संघर्ष अब आमने-सामने, यमुना सत्याग्रही भूख हड़ताल पर

यमुना पदयात्रा
यमुना पदयात्रा
यमुना मुक्ति पदयात्रा का आज 12वां दिन है। 1 मार्च को वृंदावन से शुरू हुई इस यात्रा में किसानों, संतों दोनों की भागीदारी हो रही है। वृंदावन से 10-15 हजार लोगों की शुरू हुई यह यात्रा 12वें दिन दिल्ली पहुंच चुकी है। सरिता विहार के पास आली गांव में यात्री पड़ाव डाले हुए हैं।भारतीय जनता पार्टी की नेता उमा भारती, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, विहिप की साध्वी रितंम्भरा, भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र शर्मा, सपा के अशोक अग्रवाल, भारतीय किसान यूनियन के भानू प्रताप सिंह सहित सभी राजनैतिक पार्टियों की भागीदारी इस यात्रा में हो रही है।

यमुना रक्षक दल के नेतृत्व में चल रही ‘यमुना मुक्ति पदयात्रा’ में कई महत्वपूर्ण संगठन भागीदारी कर रहे हैं। विश्वधर्म रक्षक दल, मथुरा चतुर्वेदी समाज, गोपाल सेवा संस्थान, पुष्टिमार्गीय आचार्य कुल, आगरा से यमुना सत्याग्रही, इस्कॉन मंदिर के भक्त सहित वृंदावन के कई धार्मिक संस्थायें बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही हैं। बल्लभाचार्य कुल के पंकज बाबा, भागवत कथा वाचक संजीव ठाकुर जी, मान मंदिर के व्यवस्थापक राधाकांत शास्त्री, विश्वधर्म रक्षक दल के अध्यक्ष विजय चतुर्वेदी, गोपालापीठाधीश्वर श्री बिठ्ठले जी महाराज आदि का ‘यमुना मक्ति पदयात्रा को साहचर्य और नेतृत्व मिल रहा है’।

[img_assist|nid=44195|title=यमुना पदयात्रा|desc=|link=none|align=left|width=424|height=415]विश्वधर्म रक्षक दल के अध्यक्ष विजय चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि केंद्र सरकार आंखों से अंधी, कानों से बहरी है और कुंभकरण की नींद सोई हुई है। सरकार चार हजार किमी. की दूरी से पाइप लाइनों द्वारा पेट्रोल-डीजल आदि तो लाती है किंतु यमुना के दोनों किनारे पाइप लाइन बिछाकर यमुना को शुद्ध नहीं करती।

यमुना रक्षक दल के मीडिया प्रभारी ने बताया कि हमारी दो मांगे है – पहली तो ये हरियाणा के यमुना नगर के पास हथिनीकुंड में यमुना का 90% जल नहर में डाल दिया जाता है जिसकी वजह से मूल प्रवाह में पानी नाममात्र का रह जाता है और 10-12 किमी. जाते-जाते यमुना लगभग सूख जाती है। हमारी मांग है कि यमुना के मूल धारा में 40% पानी कम से कम छोड़ा जाए। दूसरी मांग ये है कि दिल्ली सहित यमुना किनारे सभी बड़े शहरों के गंदे नालों को किसी भी स्थिति में यमुना में न गिरने दिया जाए।

सरकार के साथ दो-तीन दौर की बात-चीत के बाद सरकार ने नालों पर प्रभावी नियंत्रण करने की कोशिश का आश्वासन तो दिया है। पर हथिनी कुंड से 40% पानी छोड़ा जाए, के मांग के प्रति हिचकिचा रही है। अभी लगातार सरकार के साथ बातचीत का दौर जारी है। इसी बीच सत्याग्रहियों ने अपनी मांगों के प्रति रुख कड़ा करते हुए भूख हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है।

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