सतत विकास के लिये जरूरी ढाँचे का उन्नयन

9 Jun 2018
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भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास से जबरदस्त मुनाफा है। इस तथ्य को इसकी भारी माँग से समझा जा सकता है। देश के सतत विकास के लिये 2022 तक बुनियादी ढाँचे में 50 खरब (यूएस डॉलर 777.73 बिलियन) के निवेश की आवश्यकता है। बिजली ट्रांसमिशन, सड़कों और राजमार्ग और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्र आने वाले वर्षों में निवेश को बढ़ावा देंगे। भारत में आकर्षक अवसर जैसे अनुकूल मूल्यांकन और आय, क्षेत्रीय संयोजन योजना (Regional Connectivity Scheme) और इसमें सुधार के लिये विपुल सम्भावनाएँ हैं।

सरकार ने बुनियादी ढाँचे के व्यापक स्तर पर निर्माण की परियोजनाओं के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। इसमें कहा गया है कि इसके लिये काफी सार्वजनिक व्यय किया जाएगा और इन्हें निजी भागीदारी, जिसमें विदेशी निवेशकों की मदद भी सम्मिलित है के जरिये अंजाम तक पहुँचाया जाएगा। ढाँचागत निर्माण में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ परियोजनाओं के पार्श्व प्रभाव या बाहरी कारक होते हैं जिन्हें अकेले सुलझाया नहीं जा सकता है। इसलिये, सरकार ने व्यावहारिक स्तर की समस्याओं देखते हुये वित्त मंत्रालय के माध्यम से समय-सीमा के भीतर वित्तीय अनुदान प्रबन्धन के लिये विंडों की व्यवस्था की है।

शहरीकरण एक अवसर है और यह प्राथमिकता भी है। इसलिये सरकार ने दो अन्तर-सम्बन्धित कार्यक्रम शुरू किये हैं- स्मार्ट सिटीज अभियान और अमृत (कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT)। स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण करना है। इसके लिये 99 शहरों का चयन किया गया है और 2.04 लाख करोड़ रुपए परिव्यय की व्यवस्था की गई है। इन शहरों में स्मार्ट कमांड और कंट्रोल सेंटर स्मार्ट सड़कें, सोलर कक्ष, इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स, स्मार्ट पार्क जैसी विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया जाना प्रारम्भ हो चुका है। परियोजनाओं के अन्तर्गत 2350 करोड़ रुपए लागत का कार्य पूरा हो चुका है और 20,852 करोड़ रुपए लागत का कार्य प्रगति पर है।

भारत में विरासत शहरों की आत्मा का संरक्षण एवं पुनर्जीवन के माध्यम के रूप में राष्ट्रीय विरासत, शहर विकास और उन्नति योजना (हृदय) (HRIDAI) को अपनाया गया है। अमृत कार्यक्रम का मुख्य जोर 500 शहरों में सभी परिवारों के लिये जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके अन्तर्गत 500 शहरों के लिये 77,640 करोड़ की राज्य स्तर की योजनाएँ स्वीकृत हो चुकी हैं; 494 परियोजनाओं के लिये 19,428 करोड़ के जल आपूर्ति अनुबन्ध और 274 परियोजनाओं के लिये 12,492 करोड़ रुपए लागत के सीवरेज अनुबन्ध प्राप्त हुये हैं। बुनियादी ढाँचागत प्रमुख परियोजनाओं की सहायता के लिये इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IIFCL) से सामरिक और बड़े सामाजिक कल्याण की परियोजनाओं के लिये भी वित्तीय लाभ प्रदान किये जाने का आश्वासन दिया है।

सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं में निवेश सहित सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाया है। 2017-18 के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 9000 किमी से अधिक होने का पूरा विश्वास है। महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना को आन्तरिक की सहज कनेक्टिविटी और पिछड़े क्षेत्रों और देश की सीमाओं के बारे में चरण-1 में 5.35 लाख करोड़ की अनुमानित लागत पर लगभग 35000 किमी के विकास की अनुमति प्रदान कर दी गई है।

