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उत्तराखण्ड की कोशी को जीआईएस से मिलेगा पुनर्जन्म

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खोजे गए 14 रीचार्ज जोन और 1820 सहायक नाले, 25 साल के शोध के बाद आखिरकार मिल पाई सफलता

कोशी नदी उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है। कौसानी के निकट धारपानी धार से निकलने के बाद उत्तराखण्ड में इसकी 21 सहायक नदियाँ और 97 अन्य जलधार हैं। सहायक नालों के रूप में 1820 विलुप्त जल धाराएँ भी खोज ली गई हैं। इन्हीं के बूते करीब 40 वर्ष पूर्व यह 225.6 किमी लम्बी यात्रा करती थी। मगर स्रोतों व सरिताओं को दम तोड़ते जाने से अब उत्तराखण्ड में मात्र 41.5 किमी क्षेत्रफल में सिमट कर रह गई है। कोशी जलागम की ऐसी ही 49 सहायक नदियाँ भी हैं, जो लगभग सूख चुकी हैं।

उत्तराखण्ड में बहने वाली गंगा की सहायक नदी कोशी को भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) की मदद से पुनर्जन्म मिल सकेगा। उत्तराखण्ड सूचना विज्ञान केन्द्र के निदेशक प्रो. जीवन सिंह रावत ने 25 वर्षों के सतत शोध के बाद नदी के 14 रीचार्ज जोन और 1820 सहायक बरसाती नालों की खोज की है। इन रीचार्ज जोन और बरसाती नालों को सक्रिय कर नदी को नया जीवन देने को खाका खींचा जा रहा है। यह पहली गैरहिमानी नदी होगी, जिसके उद्धार के लिये इस तरह की तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

प्रो. रावत बताते हैं कि विस्तृत स्थलीय सर्वेक्षण कर और ग्रामीणों से जुटाई गई जानकारी के आधार पर नदी का भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) विकसित किया जा सका। इसमें नदी के 14 रीचार्ज जोन व 1820 बरसाती नाले खोजने में सफलता मिली है। इनमें से अधिकांश अब विलुप्त होने की स्थिति में हैं। नदी इन्हीं से आने वाले पानी पर निर्भर रही है। बागेश्वर जिले के कौसानी के पास धारपानी से निकल यह अल्मोड़ा में कोशी घाटी की निर्माण करते हुए आगे बढ़ती है। नैनीताल जिले के रामनगर से होते हुए यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है।

यह है कार्ययोजना

बकौल प्रो. रावत गैरहिमानी कोशी को उसके उद्गम के आस-पास के 14 रीचार्ज जोन से निकलने वाले 1820 बरसाती नालों को जोड़कर फिर से रीचार्ज किया जा सकता है। इसका डाटाबेस तैयार है। सबसे पहले इन्हीं नालों को संरक्षित करना होगा। इन्हें यांत्रिक व जैविक विधि से रीचार्ज करना होगा ताकि ये भूजल भण्डार से जुड़ सकें। इससे बरसाती पानी को भूगर्भ तक पहुँचाया जा सकेगा।

225 किमी बहती थी, 41 पर सिमटी

कोशी नदी उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है। कौसानी के निकट धारपानी धार से निकलने के बाद उत्तराखण्ड में इसकी 21 सहायक नदियाँ और 97 अन्य जलधार हैं। सहायक नालों के रूप में 1820 विलुप्त जल धाराएँ भी खोज ली गई हैं। इन्हीं के बूते करीब 40 वर्ष पूर्व यह 225.6 किमी लम्बी यात्रा करती थी। मगर स्रोतों व सरिताओं को दम तोड़ते जाने से अब उत्तराखण्ड में मात्र 41.5 किमी क्षेत्रफल में सिमट कर रह गई है। कोशी जलागम की ऐसी ही 49 सहायक नदियाँ भी हैं, जो लगभग सूख चुकी हैं। इनके उद्गम स्थल और अधिकांश प्रवाह क्षेत्र वन विभाग के अधीन हैं। जहाँ इसके संवर्धन-संरक्षण की पूरी सम्भावनाएँ हैं। बता दें कि नेपाल से निकलकर बिहार में प्रलय मचाने वाली कोसी से इसका बस नाम ही मिलता है। उत्तराखण्ड में उथला, पथरीला और टूटा-फूटा प्रवाह क्षेत्र ही अब इसकी पहचान है।

25 वर्ष के शोध के बाद हम कोशी नदी के विलुप्त हो चुके 14 रीचार्ज जोन और 1820 सहायक बरसाती नालों की खोज करने में सफल हुए हैं। इन रीचार्ज जोन और नालों को सक्रिय कर नदी को नया जीवन देने का प्रयास किया जाएगा...प्रो. जीवन सिंह रावत, निदेशक उत्तराखण्ड सूचना विज्ञान केन्द्र

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