स्पेस, पानी और जिंदगी

27 Jun 2010
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पानी इधर हमारी साइंटिस्ट बिरादरी के अजेंडे पर है। अजेंडा सिर्फ यह नहीं है कि पृथ्वी पर पानी खत्म हो गया तो क्या होगा, बल्कि यह है कि स्पेस में अगर कहीं पानी मिलता है तो क्या वह हमारी धरती से बाहर जीवन की संभावना का आधार बन सकता है। इधर जब से चंद्रयान-1 से मिले डेटा के विश्लेषण से चंद्रमा पर भारी मात्रा में पानी की मौजूदगी के ठोस प्रमाण मिले हैं, तब से इस संभावना पर जोरशोर से विचार हो रहा है।

वैसे तो ये अंदाजे अरसे से लगाए जाते रहे हैं कि पृथ्वी से बाहर किसी अंतरिक्षीय पिंड पर पानी हो सकता है। सुदूर स्पेस के अलावा सौरमंडल के ही भीतर मंगल और पृथ्वी के इकलौते प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर पानी के खोज के प्रयास लगातार होते रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि अंतरिक्ष में पानी की उपस्थिति को इतना महत्व दिया जा रहा है।

इस सवाल का एक सहज उत्तर तो यही है कि पृथ्वी पर पानी की मौजूदगी जीवन की उत्पत्ति का आधार बनी है। इसी तरह हो सकता है कि पृथ्वी से इतर जीवन की संभावना की थाह पाने में पानी या बर्फ का कोई सूत्र हमारा मददगार साबित हो। हालांकि वैज्ञानिक पानी की इस मौजूदगी के दूसरे पहलुओं पर भी विचार कर रहे हैं। जैसे, उनके लिए पानी ईंधन का एक स्त्रोत हो सकता है। इससे लंबी अंतरिक्ष यात्राओं का रास्ता थोड़ा आसान होने की संभावना है। पानी (एच2ओ) में मौजूद ऑक्सिजन और हाइड्रोजन, दोनों ही रॉकेट ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं।

चूंकि ज्यादातर अंतरिक्ष यानों का ईंधन (करीब 85 फीसदी तक) पृथ्वी का वायुमंडल पार करने और चंद्रमा तक पहुंचने में ही चुक जाता है, लिहाजा चंद्रमा पर बनाए जा सकने वाले बेस पर पानी के अणुओं को तोड़कर उससे विलगाई गई हाइड्रोजन अंतरिक्ष यानों की अगली यात्राओं का बढ़िया फ्यूल बन सकती है। इसलिए खास तौर से चंद्रमा पर पानी ईंधन का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

दो अहम बातों पर ध्यान दें, तो हमें इस संभावना की उपयोगिता समझ में आ सकती है। एक, ईंधन बनाने के लिए पानी पृथ्वी से ढोकर ले जाया जा सकता है, लेकिन ऐसा करना समझदारी नहीं है। क्योंकि ऐसा करने से कोई मिशन न सिर्फ अत्यधिक खर्चीला हो जाता है, बल्कि इस कारण कई महत्वपूर्ण उपकरण यहीं छोड़ने पड़ सकते हैं। ईंधन बनाने के लिए हजारों गैलन पानी और उपकरण, दोनों का भार कोई यान नहीं उठा सकता।

दूसरे, चंद्रमा की उस सतह पर पानी के अणुओं को तोड़ना पृथ्वी के मुकाबले बहुत ज्यादा आसान है, जहां सूरज की किरणें 200 डिग्री तक का तापमान पैदा करती हैं। भले ही एक फुटबॉल के मैदान के बराबर चंद धूल (रिगोलिथ) से एक गिलास पानी ही निचोड़ा जा सके, पर वहां पानी मिल जाएगा- इस आश्वस्ति से भावी स्पेस मिशनों का रास्ता बहुत आसान हो जाता है। ये दोनों ही संभावनाएं चंदमा को भावी अंतरिक्ष यात्राओं का एक मुकम्मल पड़ाव बनाने में अहम हैं।

पानी ईंधन का विकल्प और जीवन की संभावना का स्त्रोत कैसे बन सकता है- इसकी आंतरिक पड़ताल भी वैज्ञानिक कर रहे हैं। उनके मत में चूंकि पानी एक शानदार सॉल्वेंट (घोलने वाला दव), माध्यम और कुछ खास तरह के प्रोटीनों का उत्प्रेरक है, लिहाजा यह कहीं भी जीवन की उत्पत्ति में सहायक साबित हो सकता है। अभी तक के प्रेक्षणों के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि द्रव, ठोस या गैसीय रूप में पानी बुध ग्रह के ध्रुवों, शुक्र के घने बादलों, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून, क्षुदग्रहों और पुच्छल तारों तक पर हो सकता है।