विद्युत क्षेत्र के लिये सरकार ने कहा, “हम कानून में परिवर्तन करने जा रहे हैं जो विद्युत खरीद समझौते (PPA) के लिये लागू होंगे। हम पीपीए के लिये किसी विशेष राज्य या एक डिस्काक की वार्षिक औसत माँग का 100 प्रतिशत कवर प्रदान करने जा रहे हैं।” सरकार की रणनीति का लक्ष्य भारत की प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में सुधार करना है, जो कि दुनिया में सबसे कम 1000 केडब्ल्यूूएच है। इसकी तुलना में चीन में प्रति व्यक्ति खपत लगभग 4000 किलोवाट है।

विकसित देशों की बिजली की खपत औसत प्रति व्यक्ति 15,000 किलोवाट प्रति व्यक्ति है। सरकार ने मौजूदा विद्युत वितरण कम्पनियों के तथाकथित ढुलाई और सामग्री संचालन को अलग करने के लिये एक मूलगामी योजना के बारे में भी बात की है। ढुलाई के अन्तर्गत वितरण का पहलू आता है और सामग्री का सम्बन्ध विद्युत से ही है। उद्योग की भाषा में, इन्हें ‘तार’ और ‘आपूर्ति’ कहा जाता है। इन दोनों का पृथक्करण भारत में जनता और कम्पनियों को अपनी पसन्द की विद्युत कम्पनी से बिजली खरीदने का अवसर प्रदान करेगा और आपूर्ति निकटवर्ती वितरण नेटवर्क सेवा के माध्यम द्वारा सम्भव होगी।

इसके दो फायदे हैं- एक, उपभोक्ता बिजली लेने के लिये अपनी पसन्द की विद्युत कम्पनी चुन सकेगा। दूसरा, कारोबार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से बिजली की दर कम होगी, वह सस्ती पड़ेगी। इस प्रकार उद्योगों को दी जा रही छूट के रूप में सब्सिडी का बोझ सरकार पर कम हो सकेगा और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बल मिलेगा। सरकार बिजली क्षेत्र में सब्सिडी के लिये बेहतर लक्ष्य के खातिर प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण (DBT) योजना के उपयोग की दिशा में प्रयासरत है। नीति आयोग ने, जो नीति विशेषज्ञ समूह है, राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के मसौदे के साथ बिजली क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण के मसौदे को आगे बढ़ाया है।

तालिका 1 - 12वीं पंचवर्षीय योजना काल के दौरान पूर्ण ढाँचागत परियोजनाएँ : सार-सक्षेप क्षेत्र संख्या संचयी व्यय (यूएस डॉलर) सड़क परिवहन और राजमार्ग 91 8.7 बिलियन विद्युत 73 16.63 बिलियन पेट्रोलियम 65 19.48 बिलियन रेलवे 33 3.81 बिलियन इस्पात 20 8.13 बिलियन जहाजरानी और बन्दरगाह 20 1.78 बिलियन दूरसंचार 14 463.62 मिलियन कोल 9 2.26 बिलियन उर्वरक 6 596.24 मिलियन नागरिक उड्डयन 5 861.16 मिलियन शहरी विकास 5 678.83 मिलियन परमाणु ऊर्जा 1 168.93 मिलियन स्रोत- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI)

 

तालिका 1 - 12वीं पंचवर्षीय योजना काल के दौरान पूर्ण ढाँचागत परियोजनाएँ : सार-सक्षेप

क्षेत्र

संख्या

संचयी व्यय (यूएस डॉलर)

सड़क परिवहन  और राजमार्ग
91
8.7 बिलियन
विद्युत
73
16.63 बिलियन
पेट्रोलियम
65
19.48 बिलियन
रेलवे
33
3.81 बिलियन
इस्पात
20
8.13 बिलियन
जहाजरानी और बन्दरगाह
20
1.78 बिलियन
दूरसंचार
14
463.62 मिलियन
कोल
9
2.26 बिलियन
उर्वरक
6
596.24 मिलियन
नागरिक उड्डयन
5
861.16 मिलियन
शहरी विकास
5
678.83 मिलियन
परमाणु ऊर्जा
1
168.93 मिलियन
स्रोत- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI)

 

आवास के क्षेत्र में, शहरी गरीब बुनियादी सेवाओं (BSUP), एकीकृत आवास और स्लम विकास कार्यक्रम (IHSDP) जो कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (JNNURM) और राजीव आवास योजना (RAY) के घटक हैं, के माध्यम से कम आय समूह (LIG) के लोगों को आवास प्रदान किये गये। इस कार्यक्रम के सम्मुख उपयुक्त भूमि की कमी सबसे बड़ी समस्या थी। भारत के योजना आयोग (2012-2017) ने शहरी जमीन की कमी को देखते हुये उप-भूमि उपयोग के स्वरूप में भू-खण्डों की तकसीम के लिये सहभागी योजना प्रक्रिया के अभाव को समझा और दीर्घकालीन योजना के लिये नियामक शासन को प्रेरित किया।

