उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल स्तर की स्थिति
प्रदेश के ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में स्थपित 5795 हाइड्रोग्राफ स्टेशन (निरीक्षण कूप एवं पीजोमीटर) पर प्रत्येक वर्ष प्री एवं पोस्ट मानसून सहित कुल 6 बार जल स्तर मापन का कार्य किया जाता है। प्रदेश में विभिन्न स्थलों पर जल स्तर में सामान्यत काफी भिन्नता पायी गयी है और यह जलस्तर 2 मी० से 30 मी० अथवा अधिक गहराई पर भूतल से नीचे निरीक्षित किया जाता रहा है। केन्द्रीय और पूर्वी क्षेत्रों मे जलस्तर में काफी भिन्नता दृष्टिगोचर होती है। शारदा सहायक कैनाल कमांड क्षेत्र में जलस्तर 2 मी० से भी कम निरीक्षित किया गया है जबकि गंगा के किनारे प्राकृतिक तटबंधी वाले क्षेत्रों में जलस्तर 20 मी० गहराई पर पाया गया है। सबसे अधिक गहराई वाला जलस्तर बेतवा और यमुना नदी की घाटियों में पाया गया है जिनमें आगरा, इटावा, हमीरपुर, जालौन, बांदा, इलाहाबाद और झॉसी जनपद सम्मिलित है। मार्जिनल एलूवियम प्लेन में यमुना नदी के किनारे जलस्तर सबसे अधिक गहराई भूतल से 40 मी० तक मापी गयी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े भूभाग में जलस्तर अपेक्षाकृत अधिक गहराई पर उपलब्ध है।
इन क्षेत्रों में पिछले दो दशकों में जलस्तर में काफी गिरावट भी देखी गई है। जिसका मुख्य कारण भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन है। जलस्तर की पिछले वर्षो से तुलना से यह बात सामने आती है कि प्रदेश में जल स्तर उतार-चढ़ाव की स्थिति विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। केन्द्रीय और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े भूभाग में जलस्तर में गिरावट पाई गयी है, वही पूर्वी क्षेत्र में जलस्तर में चढ़ाव की स्थिति देखी गयी है।
उत्तर प्रदेश में विकास खण्डवार भूजल स्तर में गिरावट की स्थिति
प्रदेश के कुल 70 जनपदों में 69 जनपदों के 456 विकास खण्डों में वर्ष 1991 के सापेक्ष वर्ष 2005 में प्रीमानसून अवधि के भूजल स्तर आकडों के तुललात्मक अध्ययन किया गया और इस अध्ययन के निष्कर्षो के आधार पर 01 से 70 सेमी० प्रतिवर्ष तक की भूजल स्तर गिरावट परिलक्षित हुयी है।
भूजल स्तर में गिरावट
नगरीय क्षेत्र नगरीय क्षेत्रों में विगत डेढ दशक के दौरान भूगर्भ जल स्त्रोतो पर अत्यधित निर्भिरता बढी है। इस स्त्रोत के अनियंत्रित एवं असीमित दोहन व विकास तथा शहरी क्षेत्रों के ककीटीकरण के परिणामस्वरूप प्रदेश के अनेक प्रमुख नगरों में भूजल स्तर में काफी गिरावट परिलक्षित हुयी है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगरों में भूजल स्तर में प्रतिवर्ष औसत गिरावट की दर
भारत सरकार द्वारा गठित भूजल ऑकलन समिति— 97 के दिशा निर्देशों के अनुक्रम में प्रदेश के समस्त जनपदों का विकास खण्डवार भूजल उपलब्धता का ऑकलन नियमित अंतराल पर किया जाता है। प्रदेश में क्षेत्रवार 01-04-2004 के ऑकडों पर आधारित भूगर्भ जल संसाधन का आगणन निम्नानुसार है— | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तर प्रदेश में भूजल संसाधन की उपलब्धता एवं विकास का परिदृश्य भूजल आंकलन समिति-97 के मानकों व दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रदेश में भूजल उपलब्धता एवं विकास की गणना विकास खण्ड को यूनिट मानकर की जाती है। 1 अप्रैल, 2004 के भूजल आंकड़ों पर आधारित आगणन के अनुसार उत्तर प्रदेश में क्षेत्रवार भूजल रिचार्ज, भूजल दोहन, भूजल उपलब्धता एवं विकास की स्थिति निम्न तालिका में दृष्टव्य है। (आंकड़े मिलियन हेक्टेयर मीटर में)
विभिन्न जनपदों में भूगर्भ जल उपलब्धता (31 मार्च, 2004)
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भूगर्भ जल विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में वर्गीकृत अतिदोहित/क्रिटिकल एवं सुरक्षित विकास खण्डों की स्थिति (1 अप्रैल, 2004 के आंकड़ों पर आधारित) भूगर्भ जल विभाग द्वारा प्रदेश में भूगर्भ जल उपलब्धता का विकासखण्डवार आंकलन 1 अप्रैल, 2004 के आंकड़ों को आधार मानकर किया गया है, जिसमें जी0ई0सी0-97 के मापदण्डों का अनुपालन किया गया है। इस आंकलन/आगणन में विकासखण्डवार भूजल विकास की स्थिति ज्ञात करने हेतु जी0ई0सी0-97 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अपनायी गयी है। इसके अध्ययन के अन्तर्गत प्रदेश के 820 विकास खण्डों में भूगर्भ जल विकास की स्थिति के आधार पर विकास खण्डों को निम्नानुसार वर्गीकृत/श्रेणीबद्ध किया गया है -
उक्तानुसार सूचीबद्ध अति दोहित व क्रिटिकल विकास खण्डों का जनपदवार विवरण इस प्रकार है-
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