सीहोर का जमोनिया तालाब संकट में

18 Sep 2009
0 mins read


मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित जमोनिया तालाब का नाका सिंचाई विभाग ने ही तुड़वा दिया है। इस नाके को तुड़वाने के पीछे क्या मकसद है। इसका अभी तक पता नहीं चल सका है, बल्कि इस नाके के टूटने से अब तालाब में चार फीट कम पानी स्टोरेज हो सकेगा। यही नहीं यदि तेज बारिश होती है तो उससे पूरा नाका बह जाएगा और तालाब में एक बूंद भी पानी नहीं बचेगा। इस पानी से दर्जनों ग्रामों की सोयाबीन फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। इस संबंध में पत्रिका ने दो जुलाई के अंक में तालाब का नाका तोड़ा शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया था। इसके बावजूद विभाग नहीं जागा और न ही इस ओर कोई कदम उठाए।

जैसे-जैसे बारिश की गति बढ़ रही है। ठीक उसी रफ्तार से जमोनिया टैंक सहित आसपास के ग्रामीणों की धड़कनें भी बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ग्राम से सटा हुआ सिंचाई विभाग के तालाब का नाका विभाग द्वारा ही तोड़ दिया गया है, जबकि इस नाके को तोड़ने का कोई औचित्य नहीं उठता है। इस नाके के टूटने से तालाब में चार फीट पानी कम रूकेगा। इसके साथ ही यदि तेज बारिश होती है तो उस दौरान पूरा नाका टूटकर बह जाएगा और एक दर्जन से अघिक ग्रामों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी।

 

बढ़ने लगीं ग्रामीणों की धड़कनें


जिस सिंचाई विभाग के आदेश पर चार से छह मजदूर वहां पर तालाब का नाका तोड़ रहे थे, तभी बहां खड़े सिंचाई विभाग के चौकीदार ने ग्रामीणों को बताया था कि यहां पर गेट लगने वाले हैं। इस कारण यह नाका तोड़ा जा रहा था। नाके को तोड़कर मजदूर वहां से चलते बने, लेकिन उसके बाद वहां पर न तो विभाग को कोई व्यक्ति पहुंचा और न ही अन्य अघिकारी पहुंचे। पिछले दिनों हुई तेज बारिश के दौरान जमोनिया तालाब में काफी पानी एकत्रित हो गया है। नाका सही नहीं से इस वर्ष चार फीट पानी कम स्टोर होगा। वहीं यदि तेज बारिश हुई तो टूटा हुआ नाका पूरी तरह से बह भी सकता है।

 

दाल में कुछ काला है


जमोनिया टैंक ग्राम के ज्यादातर लोगों का कहना है कि यह कार्य एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि तालाब की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कई ग्राम के किसानों ने कब्जा कर लिया है। इन लोगों ने यह कब्जा सिंचाई विभाग के अघिकारियों से साठगांठ कर किया है। जमीन पर कब्जा कर उनमें फसलों की बोवनी कर दी है। इस समय तालाब की काफी जमीन पर सोयाबीन की फसल की बोवनी की गई है और फसल बड़ी भी हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जिन लोगों ने यहां पर तालाब की जमीन पर बोवनी की है शायद इसलिए नाका तोड़ा गया है, क्योंकि जब नाका ही नहीं रहेगा तो तालाब में पानी भी नहीं रूकेगा और अवैध रूप से कब्जा कर फसल की बोवनी करने वाले लोगों की फसल भी हो सकेगी। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि तालाब की जमीन पर कब्जा देने के लिए सिंचाई विभाग के अघिकारियों ने लोगों को काफी राशि भी ली है, जिसके तहत यह नाका तोड़ा गया है।

 

क्यों शांत हैं लोग


ज्ञात हो कि भीषण गर्मी के दिनों में जमोनिया तालाब से ही आधे से अघिक नगर के लोगों को पानी की सप्लाई की जाती है। तालाब में संरक्षित पानी को नगर पालिका सिंचाई विभाग से खरीदकर लोगों को सप्लाई करती है। ऎसे में जब नाके को तोड़ दिया गया है तो स्वाभाविक है कि तालाब में कम पानी संरक्षित होगा और यदि तेज बारिश हो जाती है तो तालाब का पूरा पानी बह जाएगा। जमोनिया तालाब पर आए संकट को देखते हुए भी शहर के लोग और जनप्रतिनिघि पूरी तरह से शांत है।

 

नहीं है किसी के पास सही जवाब


जमोनिया तालाब का नाका तोड़ने के मामले में पत्रिका ने सिंचाई विभाग के कई अघिकारियों से बातचीत की, लेकिन किसी अघिकारी ने यह नहीं बताया कि तालाब का नाका क्यो तोड़ा गया। वहीं ज्यादातर अघिकारी यह कह रहे हैं कि हमें इस मामले की जानकारी ही नहीं है, जबकि तालाब के पानी को रोकने के लिए कुछ वर्ष पूर्व बनाए गए इस मजबूत नाके को सिंचाई विभाग के चौकीदार के सामने ही कुछ मजदूरों ने तोड़ा था।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु


— इस तालाब का निर्माण पचास वर्ष पूर्व किया गया था
— पहले इस तालाब से आसपास के खेतों की सिंचाई की जाती थी
— नगर में भीषण जलसंकट होने के कारण इस तालाब का पानी शहर में सप्लाई किया जाता है
— यह तालाब सिंचाई विभाग के अंतर्गत आता है
— तालाब में मछली पालन भी किया जाता है
— कई सालों से तालाब की पाल का मरम्मतीकरण नहीं किया गया
— तालाब की पाल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त और कमजोर हो गई है
— प्रतिवर्ष तालाब की पाल के मरम्मतीकरण के लिए लाखों रूपए आते हैं।

 

क्या कहते हैं लोग


यह सही है कि नाका टूटने से तालाब में इस वर्ष चार फीट कम पानी का संग्रहण होगा। यही नहीं यदि तेज बारिश होती है और बहाव तेज होता है तो पूरा नाका बह जाएगा और पानी एक दर्जन से अघिक ग्रामों को प्रभावित करेगा।
-गीता राठौर, सरपंच जमोनिया टैंक

शायद इसलिए नाका तोड़ा है कि तालाब की पाल जगह-जगह से कमजोर हो गई है। विभाग के पास प्रतिवर्ष तालाब की साफ-सफाई जर्जर पाल को सुधारने के लिए लाखों रूपए आते हैं, लेकिन यह कार्य न करवाकर नाका तुड़वा दिया है।
- राजेन्द्र कुमार राठौर, ग्रामीण जमोनिया

तीन-चार मजदूरों के द्वारा नाका तोड़ा जा रहा था। उस समय सिंचाई विभाग द्वारा तालाब की रखवाली के लिए नियुक्त भेरू चौकीदार भी वहीं पर था, जब गांव के लोगों ने उससे बातचीत की तो उसने बताया कि विभाग के आला-अघिकारियों ने निर्देश दिए हैं, तभी यह नाका तुड़वाया जा रहा है। यहां पर गेट लगाया जाएगा, लेकिन यहां तो कुछ भी नहीं हुआ।
-सुरेश कुमार विश्वकर्मा, ग्रामीण थूना

प्रयास किया जा रहा है कि बारिश के पूर्व इसका निर्माण करवा दिया जाएगा।
- रतनलाल, एसडीओ सिंचाई विभाग

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading