सानंद के साथ बदसलूकी, भरत झुनझुनवाला पर हमला

23 Jun 2012
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22 जून की सुबह जी.डी अग्रवाल के साथ धारी देवी के जाने के दौरान बांध समर्थकों ने बदसलूकी की और उनकी गाड़ी का पीछा किया और पथराव किया। फिर बाद में प्रसिद्ध लेखक भरत झुनझुनवाला के घर पर तोड़फोड़ की।

पुलिस स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद को अपनी गाड़ी में बैठाकर धारी देवी मंदिर से निकली तो बांध समर्थक भी बाइक और कारों में सवार होकर पीछे हो लिए। उन्होंने लछमोली तक पुलिस वाहन का पीछा किया। रास्ते में ढामक, चमधार, श्रीनगर, कीर्तिनगर और जुयालगढ़ में पुलिस वाहन रोकने का भी प्रयास किया गया। इस दौरान उन्होंने वाहन पर पथराव कर सानंद पर स्याही डालने की कोशिश भी की। यहां पहुंचे बांध समर्थकों का अगला निशाना सानंद के मित्र डॉ. झुनझुनवाला बने। लछमोली में उनके आवास पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की गई। बांध समर्थकों ने उनके चेहरे पर स्याही उड़ेली और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की।

22 जून 2012 जागरण टीम, श्रीनगर / हरिद्वार। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना बंद होने की चर्चा के बीच पहली बार धारी देवी मंदिर पहुंचे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद (प्रो.जीडी अग्रवाल), जल पुरुष राजेंद्र सिंह और वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक को परियोजना समर्थकों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। हालात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस सुरक्षा में उन्हें वहां से निकाला गया, लेकिन गुस्साए लोगों ने उनका 19 किलोमीटर दूर लछमोली तक पीछा किया। उग्र रूप ले चुके प्रदर्शनकारियों ने यहां भी जमकर बवाल काटा। इन लोगों ने स्वामी सानंद के मित्र वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.भरत झुनझुनवाला के घर पर जमकर तोड़फोड की। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने डॉ. झुनझुनवाला के चेहरे पर स्याही उड़ेल दी और पत्‍‌नी के साथ मारपीट की। उधर, सानंद और उनके साथियों को पुलिस ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार ले गई। दोपहर बाद सानंद को पुलिस सुरक्षा में मुजफ्फरनगर के लिए रवाना कर दिया गया। उधर, देर शाम डॉ. भरत झुनझुनवाला ने पांच लोगों के खिलाफ नामजद तहरीर राजस्व पुलिस को दी है।

बांध समर्थकों का तर्क है कि ऊर्जा देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभियान गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए चलाए जाने चाहिए, परियोजनाओं के विरोध में नहीं। प्रशासन के अनुसार स्वामी सानंद गुरुवार देर शाम जलपुरुष राजेंद्र सिंह, डॉ. वेद प्रताप वैदिक और दो अन्य लोगों के साथ श्रीनगर पहुंचे। बाबा काली कमली धर्मशाला में रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार सुबह लगभग साढ़े सात बजे साथियों समेत सानंद धारी देवी मंदिर पहुंचे। इसी दौरान बांध समर्थकों को उनके यहां पहुंचने की भनक लग गई। इस पर बड़ी संख्या में समर्थक मंदिर के पास जमा हो गए। पूजा-अर्चना तक तो सब ठीक-ठाक चला। इसके बाद सानंद ने अपने समर्थक आंदोलनकारियों के बीच जाने की बात की, पर सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। इसी बीच बांध समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर पुलिस सानंद को अपनी गाड़ी में बैठाकर वहां से निकली तो बांध समर्थक भी बाइक और कारों में सवार होकर पीछे हो लिए। उन्होंने लछमोली तक पुलिस वाहन का पीछा किया। रास्ते में ढामक, चमधार, श्रीनगर, कीर्तिनगर और जुयालगढ़ में पुलिस वाहन रोकने का भी प्रयास किया गया। इस दौरान उन्होंने वाहन पर पथराव कर सानंद पर स्याही डालने की कोशिश भी की।

