विश्व का सर्वाधिक विनाशकारी भूकम्प

28 Feb 2016
0 mins read

टंगशान में भूकम्प सर्वाधिक लोगों को मारने और घायल करने वाला, सर्वाधिक इमारतों, घरों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाने वाला और विश्व का सर्वाधिक महाविनाशकारी ऐतिहासिक भूकम्प साबित हुआ। अब तक दुनिया में जितने भी भूकम्प आये थे, किसी ने इतना विनाश नहीं किया। सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह थी कि इस भूकम्प के बाद जब दुनिया के अन्य देशों ने चीन के भूकम्प पीड़ितों की मदद के लिये हाथ बढ़ाए तो चीन की सरकार ने किसी से भी मदद लेने से इनकार कर दिया।

चीन के टंगशान शहर में 28 जुलाई, 1976 को तड़के तीन बजकर बयालीस मिनट पर महाविनाशकारी भूकम्प आया। चीन के इस औद्योगिक नगर की आबादी उस समय लगभग दस लाख थी। रिक्टर स्केल पर इस भूकम्प की तीव्रता 7.6 से लेकर 8.2 तक मापी गई थी। मुख्य भूकम्प के पन्द्रह घंटे बाद एक बार फिर भूकम्प आया और उसने भारी तबाही मचाई।

पहले आया भूकम्प लगभग 15 सेकेंड तक रहा। दोनों बार आये भूकम्पों से लगभग दो लाख तैंतालिस हजार लोग मारे गए और लगभग एक लाख पैंसठ हजार लोग आहत हुए। नगर का सात किलोमीटर का क्षेत्र पूरी तरह तबाह हो गया था।

भूकम्प की चपेट में आई सभी इमारतें जमींदोज हो गई थीं। जलापूर्ति करने वाले लगभग सभी वाटर पम्पिंग स्टेशन नष्ट हो गए थे। सीवेज पाइप फट गए थे।

भूकम्प के झटके बहुत दूर तक महसूस किये गए थे। बीजिंग और क्सियान नगर भूकम्प केन्द्र से बहुत दूरी पर स्थित है, लेकिन इन नगरों में भी भूकम्प के कारण कुछ मकानों को क्षति पहुँची। भूकम्प के झटके से जिन लोगों की नींद खुल गई थी, वे टंगशान के अधिकांश लोग भूकम्प की चपेट में आ चुके थे।

प्रशासन, पुलिस और सेना, सकुशल बचे नागरिक सभी एकजुट होकर लोगों को बचाने और सहायता करने में लग गए। मलबे से बहुत कम लोग ही जीवित बचे। क्योंकि टंगशान के ज्यादातर अस्पताल नष्ट हो चुके थे। घायलों को जब तक दूसरे शहरों में ले जाने की व्यवस्था की जाती, उनमें से अधिकांश दम तोड़ चुके थे।

मलबे के कारण नगर के सभी रास्ते बन्द हो चुके थे। घायलों को बाहर ले जाने में मुसीबत आ रही थीं। अगले पन्द्रह घंटों में लोग घायलों को चिकित्सा केन्द्रों तक पहुँचाने में सफल नहीं हो पाये, तो उन्होंने मलबे के ढेरों पर ही उपचार के लिये अस्थायी शिविर बनाए।

रात को सात बजे के आस-पास फिर भूकम्प आया। इसकी तीव्रता 7.1 थी। इस भूकम्प से बची-खुची इमारतें भी भरभरा कर ढह गईं, इसमें भूकम्प पीड़ित की सेवा में लगे लोग, पीड़ित, उनके परिजन और सम्बन्धी, उपचारकर्मी आदि इन इमारतों के नीचे दब गए। एक बार फिर मानव चीत्कारों से टंगशान गूँजा। फिर मौत का सन्नाटा पसर गया।

इस सन्नाटे को चीरकर अब दो तरह की आवाजें आ रही थीं, एक उनकी आवाजें जो पन्द्रह घंटे पहले मलबे में दबे थे। दूसरे, उनकी जो उन्हें बचाने में लगे थे जो दूसरे भूकम्प के झटके में मलबों में दब गए। मलबे से लोगों को निकालने के लिये लोग फिर से जुटने की हिम्मत जुटाते उससे पहले ही तेज बरसात शुरू हो गई।

