सूखी यमुना एक त्रासदी

11 May 2010
0 mins read
युग-युगान्तर से अविरल बहने वाली पवित्र यमुना नदी आज एकदम सूखी पड़ी है। पानीपत और दिल्ली के बीच पड़ने वाले सोनीपत और बागपत यमुना खादर में बिल्कुल एक बूंद का भी प्रवाह नहीं है। वास्तविकता यह है कि सरकारें पूरी तरह से यमुना के पर्यावरणीय प्रवाह की अनदेखी कर रही हैं। यमुना में पानी बिल्कुल रोक दिया गया है। बागपत और सोनीपत के पूरे यमुना खादर में पूरी गर्मियों में एक इंच का भी प्रवाह नहीं है। यमुना में जल प्रवाह बिल्कुल रुक जाने पर विभिन्न संगठनों ने गुस्सा जाहिर किया है। हरियाणा प्रदेश सर्वोदय मंडल, सजग और वाटर कम्युनिटी सहित कई संगठनों के लोगों ने मांग कि है कि यमुना के साथ हो रहे खिलवाड़ को तुरंत रोका जाए। उनका कहना है कि यमुना में पानी नहीं छोड़े जाने से काफी बड़े इलाके में पेयजल समस्या उत्पन्न हो गई है। यमुना संघर्ष समिति के बैनर तले 7 मई 2010 को कई संगठनों का एक प्रतिनिधी मंडल अपने स्थानीय विधायक सहित अपने सांसद श्री अरविंद शर्मा (कांग्रेस) से दिल्ली में मिला।

संगठनों का कहना है कि करोड़ों वर्षों का मिथक टूटा गया कि यमुना की धार को कोई रोक नहीं सकता। किसी भी नदी के पारिस्थतिकीय सन्तुलन को बनाये रखने के लिए पर्यावरणीय प्रवाह बनाये रखने की नितान्त आवश्यकता होती है। 14 मई 1999 के एक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि यमुना को पारिस्थितिक प्रवाह की जरूरत है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रति सेकंड 353 cusecs का एक न्यूनतम प्रवाह नदी में होना ही चाहिए। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली राज्यों को इस प्रवाह को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार माना जाएगा।

यमुना संघर्ष समिति की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पानीपत और दिल्ली के बीच पड़ने वाले सोनीपत और बागपत यमुना खादर में बिल्कुल एक बूंद का भी प्रवाह न होना एक विराट समस्या बन गई है। जलाभाव से ग्रसित मानव तो किसी प्रकार अपना काम चला रहा है परन्तु वन्य प्राणी, पशु और पक्षी घोर संकट में है। यमुना नदी का जल प्रवाह रूक जाने से जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। परिणामतः यमुना नदी के आस-पास के सभी ट्यूबवेल ठप हो गये हैं इससे कृषि उपज बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

यमुना संघर्ष समिति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चला रहा है। गांव-गांव समितियां बनाकर लोग स्वतःस्फुर्त भी इस आन्दोलन को आगे बढ़ा रहे हैं।

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading