रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य

23 Jun 2009
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Rainwater harvesting
Rainwater harvesting

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि सम्पूर्ण जिले में भवनों के नक्शे स्वीकृत करते समय उनमें “रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” (Rainwater Harvesting) का होना अनिवार्य करें एवं इसका कड़ाई से पालन किया जाये। न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा है कि भवन मालिकों को पूर्णता प्रमाण-पत्र तथा भवन का कब्जा देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाये कि यह सिस्टम मकान मालिक द्वारा लगाया जा चुका है।

“ह्यूमन यूनिटी मूवमेंट” नामक एक सामाजिक संस्था द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस एस अम्बवानी तथा एससी अग्रवाल की खण्डपीठ ने जिला दण्डाधिकारी को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि वर्षाजल एकत्र करने वाला यह सिस्टम सभी सरकारी भवनों में लगाया जाये। माननीय न्यायालय ने वहाँ के रजिस्ट्रार जनरल को उच्च न्यायालय परिसर में भी यह “सिस्टम” लगाने का निर्देश दिया। इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, जिला दंडाधिकारी तथा इलाहाबाद नगर निगम को इस सम्बन्ध में उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से न्यायालय को लगातार बताने के भी निर्देश जजों ने दिये।

राममनोहर लोहिया नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के विवेक विल्सन तथा मोहम्मद अंसारी एवं बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के विवेक चौहान, नामक कानून के तीन छात्रों ने शहर का एक व्यापक सर्वेक्षण किया और पाया कि प्राधिकरण के रिकॉर्ड के मुताबिक सिर्फ़ 43 इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाया गया है। जबकि सन् 2001 एवं 2003 के सरकारी आदेशों के बावजूद, न तो नगर निगम, ना ही प्राधिकरण किसी ने इस बारे में और इस सिस्टम को लगाने हेतु कोई कोशिश ही की, न ही जनजागरण अभियान चलाया।

उल्लेखनीय है कि गंगा एवं यमुना के संगम पर होने के बावजूद, इलाहाबाद शहर का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा चुका है, एवं इस वजह से पेयजल संकट तो उत्पन्न हो ही रहा है, कई क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था के मामले भी सामने आने लगे हैं। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित किया कि नगर के किसी भी स्कूल में यह रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है। उन्होंने न्यायालय से अपील की कि नगर के सैकड़ों शासकीय एवं निजी स्कूलों को यह सिस्टम लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जाये।

“ह्यूमन यूनिटी मूवमेंट” ने अपनी याचिका में विशेषज्ञों द्वारा दी गई कई रिपोर्टों को सम्मिलित किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि यह सिस्टम अधिकतर मकानों और इमारतों में लगवा दिया जाये तो निश्चित रूप से भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी एवं आम जनता के एक बड़े हिस्से को काफ़ी राहत मिलेगी।

न्यायालय ने सभी सम्बन्धित पक्षों को उनकी रिपोर्ट रखने हेतु तीन सप्ताह का समय दिया, तथा इस याचिका पर अगली सुनवाई 13 जुलाई को निर्धारित की गई है।

Tags- Supreme court, Allahabad high court, Rain water harvesting

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