स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद : गंगा रक्षा के लिए आमरण अनशन
19 March 2012

09 मार्च 2012 जब काशी के लोग होली के खुमारी में डूबे थे, काशी के केदारखंड स्थित श्री विद्यामठ के कक्ष में लोग स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद को मनाने में लगे थे। उनसे विनती कर रहे थे कि जल त्याग से पूर्व वे काशीवासियों को कुछ दिनों का वक्त दें। मगर वह तो गुरू के चरण पकड़ बैठे थे और कहे जल त्याग करके ही मानूंगा। घंटो मान मनौवल के बाद वह न माने। काशीवासियों के साथ वह काशी के केदारघाट पर पहुंचे और वहां गंगा में स्नान किया।गंगा में स्नान करते वक्त स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की आँखे भर आई। कई बार दुखी हो उठते, विलह उठते मगर अपने संकल्प के दृढ़ काशीवासियों के समक्ष यह संकल्प लेने के उपरांत उन्होंने जिस दृढ़ता का परिचय दिया वह किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। गंगा स्नान के दौरान उनकी गतिविधियां यह कदापि नहीं बता रही थी कि वे 80 वर्ष के बुजुर्ग हैं ऐसी ऊर्जा, ऐसा उत्साह मानों 80 वर्ष का कोई युवा हो। दुनिया के प्रख्यात नदी वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल से अब स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद हो चुके इस व्यक्ति को काशी के तमाम उन लोगों की तरफ साधुवाद है जिनके लिए स्वामी ज्ञानस्वरूप प्रेरणा के स्रोत बने।

साभार
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गंगा रक्षा के लिए आमरण अनशन - भाग 2



‘गंगा महासभा संगठन’, वाराणसी के सचिव गोविंद शर्मा ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (जीडी अग्रवाल) के बारे में बताया कि स्वामी के साथ बार-बार उनके साथ धोखा हुआ। इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया कि गंगा जी का समाधान हमेशा-हमेशा के लिए हो जाए नहीं तो वह अपना प्राण त्याग देंगे। जब प्रो. जीडी अग्रवाल के नाम से जाने जाते थे उस समय इन्होंने उत्तरकाशी में गंगा जी की दुर्दशा देखी। गंगा जी अपने प्रवाह पथ पर बिल्कुल सूखी हुई नजर आईं तब इन्होंने दुर्दशा का कारण समझा और कारण समझने के बाद स्वामी जी को ये लगा कि कम-से-कम जो थोड़ा सा क्षेत्र गंगोत्री से उत्तरकाशी तक बचा है उसे आने वाली पीढ़ियां गंगा जी के इस नैसर्गिक स्वरूप को देख सके। इसलिए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद पहले अन्न, बाद में फल और अब जल त्याग कर गंगा रक्षा के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं।

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