यहां पहुंचे बांध समर्थकों का अगला निशाना सानंद के मित्र डॉ. झुनझुनवाला बने। लछमोली में उनके आवास पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की गई। बांध समर्थकों ने उनके चेहरे पर स्याही उड़ेली और उनकी पत्नी के साथ मारपीट की। प्रदर्शनकारियों ने डॉ. झुनझुनवाला से साफतौर पर कहा कि वे बांध के समर्थन में आएं अन्यथा यहां से चले जाएं। इसके बाद डॉ. झुनझुनवाला ने पुलिस प्रशासन को घटना की सूचना दी। दोपहर बाद उनके आवास पर सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए। पूरे मामले पर टिहरी के जिलाधिकारी डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर, हरिद्वार पहुंचने पर स्वामी सानंद ने कहा कि उनका धारी मंदिर में किसी तरह का कार्यक्रम नहीं था। उन्होंने कहा कि वे लोग बदरीनाथ यात्रा पर थे और श्रीनगर में रात्रि विश्राम और दर्शन के लिए रुके थे। हरिद्वार में कुछ देर ठहरने के बाद पुलिस सुरक्षा में उन्हें मुज्जफरनगर तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया।

सानंद की धारी यात्रा पर बवाल


शुक्रवार सुबह सहयोगियों समेत धारी पहुंचे स्वामी सानंद के साथ जो कुछ हुआ, उससे प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। तीन सप्ताह पहले लछमोली में ठहरे स्वामी सानंद को प्रशासन ने धारी देवी यात्रा की इजाजत नहीं दी थी। आखिर इस बार क्या कारण रहे कि उन्हें धारी तक आने की अनुमति दे दी गई। इतना ही नहीं डॉ. भरत झुनझुनवाला के घर पर तोड़फोड के दौरान भी पुलिस प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में है। आरोप है पुलिस भी लगभग एक घंटे बाद मौके पर पहुंची। मई के अंतिम सप्ताह में एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद स्वामी सानंद दिल्ली से अपने मित्र डॉ. भरत झुनझुनवाला के घर पहुंचे और वहां से धारी देवी मदिर जाने की तैयारी करने लगे। हालांकि तब हालात की गंभीरता को भांप प्रशासन ने उन्हें धारी मंदिर जाने की इजाजत नहीं दी और उन्हें समझाबुझा कर दिल्ली रवाना कर दिया था। जाहिर है उस वक्त भी प्रशासन को बांध समर्थकों के आक्रोश का अंदेशा था। तब भी बांध समर्थकों ने धरने प्रदर्शन कर सानंद को पहाड़ों में न घुसने देने की चेतावनी दी थी।

गुरुवार को प्रशासन को इस बात की जानकारी थी कि सानंद श्रीनगर में हैं। यही वजह रही कि धारी में दर्शन के दौरान पुलिस का इंतजाम भी किया गया। सवाल यही है कि इस बार परिस्थितियों में ऐसा क्या बदलाव आया कि उन्हें धारी पहुंचने दिया गया। इतना ही नहीं शुक्रवार सुबह स्वामी सानंद के वाहन का पीछा करते हुए लछमोली पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने डॉ. झुनझुनवाला के घर को निशाना बनाने से पहले बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एकत्र होकर विचार विमर्श किया। स बीच एसडीएम कीर्तिनगर पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और इन लोगों से कुछ बातचीत भी की। एसडीएम की गाड़ी के रवाना होते ही आंदोलनकारियों ने भी प्रो. झुनझुनवाला के घर का रुख किया और वहां जमकर तोड़-फोड़ की। टिहरी के जिलाधिकारी डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि एसडीएम को स्वामी सानंद साथ रहने को कहा गया था। घटना के करीब एक घंटे बाद तक मौके पर किसी भी पुलिस कर्मी के न पहुंचने के सवाल पर एसपी टिहरी जन्मेजय खंडूड़ी ने कहा कि घटनास्थल राजस्व क्षेत्र में होने के कारण राजस्व पुलिस को संज्ञान लेना चाहिए था।

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