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शिवगंगा निर्मल अभियान
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अक्षय तृतीया, सोमवार, 13 मई, 2013

शिवगंगा सेवा समिति


“शिवगंगा सेवा समिति”, देवघर के ऊर्जावान युवकों का समूह है। इसके सदस्यों ने आस्था की पुनर्स्थापना के लिए पौराणिक शिवगंगा पर 101 साल तक “महाआरती” का संकल्प लिया है। इनके सौजन्य से शिवगंगा तट पर अबाधित रूप से हर शाम महाआरती हो रही है। यह समिति आस्थापूर्वक जल प्रदूषण के खिलाफ जनांदोलन तैयार करने में लगी है। समिति के सदस्य सामाजिक सरोकार को प्रधानता देते हैं और सांस्कृतिक प्रोत्साहन के काम में संलग्न हैं। समिति का ध्येय है कि समाज के अंतिम सिरे पर खड़े इंसान का उत्थान हो और बैद्यनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों को धर्म, कला व शिक्षा का व्यापक लाभ मिल सके। यह झारखंड सरकार के सोसाईटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट-21, 1860 के तहत 2006-2007 में पंजीकृत है।

शिवगंगा जलजोगिनी समिति


देवघर, झारखंड में सक्रिय “शिवगंगा जलजोगिनी समिति” स्वैच्छिक संस्था “जलजोगिनी” की उपसमिति है। यह सहकारिता के विकास में लगी है। इसका भविष्य में सहकारिता के जरिए अपशेष प्रबंधन के क्षेत्र में सक्रिय होने का लक्ष्य है। यह देवघर में “शिवगंगा सेवा समिति” की सहायक समिति के तौर पर काम कर रही है। शिवगंगा के निर्मल होने तक “शिवगंगा जलजोगिनी समिति” स्थानीय लोगों के सहयोग से “जल सत्याग्रह” करती रहेगी।

जलजोगिनी की तरफ से “शिवगंगा जलजोगिनी समिति” की तर्ज पर देश के अन्य आस्था केंद्रों के मुख्य सरोवरों की दशा में सुधार के लिए समितियां बनाई जा रही हैं। ये समितियां आपस में अनुभवों के आदान-प्रदान की व्यवस्था विकसित करेंगी।

देवघर की शिवगंगा ही क्यों?


देवघर की शिवगंगा पर जलजोगिनी के प्रयास का असर दूरगामी होगा क्योंकि यह पूर्वी भारत का सबसे महत्वपूर्ण आस्था केंद्र है। यहां पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के अलावा झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडीसा, छत्तीसगढ़, असम, सिक्किम, त्रिपुरा, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से प्रति वर्ष 80-90 लाख तीर्थयात्री पूजा अर्चना के लिए आते हैं।

देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित शिवगंगा की दशा कारुणिक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शिवअनुरागी रावण ने इसे पृथ्वी पर मुष्टिका के प्रहार से धरातल लाने का काम किया। इतिहास में अकबर और अंग्रेज के जमाने में शिवगंगा के पुनरुद्धार का काम हुआ। पठारी इलाके में होने की वजह से यहां आंतरिक जलस्रोत का अभाव है। इसके लिए सदी भर पहले शिवगंगा में भूमिगत लौह पाइप बिछाकर सुदूर अजय नदी का जल लाने का काम हुआ। यह व्यवस्था आज भी मौजूद है लेकिन जल के आगमन की धार पतली से पतली होती जा रही है। शिवगंगा को साफ रखने के लिए सतत् जलनिकासी के लिए बना नाला बेकाम पड़ा है। आसपास का प्रदूषित जल शिवगंगा में पहुंचाया जा रहा है। इसे प्रभावी हस्तक्षेप से शीघ्र बचाने की जरूरत है।

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और स्वयं महादेव यहां मनोकामना लिंग के रूप में विराजमान कर रहे हैं। साथ ही यह देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां “माँ” हृदयांश है। यहां महातपस्वी “बम बम बाबा” की तपोभूमि, ठाकुर अनुकूलचंद का सत्संग स्थल और स्वामी विवेकानंद जैसे कई साधकों का साधना केंद्र है।

