तो क्या दिल्ली में यमुना आती ही नहीं है

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यमुना का सारा पानी रोक लिया जाता है हथिनीकुंड बैराज पर

यह हाल रहता है यमुना तट का

हथिनीकुंड बैराज से पानीपत तक यमुना है बिल्कुल सूखी

यमुना में जो पानी आता है वह एक नहर से पानीपत से यमुना में छोड़ा जाता है। दिल्ली में घुसने के बाद यह पानी भी मैला हो जाता है। वजीराबाद से आगे आते ही यमुना नाला बन जाती है। वजीराबाद बैराज से पहले ही जलबोर्ड पीने के लिए यमुना से पानी ले लेता है। यमुना में दिल्ली से 70 फीसदी प्रदूषण जाता है। वजीराबाद से आगे आते ही यमुना इतनी गंदी है कि उसमें एक भी जलचर नही है। यमुना को लेकर दिल्ली के लोगों ने अपनी आवाज़ बुलंद कर दी है। एक नजर इन लोगों पर जो यमुना को बनाना चाहते हैं साफ।

यमुना को साफ करने के लिए केंद्र से पैसा मिल सकता है, लेकिन इसकी सफाई पर तो राज्यों को ध्यान देना होगा। सबसे पहले तो दिल्ली में जैसे पॉलीथिन का इस्तेमाल पूरी तरह बंद किया गया है। इसी तरह सख़्ती से यमुना में गंदा पानी डालने की मनाही होनी चाहिए।

(अंकित शर्मा, वकील)

मुझे लगता है कि यमुना को साफ करने के लिए सिर्फ दावों से काम नहीं चलेगा। यमुना को साफ करने के लिए सख़्ती से कानून बनाना होगा। यमुना में गंदे पानी को बिना ट्रीटमेंट किए डाले जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगानी होगी। तभी जाकर यमुना कुछ साफ हो पाएगी।

(डॉ. सुनीता भाटिया)

यमुना को साफ करने के लिए सबसे पहले यमुना में डाले जाने वाली पूजा सामग्री, पॉलीथिन व कूड़ा करकट के अलावा गंदे पानी पर पूरी तरह पाबंदी लगानी होगी। जिसके लिए लोगों को जागरुक होना होगा। साथ ही सरकार को भी इसके लिए सख़्ती करनी होगी। तभी जाकर यमुना साफ हो पाएगी।

(प्रवीण बंसल, वकील)

यमुना तभी साफ हो सकती है जब सभी लोग चाहें और इसके लिए सरकार पर दबाव बनाए। केंद्र सरकार यह तय करे कि इतने समय में यमुना बिल्कुल साफ हो जानी चाहिए। योजनाएं बनती हैं, पैसे खर्च होते हैं फिर यह हाल क्यों। बिना सख़्ती के यमुना को कभी निर्मल नहीं बनाया जा सकता है।

(सचिन मलहोत्रा, व्यवसायी)

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