उर्मिल बाँध : एक मीटर पानी से कैसे बुझेगी प्यास


अमर उजाला ब्यूरो श्रीनगर। दो राज्यों को पानी देने वाला बाँध प्यासा यूपी, एमपी की सरहद पर स्थित उर्मिल बाँध दोनों राज्यों के किसानों की भूमि को हरा भरा करता है। इस बाँध से सिंचाई करके किसान साल भर तक परिवार के खानपान का इन्तजाम करता है। लेकिन इस साल बारिश न होने से फसल की पैदावार नहीं हो सकी है। हालाँकि बाँध में पानी है लेकिन जिला प्रशासन ने बाँध के पानी पीने के लिये सुरक्षित रख लिया है।

जिले का सबसे बड़ा उर्मिल बाँध इस बार सूखे की भेंट चढ़ गया। बारिश न होने से खेतों में सिंचाई तक का पानी नहीं मिल पा रहा है। जिससे एक दर्जन से ज्यादा गाँवों के 3455 हेक्टेयर भूमि में बुवाई नहीं हो सकी, इससे अन्नदाता दाने-दाने को मोहताज है।

श्रीनगर क्षेत्र में उर्मिल बाँध सिंचाई पेयजल का मुख्य स्रोत है। लेकिन बारिश न होने के कारण इस वर्ष बाँध नहीं भर पाया है। स्थिति यह है कि उर्मिल बाँध में सिर्फ 99 सें.मी. पानी बचा है। इसके चलते विभाग ने किसानों को रबी की फसल के लिये पानी देने से इनकार कर दिया, वहीं नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया। जिससे समशेरा, फुटेरा, अतरारमाफ, इमिलिया, कैमाहा, बिलरही, डिगरिया, ठिकवाहा, सिजरिया, ज्यौरइया, सिजवाहा, भण्डरा, मवई, गोपालपुरा, मौजे के सैकड़ों किसानों की करीब 3455 हेक्टेयर जमीन में एक भी दाना बुवाई नहीं हो सकी। अन्नदाता के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है। बुवाई न होने से उनके चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ गई है। इतना ही नहीं उर्मिल मुख्य नहर में पानी न छोड़े जाने से सलारपुरा टैंक भी सूखा पड़ा है। इससे मदन सागर फीडर की नहरें भी सूखी पड़ी है। किसान शत्रुघन सिंह राजपूत, मनसुख, राजोर सिंह, धुवराम, मूलचंद्र, देवेन्द्र सिंह, नरेन्द्र मिश्रा, आदि किसानों का कहना है कि नहरों के दगा देने से किसान परेशान है। उधर अधिशासी अभियंता सिंचाई प्रखण्ड का कहना है कि बारिश न होने से बाँध नहीं भर सका। इससे मुख्य नहर में पानी छोड़ा गया।

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