इस तरह कार्यक्रमों को लागू करने में विलम्ब होने के कारण लागत बढ़ गई। नतीजा यह हुआ कि आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जिन लोगों के लिये आवास उपलब्ध कराना मकसद था, वे उनकी पहुँच के बाहर हो गये। शहरी बुनियादी ढाँचा और शासन (UIG) के द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के लिये झुग्गी निवासियों को हटाकर जमीन खाली कराये जाने की जरूरत होती है। इसके लिये उनके पुनर्वास की स्पष्ट नीतियाँ जरूरी थीं। राजीव आवास योजना (RAY) कार्यक्रम में नये कार्यक्रम के पहले कार्यान्वयन का समय कम था। संक्षिप्त कार्यान्वयन अवधि के बाद इसे सभी के लिये आवास (नगरीय) मिशन 2015 में बदल दिया गया। आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (MHUPA) के अन्तर्गत राजीव आवास योजना के संक्षिप्त विवरण के अनुसार 2013 और 2015 के बीच, 1,17,707 आवास स्वीकृत किये गये थे और इनमें से केवल 3,378 ही पूरे हो सके थे (MHUPA 2015) राजीव आवास योजना का लक्ष्य था सभी के लिये घर और 2022 तक आवास की समस्या का पूरी तरह से समाधान करना। हालांकि, इस कार्यक्रम के लिये 2015-2016 के लिये केन्द्र सरकार द्वारा प्रारम्भिक बजट आवंटन 40 अरब रुपए है, किसी भी ऐसी बड़ी योजना के लिये यह धनराशि बेहद कम है (MHUPA 2015)।

भारत सरकार ने परिवहन क्षेत्र में, बुनियादा ढाँचे के विकास के लिये एक एकीकृत परिवहन नीति निर्धारण के लिये अध्ययन करने के लिये संस्तुति की है। इस अध्ययन का उद्देश्य मुख्य रूप से अनुमानित यातायात प्रवाह, माल परिवहन और अगले दो दशकों में परिवहन क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये आवश्यक निवेश पर गौर करना था। इस अध्ययन का प्रमुख निष्कर्ष यह सुझाव देना है कि परिवहन व्यवस्था को प्रशासनिक भौगोलिक क्षेत्रों में बदलना चाहिए और विकास के लिये नियामक और नीति के साथ पूँजी निवेश को एकीकृत करना चाहिए। सरकार के द्वारा उठाये गये कुछ विशेष कदमों में अंतर्देशीय जलमार्ग, तटीय नौकावहन, रेलवे के लिये समर्पित फ्रेट कॉरीडोर, विद्युत पथकर प्रणाली, मेट्रो सहित सार्वजनिक परिवहन का विकास, शहरी परिवहन आदि के लिये तेज गति से चलने वाली बस और उनके लिये सामान्य टिकट आदि शामिल हैं। इसमें बताया गया है कि एक ऐसी नीति विकसित करने की जरूरत है जिससे ऐसा वातावरण विकसित हो सके, जिसमें एकीकृत परिवहन व्यवस्था के लिये प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और वैकल्पिक प्रणाली के बीच समन्वय को बढ़ावा मिले, लोगों को न्यूनतम मूल्य पर अधिकतम दक्षता और न्यूनतम लागत से सामानों की ढुलाई की सुविधाएँ हासिल हो सकें।

केन्द्रीय बजट 2018 ने बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में स्थिति को पूरी तरह से पलट दिया है, यह गेम चेंजर सिद्ध हुआ है। भारत सरकार ने बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में कई बड़ी-बड़ी पहल की हैं। बजट में उठाए गये इन कदमों को पुष्ट करने के लिये इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को देखते हुए, भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास के अवसरों और विकास चालकों के मूल्यांकन का गहन विश्लेषण करने की जरूरत है।

भारत में बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के नये रुझान और स्वरूप को समझने के लिये इस क्षेत्र के लिये किये गये अत्यधिक बजट आंवटन, बुनियादी ढाँचे के सौदों में तेज बढोतरी, इसमें निजी क्षेत्र में निवेश में वृद्धि सुदार सुविधाओं व आपूर्ति सहित अन्य लॉजिस्टिकों में सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी (FDI) निवेश में बढोतरी आदि विशेषताओं को देखना होगा।

भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास से जबरदस्त मुनाफा है। इस तथ्य को इसकी भारी माँग से समझा जा सकता है। देश के सतत विकास के लिये 2022 तक बुनियादी ढाँचे में 50 खरब (यूएस डॉलर 777.73 बिलियन) के निवेश की आवश्यकता है। बिजली ट्रांसमिशन, सड़कों और राजमार्ग और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्र आने वाले वर्षों में निवेश को बढ़ावा देंगे। भारत में आकर्षक अवसर जैसे अनुकूल मूल्यांकन और आय, क्षेत्रीय संयोजन योजना (Regional Connectivity Scheme) और इसमें सुधार के लिये विपुल सम्भावनाएँ हैं। अभी तक केवल 24 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्ग ही ऐसे हैं जो चार लेन के हैं। इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक फायदा इतना अधिक है कि 2017 में प्रमुख वैश्विक कम्पनियाँ जैसे चीन हार्बर इंजीनियरिंग (China Harbour Engineering) और मिजुहो वित्तीय समूह (Mizuho Financial Group) इस ओर आकर्षित हुई हैं।

दिलचस्प स्थिति यह है कि एक ‘सभी के लिये घर’ और ‘स्मार्ट सिटीज मिशन’ जैसी योजनाओं के समर्थन की भारत सरकार की नीति बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा देने वाली बाधाओं को कम करने की दिशा में कारगर है। उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना-उदय (UDAY) बहुत परिवर्तनकारी सिद्ध हुई है। भारत की बिजली वितरण कम्पनियों के पुरुद्धार और बिजली क्षेत्र के जबर्दस्त विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। इतना ही नहीं, विभिन्न बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी अनुमति है।

सड़क मार्गों के विस्तार की गति मुकम्मल हो चुकी है। भारत में सड़कों और पुलों के रूप में हुए निर्मित बुनियादी ढाँचे की कुल अनुमानित यौजिक वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) मूल्य वित्त वर्ष 2009-17 में 13.6 प्रतिशत से 19.2 अरब अमेरिकी डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है।

बुनियादी ढाँचे के अन्तर्गत आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात सीमेंट और विद्युत शामिल हैं। वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इनेक समग्र सूचकांक में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस सूचकांक वृद्धि में विद्युत (10 प्रतिशत), इस्पात (9 प्रतिशत), रिफाइनरी उत्पाद (8.9 प्रतिशत), सीमेट (5.8 प्रतिशत) और उर्वरक (3.3 प्रतिशत) सबसे आगे रहे। अप्रैल-अक्टूबर 2017 के बीच सूचकांक में संचयी वृद्धि (cumulautive groath) 3.5 प्रतिशत थी।
 

तालिका 2ः इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर पूँजी परिव्यय- केन्द्रीय बजट 2018

 

RE 2017-18 (करोड़)

BE 2018-19 (करोड़)

प्रति परिवर्तन

कोयला मंत्रालय
14478
15799
9.124188
पूर्वोत्तर क्षेत्र (बुनियादी के लिये) के विकास मंत्रालय
330
600
81.81818
नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय
9466
10337
8.99007
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय
87319
89210
2.165623
बिजली मंत्रालय
64318
53469
-16.8678
नागरिक उड्डयन मंत्रालय
2543
4086
60.67637
दूरसंचार विभाग
9786
16986
73.57449
रेल मंत्रालय
80000
93440
16.8
आवास और मंत्रालय शहरी मामलात
15193
39937
162.8645
मंत्रालय सड़क परिवहन और राजमार्ग
59279
62000
4.590158
नौवहन मंत्रालय
3165
4042
27.70932
इस्पात मंत्रालय
11428
11294
-1.17256
कुल योग
357305
401180
12.2794
स्रोत- केन्द्रीय बजट 2018

 

 

भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास चालकों में सरकार की पहल, बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता, आवास विकास, अन्तरराष्ट्रीय निवेश और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPA) है। बुनियादी ढाँचे के लिये 2017-18 में कुल आवंटित बजट 61.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें सम्मिलित मुख्य क्षेत्र हैं-रेलवे और मेट्रो रेल, निर्माण दूरसंचार और ऊर्जा सड़क और हवाई अड्डा।

बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में जो अवसर विकसित हो रहे हैं वे सामान्य तौर पर सरकारी पहल, अन्तरराष्ट्रीय संघों और भारतीय नगरीय रियल एस्टेट के माध्यम से हो रहे हैं। सरकार सार्वजनिक निजी भागीदारी को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिये एक वैश्विक केन्द्र बनाने के लिये, 2017-18 के बजट में बुनियादी ढाँचे के लिये कुल 61.48 बिलियन अमेरिकी डालर आवंटन का प्रावधान है। जापानी निवेश ने भारत की विकास कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जापान ने भारत के विनिर्माण और बुनियादा ढाँचा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये 2014-19 की अवधि के लिये 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का वचन दिया है। जापानी सरकार लगातार भारत में निवेश के अवसरों की तलाश में है। मध्य प्रदेश में छोटे शहरों के तीव्र नगरीकरण के लिये एशियन डेवलपमेंट बैंक एक पाइपयुक्त पानी की आपूर्ति परियोजना के लिये 275 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान करेगा, जिसमें 3 लाख घरों को शामिल किया जाएगा। भारत 2022 तक सभी के लिये घर के लक्ष्य को हासिल करने के लिये हर दिन 43,000 मकान बनाने की आवश्यकता 2022 तक रहेगी। स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के तहत अगले दशक में सैकड़ों नये शहरों को विकसित करने की जरूरत है। इसमें विश्व स्तर पर भारत के तीसरे सबसे बड़े निर्माण बाजार में तेज रफ्तार से आगे बढ़ सकने की सम्भावना है। इस क्षेत्र के माध्यम से 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 15 प्रतिशत योगदान की उम्मीद है। नये नीतिगत सुधार जैसे रियल एस्टेट अधिनियम, जीएसटी, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT) से मंजूरी मिलने में लगने वाली देरी कम होगी। इस प्रकार के प्रयासों से रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र को मजबूती ही मिलेगी।

सरकार ने वित्त वर्ष-19 में 5.1 मिलियन ग्रामीण घरों के निर्माण के लिये 21,000 करोड़ रुपए का अलग से प्रावधान हालिया बजट में कर दिया है और प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत इस साल 5.1 मिलियन आवास निर्मित हुए हैं। सस्ते आवास के इस अभियान को तेज करने के सरकार के फैसले से सीमेंट, स्टील, पेंट्स, सेनेटरी वेयर और इलेक्ट्रिकल सहित क्षेत्र लाभान्वित हो सकते हैं। सरकार राष्ट्रीय आवास बैंक में सस्ते हाउसिंग निधि का सृजन सस्ते आवास योजना के लिये ही करेगी। उन ग्रामीण परिवारों को ब्याज में छूट प्रदान की जाएगी जो प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत नहीं आते हैं।

केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत अगले वित्तीय वर्ष में बुनियादी ढाँचे का सृजन और उन्नयन के लिये 5.95 लाख करोड़ रुपए तक निवेश करने जा रहा है। उन्होंने कहा, “विकास और जीडीपी में वृद्धि, जनता को अच्छी गुणवत्ता युक्त सेवाएँ प्रदान करने, राष्ट्र के सभी हिस्सों को परस्पर जोड़ने और एकीकृत करने के लिये सड़क, एयरपोर्ट,रेलवे बंदरगाह और अन्तर्देशीय जलमार्ग के तंत्र को विकसित करना होगा। इसके लिये हमारे देश को बुनियादी ढाँचे में बड़े पैमाने पर निवेश, अनुमान है कि 50 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश की आवश्यकता है।”

संसाधनों को बढ़ाने के लिये, सरकारी स्वामित्व वाली कम्पनियाँ इक्विटी और बॉन्ड मार्केट्स का उपयोग कर सकती हैं। बजट में भी आयातित पेट्रोल और डीजल पर 8 रुपए लीटर सड़क और बुनियादी ढाँचा उपकर लगाया है। सरकार और बाजार नियामकों ने भी मौद्रिक माध्यमों जैसे बुनियादी ढाँचे निवेश ट्रस्ट (InvIT) और रियल इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (ReiTS) के विकास के लिये आवश्यक उपाय किये हैं। सरकार को भी अगले साल से बुनियादी ढाँचे निवेश ट्रस्ट उपयोग करते हुये मौद्रिक माध्यम के रूप में केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) परिसम्पत्ति का चयन करना होगा।