राहत और बचाव कार्य शुरू नहीं हो सका। हजारों लोगों के शव भारी बरसात के कारण मिट्टी बह जाने से अपने आप ऊपर आ गए। बरसात थमने पर बचावकर्मी फिर जुटे। हेलीकाप्टरों से घायलों को अस्पतालों तक पहुँचाने का काम सबसे पहले किया गया। उसके बाद शवों के अन्तिम संस्कार का इन्तजाम किया गया।

टंगशान में भूकम्प सर्वाधिक लोगों को मारने और घायल करने वाला, सर्वाधिक इमारतों, घरों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाने वाला और विश्व का सर्वाधिक महाविनाशकारी ऐतिहासिक भूकम्प साबित हुआ। अब तक दुनिया में जितने भी भूकम्प आये थे, किसी ने इतना विनाश नहीं किया।

सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह थी कि इस भूकम्प के बाद जब दुनिया के अन्य देशों ने चीन के भूकम्प पीड़ितों की मदद के लिये हाथ बढ़ाए तो चीन की सरकार ने किसी से भी मदद लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, चीन ने भूकम्प पीड़ितों के लिये जो उपाय किये वे काफी नहीं थे।

दुनिया भर में चीनी सरकार के रवैये की निंदा हुई। लेकिन चीनी सरकार ने किसी की कोई परवाह नहीं की। चीनी सरकार का कहना था कि चीन के लोगों की सुरक्षा और सहायता का दायित्व चीन लोकतांत्रिक गणराज्य का है। अपने नागरिकों के लिये चीनी सरकार जो भी करती है, वह उसी को सही मानती है।

28 जुलाई 1976 को टंगशान में आया यह भूकम्प चीन के लिये एक बड़ा अभिशाप साबित हुआ। इसके कुछ दिन बाद चीन राष्ट्रपति चाऊ एन लाई की मृत्यु हो गई। शुहूदी भी अगले महीने नहीं रहे। इसके दो महीने बाद चीन के नेता याओ झेडांग का निधन हो गया और चीन की सत्ता चार महाबलियों के हाथ में चली गई। माओ के बाद हुआ गुओ फेंक ने सत्ता सम्भाली।

गुओं फेंग ने चैन यांग्वी के साथ टंगशान का हवाई सर्वे किया। इस निरीक्षण के बाद चीन में भूकम्प पीड़ितों की सही अर्थों में मदद की गई। हुआ गुओ फेंग ने इससे इतनी ख्याति अर्जित की कि चार महाबलियों से सत्ता छीनने में कामयाब हुए। हुआ गुओ फेंग ने टंगशान नगर को दोबारा बसाने की योजना बनाई। नगर की इमारतों को फिर बनाया गया। अब इस नगर में पहले की तरह दस लाख लोग रहते हैं। अब टंगशान को ‘चीन के बहादुरों का शहर’ कहा जाता है।

Tags


world's most destructive earthquake ever in hindi, most destructive earthquake in world history in hindi, most destructive earthquake wave in hindi, valdivia earthquake in hindi, largest earthquake in california in hindi, 1964 great alaska earthquake in hindi, largest earthquake in us in hindi, sumatra earthquake 2004 in hindi, tangshan earthquake 1976 in hindi, china earthquake 26 july 1976 in hindi, 1980 italy earthquake in hindi, tangshan earthquake movie in hindi, what caused the tangshan earthquake in hindi, taiwan earthquake 2010 in hindi, how did the tangshan earthquake happen in hindi, tangshan earthquake 2008 in hindi, earthquake in hindi wikipedia, essay on earthquake in hindi, project earthquake in hindi, information about earthquake in hindi language, essay on earthquake in hindi language, earthquake in hindi language, earthquake in hindi pdf, earthquake in hindi language wikipedia, essay on earthquake in hindi language, earthquake in hindi pdf, any poem on earthquake in hindi, earthquake depths in hindi, project earthquake in hindi, why earthquake occurs in hindi, bhukamp ke karan in hindi, information about earthquake in hindi language.

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading