श्रमदान कर तालाब को जिंदा किया


गुरूर, छत्तीसगढ़। जहाँ चाह होती है, वहाँ राह होती है फिर अड़चनें भी दूर हो जाती हैं। ऐसा ही एक माजरा देखने को मिला है, ग्राम सोरर में। इस गाँव में एक पुराना माता तालाब है जिसकी साफ-सफाई और गहरीकरण को लेकर गाँव वाले काफी चिन्तित थे और प्रशासन से भी मदद माँग रहे थे। तालाब में चट्टान व मुरुम होने के कारण इसके गहरीकरण में दिक्कत आ रही थी। प्रशासन से मदद न मिलते देश ग्रामीणों ने खुद श्रमदान का फैसला लिया। दो दिन में लगभग 700 ग्रामीणों द्वारा कड़ा श्रमदान करके तालाब का कायाकल्प किया गया। ग्रामीणों के अनुसार माता तालाब गाँव का एकमात्र निस्तारी तालाब है।

ग्राम सोरर में प्रशासन में माता तालाब गहरीकरण का काम रोका, तो ग्रमीणों ने श्रामदान कर तालाब गहरीकरण के लिये दो दिनों तक श्रमदान किया। जानकारी दी कि तालाब में कड़ा चट्टान मुरुम है। लगातार प्रयास के बाद भी तालाब का गहरीकरण चट्टानों के कारण नहीं हो रहा था। तब ग्रामीणों ने निर्णय लेकर नेशनल हाइवे निर्माण एजेंसी को तालाब का मुरुम निकालने की अनुमति दी। अनुमति इस शर्त पर दी गई कि एजेंसी तालाब को बनाकर देगा लेकिन इसे अवैध बताकर प्रशासन ने काम को रोक दिया। जनपद प्रशासन ने मनरेगा के तहत 8 लाख रुपये माता तालाब गहरीकरण के लिये स्वीकृत किया गया था, किंतु नेशनल हाइवे निर्माण एजेंसी को तालाब से मुरुम निकालने की अनुमति देने के कारण पंचायत की जाँच चल रही है, चूँकि इसी तालाब के मामले में जाँच चल रही है इसलिए विवादों से बचने जनपद प्रशासन ने मामले के निराकरण तक काम रोक दिया। मनरेगा के तहत काम नहीं होने की जानकारी जब ग्रामीणों को हुई तब बैठक कर निर्णय लिया गया कि तालाब का गहरीकरण श्रमदान कर किया जाएगा। चूँकि सड़क निर्माण एजेंसी द्वारा मुरुम निकालने के दौरान तालाब के कड़े चट्टान को मशीन से नरम कर दिया था इसलिए ग्रामीणों की राह आसान हो गई।

ग्रामीणों ने बताया माता तालाब ग्राम का प्रमुख निस्तारी तालाब है। सालों से तालाब की सफाई एवं गहरीकरण का प्रयास कर रहे थे। कड़ा चट्टान होने के कारण गहरीकरण नहीं हो पा रहा था। मशीनों के कारण मुरुम नरम हो गया।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading