टिहरी

20 Feb 2014
0 mins read
खोज रहे हैं आज हम
अनंत में गुम हुई
मानवता के अवशेष
हड़प्पा या मोहनजोदड़ो में
नहीं पहुंचे कहीं
भटकते ही रह गए
अनुमानों के बियाबान
मरुथल में
आधुनिक सभ्यता आकांक्षा
फिर लील गई
एक गौरवपूर्ण इतिहास को
जादुई भविष्य के लिए
ध्वंस हो गया है
स्वर्णिम अतीत टिहरी का
साथ ही विह्वल 'आज'
वो मार्ग और भवन भी
जो जीवन की अमिट यादों
की महक लपेटे थे अपने में
ग्राम डूबे हैं डूबी है
पर्वत शिखरों से टकराकर
बार बार गूंजती
देवालयों की मधुर शंख ध्वनि
खेतों के साथ अधपकी सरसों
और धान बह गए
लहर भर पानी के बहाव में
अब बसंत कभी नहीं लौटेगा यहाँ
कोयल ढूंढ रही अमराई
कूक गूंजने से पहले ही
जो सिमट गई थी
बाँध के पानी में
पहाड़ी ढलानों की बहुसंख्यक
मनोहारी समोच्च रेखाएं
परिवर्तित हो चुकी हैं
विशाल जलागार की
एकमात्र सतही रेखा में
भीलांगना-भागीरथी के
संगम में प्लावित हो गई
स्वप्न लोक सी प्रेम कथाएं
नई टिहरी में आने वाली
संतति को कौन सुनाएगा
आगत फिर ढूंढेगा
टिहरी के अवशेष
एक दिन खोजेगा उनमें
सभ्यता के चिन्ह
हाथ से फिसलती समय की रेत
सा कुछ हाथ नहीं आयेगा
किन्तु टिहरी !
आधुनिकता की शिराओं में
जब तक दौड़ेंगी विद्युत् तरंगें
तुम्हारा नाम अमर रहेगा
'नई टिहरी' सर्वदा
'नई' ही बन कर रहेगी !!

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading