उज्जैन में पानी पर पहरा

दिसंबर / प्रदेश में कम बारिश होने की वजह से करीब 35 जिले पानी के संकट से जूझ रहे हैं। एक-एक कर जल स्रोत सूख रहे हैं और पेयजल आपूर्ति करने वाले जल संग्रहण स्थलों में पानी निरंतर कम होता जा रहा है। इसका नतीजा है कि इन जिलों के अधिकांश हिस्सों में दो से तीन दिन में एक बार जलापूर्ति की जा रही है। ठंड के मौसम में भी यहां के जल के स्रोत सूखते जा रहे हैं। एक तरफ जहां इंदौर में फरवरी तक पानी का आपातकाल लगाने की तैयारी है, वहीं उज्‍जैन में अब हालत यह है कि जल स्रोतों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिसबल तैनात किया गया है।

इस संकट से उज्जैन भी जूझ रहा है। यहां तीन दिन में एक बार लोगों को पानी मिल पा रहा है। शहर को पानी देने वाले 'गंभीर जलाशय' में तो अब पानी ही नहीं है। प्रशासन ने अब चंबल नदी पर बने 'अमलावदा पीका बांध' से शहर को पानी देने की योजना बनाई है साथ ही कई जल स्रोतों को संरक्षित कर लिया है।

अब अमलावदा पीका बांध ही उज्जैन को जरूरत के हिसाब से पानी उपलब्ध कराने का एक मात्र सहारा है। इस बांध के पानी का उपयोग किसी दूसरे काम में न हो इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने बांध पर सुरक्षा बल की तैनाती कर दी है और नावों से भी बांध पर नजर रखी जा रही है।

अतिरिक्त जिलाधीश उमाकांत पांडेय ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि शहर में पानी का संकट गहरा गया है, इसलिए प्रशासन वैकल्पिक इंतजामों में जुटा है। अमलावदा पीका बांध का पानी सुरक्षित रहे इस बात को ध्यान में रखकर सुरक्षा बल की तैनाती की गई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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