पटना का ये जंगल हरित क्रांति का पर्याय बन रहा है

15 Jun 2019
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तरुमित्र जंगल।
तरुमित्र जंगल।

इस समय पर्यावारण बदलाव की चपेट में है, मौसम से लेकर हवा तक सब कुछ बेहद चिंताजनक है। हाल ही में यूके की गैस व तेल कंपनी ब्रिटिश पेट्रोलियम ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया गया है कि 2018 में कार्बन उत्सर्जित करने की दर दो प्रतिशत बढ़ गई है। 2010-11 के बाद ये वृद्धि सबसे ज्यादा है। ऐसे में अपने पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए काम करने की जरूरत है। भारत की ‘तरुमित्र’ संस्थान ऐसा ही कुछ रही है।

पटना शहर के बीचों बीच दस एकड़ में फैला तरुमित्र जंगल बच्चों का खास दोस्त और शिक्षक बन चुका है। देश-विदेश के पांच हजार से अधिक स्कूल काॅलेज बतौर सदस्य इससे जुडे़ हुए हैं, जिनके हजारों छात्र भी तरुमित्र फोरम के सदस्य हैं। 1986 में पटना में तरुमित्र आश्रम की स्थापना हुई थी, जहां एक समृद्ध जंगल मौजूद है। 500 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के पेड़-पौधे इस जंगल की सुंदरता बढ़ाते हैं। बच्चे यहां खेल-खेल में पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हैं। ‘तरुमित्र आश्रम‘ के नाम से विख्यात यह जंगल पटना के दीघा आशियाना मार्ग की एक ओर स्थित है। स्थापना के बाद आश्रम की कमान संभाली फादर राॅबर्ट अर्थिकल ने। उन्होनें धरती के नाम पर ही अपने नाम में अर्थिकल शब्द जोड़ा। उनके कमान संभालने के बाद तरुमित्र निरंतर विकास की दिशा में बढ़ रहा है। तरुमित्र आश्रम में छात्रों का फोरम भी है।

यहां पर विभिन्न देशों से आए छात्र पर्यावरण संरक्षण का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। वर्तमान में आश्रम के 5 हजार से अधिक स्कूल काॅलेजों से छात्रों की टीम अकसर आश्रम में आती रहती है। आश्रम में पूरी तरह से जंगल के कानून लागू होते हैं। यानी प्रकृति के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करना मना है। ये जंगल काफी समृद्ध है, सैकड़ों वृक्षों के बीच यहां 500 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के पेड़-पौधे भी मौजूद हैं। यहां पर पाटली के भी कई वृक्ष हैं, जिनके बाग होने के कारण पटना का पूर्व में नाम पाटलिपुत्र रखा गया था। रुद्राक्ष सहित कई अन्य विशेष प्रजातियों के पेड़ भी यहां मिल जाएंगे। आश्रम के नियमों के अनुसार किसी भी पेड़ से एक भी टहनी या पत्ती तोड़ने की मनाही है। अगर आंधी के दौरान कोई पेड़ गिर भी जाता है तो उसे उसी तरह छोड़ दिया जाता है। गिरा पेड़ धीरे-धीरे सड़कर मिट्टी में मिल जाता है। लेकिन गिरे पेड़ों को काटा नहीं जाता है। तरुमित्र आश्रम को संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण शाखा से मान्यता प्राप्त है। यहां के प्रतिनिधि प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित होने वाले पर्यावरण सम्मेलन में भाग लेने जाते हैं। यहां के सदस्य कई बार विश्व मंच पर उल्लेखनीय प्रदर्शन कर चुके हैं।

बन गया अभियान 

तरुमित्र आश्रम के बच्चे न केवल आश्रम में पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्प लेते हैं, बल्कि पटना में भी संरक्षण के लिए निरंतर अभियान चलाते हैं। तरुमित्र के निदेशक फादर राॅबर्ट का कहना है कि इस समय गंगा शहर से काफी दूर चली गई है। गंगा की भूमि पर पौधे लगाने की जरूरत है। इससे पटना शहर को एक हरित पट्टी मिल सकती है।

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