उनके आकलन में बृहस्पति के चंद्रमाओं- यूरोपा, जैनीमेड और कैलिस्टो की बहुत बड़ी सतहों पर द्रवीभूत पानी के समुद्र हो सकते हैं। पायनियर और वॉयजर जैसे अंतरिक्ष यानों में लगे उपकरण- स्पेक्ट्रोस्कोपी से मिले डाटा से यह संभावना भी जगी है कि प्लूटो के चंद्रमा चैरन पर भी पानी मौजूद हो सकता है।

यहां तक कि सुदूर अंतरतारकीय गैसीय संरचनाओं और कई तारों के वातावरण में पानी की उपस्थिति का अनुमान है। भले ही वहां पानी किसी अन्य रूप में हो, पर चूंकि इस ब्रह्मांड में हाइड्रोजन एक ऐसा तत्व है जो सर्वव्यापी है, इसलिए उसे समाहित रखने वाला पानी अपने आप में एक महत्वपूर्ण तत्व हो जाता है।

जहां तक सॉल्वेंट के तौर पर पानी की भूमिका का सवाल है, तो इसमें नमक और अमीनो एसिड व शुगर जैसे वे ऑगेर्निक तत्व आसानी और तेजी से घुल सकते हैं। इस तत्वों का भी जीवन की उत्पत्ति में रोल माना जाता है। अच्छा सॉल्वेंट होने की खूबी पानी को एक ऐसा आदर्श मीडियम भी बनाती है, जिसमें रासायनिक क्रियाएं आसानी से कराई जा सकें और पोषक तत्वों को एक से दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा सके।

उल्लेखनीय है कि जीवन की कोई प्रक्रिया शुरू करने में एंजाइमों की उपस्थिति अनिवार्य होती है और एंजाइमों को एक निश्चित आकार देने और उन्हें जैवरासायनिक (बायोकेमिकल) क्रियाओं के उत्प्रेरक की तरह कार्य करने में संलग्न करने में पानी ही मददगार होता है।
vपानी की कई और खूबियां उसे जीवन के सिलसिले में बेमिसाल ठहराती हैं। जैसे, किसी अन्य दव की तुलना में तापमान के कई अंतरों (शून्य से सौ डिग्री सेल्सियस तक) के बावजूद यह द्रव ही बना रहता है। और अगर इसमें नमक तथा अमोनिया जैसी गैसें घुली हुई हों, तो द्रव रूप में बने रहने की इसकी क्षमता और बढ़ जाती है। इसके अलावा जब पानी बर्फ का रूप लेता है, तो इसकी अन्य क्षमताएं भी दिखाई पड़ती है।

बर्फ पानी पर तैर सकती है- यह एक सामान्य नहीं, असाधारण क्षमता है। जमा हुआ पानी यानी बर्फ अपने द्रव रूप के मुकाबले कम सघन होता है। पानी के अलावा अन्य द्रवों में यह क्षमता कम ही होती है कि वे बर्फ जैसे ठोस रूप में आने के बाद कम सघन रह पाएं और पानी पर तैर पाएं।

चूंकि बर्फ पानी की सतह पर तैरती रह सकती है, इसलिए बर्फ में भी जीवन का कोई सूत्र छिपे होने की उम्मीद लगाई जाती है। स्पेस में जहां कहीं बर्फ की उपस्थिति का संकेत मिलता है, तो इसका एक आशय यह भी लगाया जाता है कि वहां जीवनदायी पानी भी मौजूद हो।

जैसे बृहस्पति के चंद्रमा-यूरोपा पर ऐसी कोई संभावना बन सकती है। वैज्ञानिकों की अभी तक की जानकारी के मुताबिक यूरोपा पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ पिंड है, पर हो सकता है कि वहां यह बर्फ पानी जैसे द्रव के किसी समुद्र पर तैर रही हो। वैज्ञानिक ऐसी ही कुछ और संभावनाओं से मंगल, शनि के दो चंद्रमाओं- एन्सेलाडस और टाइटन को भी जोड़ते रहे हैं।

पानी की कुछ और खासियतें भी हैं। जैस यह इन्फ्रारेड रेडिएशन को सोख सकता है। साइंटिस्टों के अनुसार इसका अभिप्राय यह हुआ कि यह ताप को अपने भीतर बनाए रखने योग्य है और इस आधार पर उस जीवन को सपोर्ट कर सकता है, जिसे एक निश्चित तापमान की जरूरत होती है।
 
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