अक्षय तृतीया, सोमवार, 13 मई 2013


अक्षय तृतीया की तिथि सौभाग्य की कामना का दिन है। विघ्नहर्ता गणेश ने वेदव्यास की वाणी पर श्रुतिलेख लिखकर इसी तिथि को महाकाव्य महाभारत रचने का काम आरंभ किया था।

स्वैच्छिक संस्था “जलजोगिनी” स्थापना के बाद आए इस पहली पवित्र तिथि को अपने मूल ध्येय की प्राप्ति का श्रीगणेश कर रही है। इस पुनीत कार्य “शिवगंगा सेवा समिति” के सदस्य अमूल्य योगदान दे रहे हैं। “जलजोगिनी” प्रमुख आस्था केंद्रों की मुख्य सरोवर की दशा सुधारने के लिए कृतसंकल्प है।

इसके लिए देवघर में “शिवगंगा निर्मल अभियान” आरंभ किया जा रहा है। इस अभियान में सदा रत के लिए आप सुधिजन से सहयोग का आग्रह है। आप सब से शिवगंगा की स्वच्छता के लिए देवघर पहुंचने का आह्वान है।

कार्यक्रम


प्रातः 6 से 6.30 बजे तक
देवघर के स्थानीय विद्यालयों के बच्चों के साथ शिवगंगा की प्रभात फेरी
उद्देश्य- भावी कर्णधारों के जरिए शिवगंगा के संरक्षण के लिए समाज से आग्रह करना।

प्रातः 7 से 9 बजे तक
शिवगंगा की स्वच्छता के लिए सामूहिक श्रमदान
उद्देश्य- जनसहभागिता से शिवगंगा की दशा बदलने का संकल्प लेना।

प्रातः 9.30 से 12 बजे तक
बाबा जलेश्वरनाथ और बाबा बैद्यनाथ का रुद्राभिषेक
उद्देश्य- आस्तिकता के आबद्ध होकर शिवगंगा की स्वच्छता के लिए प्रत्येक सप्ताह एक निश्चित समय पर सामूहिक श्रमदान का संकल्प।

दोपहर 12.30 से 2.00 बजे तक
शिवगंगा तट पर “नारायण भोजन” एवं शहर के विभिन्न स्थलों पर शरबत स्टॉल का आयोजन
उद्देश्य- समाज में विपन्नों के प्रति आदर और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करना।

दोपहर 14.30 से 16.00 बजे तक
देवघर के गणमान्य, प्रबुद्ध व सक्रिय समाजसेवियों के साथ संगोष्ठी व सेमिनार का आयोजन
उद्देश्य- शिवगंगा निर्मल अभियान को सुचारू एवं प्रभावी बनाने के सुझाव एवं मार्गदर्शन हासिल करना।

संध्या 16.30 से 19.00 बजे तक
शिवगंगा तट पर भजन, काव्यपाठ व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
उद्देश्य- सामाजिक चेतना के जरिए “शिवगंगा निर्मल अभियान” को साकार करने का आधार तैयार करना।

19.00 बजे से 20.00 बजे तक
शिवगंगा की महाआरती एवं दीपोत्सव
उद्देश्य- जनमानस में शिवगंगा एवं आस्था केंद्रों के अन्य सरोवरों के प्रति श्रद्धाभाव बढ़ाना ताकि जल स्वच्छता का स्वतः स्फूर्त प्रयास होने लगे।

कार्यक्रम के पांच ध्येय


1. शिवगंगा तट से समीप कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्था की संस्थापना।
2. शिवगंगा तट पर मौजूद पुस्तकालय को समृद्ध करना।
3. देवघर में पारंपरिक विद्या अध्ययन केंद्र के लिए पहल करना।
4. शिवगंगा तट पर प्राथमिक उपचार केंद्र के लिए प्रशासन को राजी करना।
5. महाआरती तट पर गुमशुदा तलाश केंद्र की शुरुआत।

देवघर संपर्क
दीपक ठाकुर
मो. 09471135257

दिल्ली संपर्क
आलोक कुमार
मो. 09873417449


जलजोगिनी


(रजिस्ट्रेशन नंबर S/166 सोसाईटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860)
कार्यालय, बी-3/90 द्वितीय तल, सफदरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली - 110029
दुरभाष +919873417449
सहयोग :- शिवगंगा सेवा समिति
महाआरती तट, देवघर, झारखंड