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Riwalsar, Kamarunag and Parashar Lake in Hindi

व्यास नदी के तट पर बसा हुआ मंडी नगर सैलानियों के लिए स्वर्ग है। महर्षि वेदव्यास ने इसी स्थान पर महाभारत की रचना की थी। सैंकड़ों धार्मिक पूजा स्थलों के कारण इसे छोटी काशी भी कहा जाता है। इस घाटी के प्रमुख आकर्षण रिवाल्सर, कमरूनाग, पाराशर झील हैं। इनका लुभावना दृश्य मन मोह लेता है। समुद्रतल से 1,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रिवाल्सर झील मंडी से 25 कि.मी. दूर है। इस झील के समीप सिखों का गुरुद्वारा है जो गुरुजी के वहां पधारने की स्मृति में बना है। गुरुजी के दर्शनार्थ सभी धर्मों के लोग वहां पहुंचते हैं। बौद्ध मतावलम्बी मानते हैं कि सुप्रसिद्ध बौद्ध आचार्य पद्मसंभव यही से तिब्बत को धर्म के प्रचारार्थ रवाना हुए थे। हिन्दू मत है कि महर्षि लोमश ने शिव की प्रसन्नता के लिए यहां घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें रिवाल्सर झील में तैरते सात द्वीप वरदान में दिये थे। नयना देवी का मंदिर इसके उत्तर में है।

पाराशर झील मंडी नगर से 40 कि.मी. दूर उत्तर-पूर्व में 4,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा आधा कि.मी. के क्षेत्र में फैली है। गोलाकार पहाड़ियों के मध्य में स्थित होने से प्रकृति की किलेबंदी इस झील की शोभा और बढ़ाती है। नाव के आकार की इस झील में एक छोटा सा टापू है। जून के महीने में जहां भारी मेला लगता है, जो सरना हुली के नाम से विख्यात है। पाराशर मुनि की स्मृति में इसी झील के तट पर मंदिर स्थित है, जिसे 700 वर्ष पूर्व मंडी के राजा बाणसेन ने बनवाया था।

कमरूनाग झील के चारों ओर देवदार के घने जंगल हैं। कमरूनाग झील कसोर घाटी में है। इस झील के किनारे कमरूनाग देवता का एक प्राचीन मंदिर है, जो पहाड़ी शैली का अद्भुत नमूना है।

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