरह साफ हो गई। इसी के साथ 15 साल से अपनी सफाई का इंतजार कर रही इस बावडी को विश्व जल संरक्षण दिवस पर नया जीवन मिल गया। इतना ही नहीं रहवासियों की महज चार दिनों की मेहनत से इसमें अमृत की धार भी बह निकली। उनके इस कार्य ने शहर में पारंपरिक जल स्त्रोतों के जीर्णोद्घार के रास्ते तो खोल दिए, लेकिन नगर-निगम और जनप्रतिनिधियों के कार्यो पर सवाल खडे कर दिए हैं। जो काम निगम और पार्षदों ने 15 सालों में नहीं किया उसे रहवासियों ने पत्रिका की पहल पर महज चार दिनों में कर दिखाया।

17 मार्च को इट्स इंदौर में पानी है पर पीने के लिए नहीं नाम से खबर प्रकाशित की गई थी। इसमें कांटा रोड मंदिर स्थित कुएं व बावडी का हाल बयां किया गया था। इसके प्रकाशित होते ही रहवासी आगे आ गए। उनके आगे आते ही वार्ड पार्षद अनिल बिंदल भी सहयोग के लिए आगे आए। अभियान को सफल बनाने के लिए जबलपुर निवासी शिवानंद तिवारी ने इसके सफाई की जिम्मेदारी ली। उनके साथ 50 से भी ज्यादा लोग साथ हो लिए। फिर ट्रॉली मशीन और पांच मजदूरों के साथ अमृत निकालने का कार्य शुरू हो गया। लगातार काम चलता रहा। बावडी के सामने कचरे का ढेर लग गया।

लोगों की कडी मेहनत आखिर रंग लाई और अमृतधारा बह निकली। इसी के साथ सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे। हालांकि अभी भी काम जारी है। शिवानंद तिवारी कहते हैं कि जब से पत्रिका में अभियान के बारे में पढा तब से इस ओंर आने का संकल्प लिया। इस का श्रेय पत्रिका को जाता है। रहवासी सुमन लामभाते को पानी देखकर बहुत खुशी हुई। उन्हें जब पता चला कि पानी आ गया है तो सभी काम छोडकर भागती हुई पानी देखने आई। रामगोपाल पटेल कहते हैं कि 15 साल बाद बावडी में पानी आया। इसका श्रेय पत्रिका को देना चाहूंगा।

पहले क्यों नहीं हुई सफाई
लंबे समय से पारंपरिक स्त्रोतों की सफाई की बात की जा रही थी। बावजूद इसके सफाई नहीं हुई। निगम व जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों से मुकरते रहे। सोचने वाली बात यह है कि जब 50 लोगों की मदद से एक बावडी का जीर्णोद्घार हो सकता है, तो शहर के 107 कुएं व बावडियों को पुनर्जीवित क्यों नहीं किया जा सकता।
 

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