नई एकीकृत बुनीयादी ढाँचा योजना मॉडल के एक हिस्से के रूप में एनडीए सरकार 2018-19 में 1.48 लाख करोड़ रुपए का सबसे बड़ा रेलवे और 1.21 लाख करोड़ रुपए का रोड बजट लायी है। भारत को बाजार से इक्विटी बढ़ाकर उसके माध्यम से अपने परिवहन ढाँचे में सुधार के लिये महत्वाकांक्षी योजनाओं जैसे सागरमाला (बंदरगाह) और भारतमाला के लिये फंड की जरूरत है। अपनी तैयार सड़क परिसम्पत्तियों के लिये बाजार से इक्विटी प्राप्त करने के लिये, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अपनी सड़क परिसम्पत्तियों को विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) और टोल अॉपरेट और ट्रांसफर (TOT) और बुनियादी ढाँचे निवेश ट्रस्ट (InvIT) जैसी मुद्रीकरण संरचना के नवाचारों पर विचार करेगा। भारतमाला के लिये अनुमानित कुल निवेश 10 लाख करोड़ रुपए हैं। यह सरकार की सड़क निर्माण योजना में सबसे अधिक खर्च वाली योजना है। इसके अतिरिक्त 2035 तक 8 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत सागरमाला योजना के लिये होगी। वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार को यकीन है कि वह 2017-18 के दौरान 9000 किमी लम्बाई से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों को पूरा कर लेगी। देश में 3.3 मिलियन किलोमीटर का सड़क नेटवर्क है, जो विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा है।

अगले वित्त वर्ष में भारतीय रेलवे के लिये अनुमानित योजना परिव्यय 1.48 लाख करोड़ रुपए है। यह राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के लिये सबसे ज्यादा है। इसमें 3,999 किमी रेल पथ नवीनीकरण, 12,000 वैगनों की खरीद, सुरक्षा निधि 20,000 करोड़ रुपए और 6,000 किलोमीटर की विद्युतीकरण के लिये नियोजित है। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर 28,500 करोड़ रुपए भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) बंधपत्र जैसे अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों से और 26,440 करोड़ रुपए अन्य उधारों के माध्यम से जुटायेंगे। एक एकीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर कम्पनी फीडबैक इंफ्रा के अध्यक्ष विनायक चटर्जी ने कहा है कि रेलवे की पूँजीगत व्यय योजना विद्युतीकरण, सुरक्षा और आधुनिकीकरण पर केन्द्रित है। यात्री सुरक्षा और सुविधायें और दक्षता बढ़ाने के लिये गैर-किराया राजस्व में वृद्धि पर मुख्य जोर रहता है।

आवास और विकास मंत्रालय उत्तर पूर्वी क्षेत्र (बुनियादी ढाँचे के लिये) के लिये 2017-18 की तुलना में 2018-19 में बजट में आवंटन सबसे अधिक है और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के लिये आवंटन में समग्र वृद्धि 12.27 प्रतिशत है।

इस प्रकार, केन्द्रीय बजट 2018 ने बुनियादी ढाँचागत क्षेत्र की आवश्यकता भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास चालक और भावी आर्थिक विकास के लिये उसके महत्व को समझा है। केन्द्रीय बजट 2018-19 में जो अवसंरचना प्रावधान है उनसे जीडीपी में वृद्धि कनेक्टिविटी में मजबूती, विशेष रूप से सीमा क्षेत्र का मुख्य भूमि से जुड़ाव जो कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, कृषि, परिवहन, पर्यटन और समग्र बुनियादी ढाँचा क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की सम्भावना है। वित्त मंत्री ने भी शहरी भारत की तकनीकी और डिजिटल समस्याओं का स्मार्ट समाधान प्रदान करने के लिये स्मार्ट सिटी मिशन का उल्लेख किया है। शहरी भारत में सेवा प्रदाता के लिये अमृत और विरासत शहरों के संरक्षण के लिये हृदय और पर्यटन एवं विरासत स्थलों के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिये है।

 

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