सूखी यमुना की धार

यमुना नदी इस बार समय से पहले ही सूख गई है। जुलाई महीने में पैदा होने वाला जलसंकट अप्रैल में ही उत्पन्न हो गया है। नदी की धार टूटने का सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव देश की राजधानी पर पड़ेगा। जहां पेयजल के लिए हाहाकार मच जाएगा। हरियाणा में भी भू-जल में गिरावट होगी। देश की राजधानी पेयजल के लिए सबसे ज्यादा निर्भर यमुना नदी पर है। नदी की धार सूख गई है। जिससे दिल्ली को पर्याप्त पानी नहीं मिल सकेगा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश व हरियाणा में भी तेजी से भू-जल में गिरावट होगी। जिससे उपजाऊ जमीन की सिंचाई के लिए जलसंकट उत्पन्न हो जाएगा।

जुलाई में आता है ऐसा संकट : सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यमुना में जो पेयजल संकट अप्रैल में शुरू हो गया है, वह ज्येष्ठ माह की चिलचिलाती गर्मी में होता है। जुलाई में नदी के प्रवाह में धीमी गति दर्ज होती है, लेकिन इस बार तो नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। यमुना नदी सूखना भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं बताए जा रहे हैं। यदि अगले तीन चार महीने तक नदी की स्थिति ऐसी रही तो पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा।

250 फीट तक पहुंच चुका है भू-जल स्तर


कृषि विभाग के एडीओ डॉ. वीर सिंह मलिक ने बताया कि खादर क्षेत्र का भू-जल स्तर 250 फीट पर पहुंच चुका है। यदि नदी में शीघ्र पानी नहीं आया तो यह बढ़कर तीन सौ फीट तक जा सकता है। इसके बाद किसानों के ट्यूबवेल ठप हो जाएंगे। जमीन को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा और जमीन बंजर हो जाएगी।

बढ़ जाएगी तस्करी


यमुना नदी को यूपी व हरियाणा की सीमा माना जाता है। नदी सूखने से दोनों प्रदेशों में तस्करी भी बढ़ जाती है। यूपी की तरफ से हथियार की अवैध तस्करी शुरू हो जाती तो हरियाणा की तरफ से शराब, पेट्रोल, डीजल, खाद, दवाओं की तस्करी में रिकॉर्ड वृद्धि हो जाती है।

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