यूरोप महाद्वीप

3 Apr 2018
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चार महाद्वीप
चार महाद्वीप


कक्षा 6 में हमने एशिया महाद्वीप और उसके कुछ देशों के बारे में पढ़ा था। यहाँ जो संसार का नक्शा दिया है, उसमें एशिया महाद्वीप के इलाके को पहचानो और उन देशों को भी जिनके बारे में तुम पढ़ चुके हो। चलो कक्षा 7 में संसार के दो और महाद्वीपों की सैर करने चलें- यूरोप और अफ्रीका महाद्वीपों की। इस पाठ में यूरोप महाद्वीप से शुरुआत करेंगे।

संसार के मानचित्र न. 1 में यूरोप और एशिया के इलाकों को जरा ध्यान से तो देखो। कौन सा महाद्वीप बड़ा है? इन दोनों की सीमा पर क्या है?

मानचित्र 1 चार महाद्वीपतुम नक्शे में यूराल नाम की पर्वतमाला को फैला हुआ देख रहे हो। इन पर्वतों के एक तरफ एशिया की जमीन है और दूसरी तरफ यूरोप की।

इस तरह नक्शे में दो बड़ी झीलें पहचानों, कैस्पियन सागर और काला सागर। ये इतनी विशाल है, कि इन्हें सागर ही कहा जाता है। इनका पानी भी खारा है, इसलिये इन्हें सागर कहना ही ठीक लगता है। कैस्पियन सागर और काला सागर से दक्षिण दिशा में चलें तो एशिया की जमीन पड़ेगी। इनसे उत्तर की तरफ चलें तो यूरोप का इलाका लगा जाएगा। नक्शा देखो- क्या यह बात सही है?

 

 

मानचित्र 2 देखकर खाली स्थान भरो-


यूरोप की दक्षिणी सीमा पर ........... सागर है। इसके पार अफ्रीका महाद्वीप है। यूरोप की पश्चिमी सीमा पर ........... महासागर है। इसके पार ........... महाद्वीप है। यूरोप की उत्तरी सीमा पर ........... सागर है। इसके पार ........... है।

तुम मानचित्र 3 में अटलांटिक महासागर, उत्तरी महासागर, भूमध्यसागर, केस्पियन व काला सागर के नाम सही जगह पर लिख कर उन्हें नीले रंग से रंग लो। ध्यान रहे कि सागरों के बीच पड़ने वाले द्वीपों पर कहीं नीला रंग न फैले।

मानचित्र 2 यूरोप के देशएक बात का और ध्यान रखना। स्पेन और अफ्रीका के बीच एक जगह पर भूमध्यसागर बहुत ही संकरा हो जाता है और अटलांटिक महासागर से मिल जाता है। सागर की इस संकरी गली में नीला रंग ध्यान से भरना।

यूरोप महाद्वीप का इलाका तो अब तुम अच्छे से पहचान गए होंगे। तो चलो मानचित्र-2 में देखो कि इस इलाके में कौन-कौन से देश हैं। क्या इनमें से किसी देश का नाम तुमने सुना हुआ है?

मानचित्र 3 तुम्हारे लिये ही खाली छोड़ा गया है। इसमें यूरोप के अलग-अलग देशों को अलग-अलग रंगों से रंग लो और उनके नाम भी लिखने की कोशिश करो।

मानचित्र 3 यूरोप के देश

 

 

यूरोप के पहाड़, मैदान और नदियाँ


आओ अब यूरोप के पहाड़ों, मैदानों, नदियों व खाड़ियों का चक्कर लगाएँ। इसमें मानचित्र 4 हमारी मदद करेगा।

यूरोप में कई ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं- अपने हिमालय जैसे वे भी हिम या बर्फ से ढके रहते हैं। आल्प्स और पिरेनीज पर्वतों को पहचानो।

पिरेनीज पर्वत किन देशों की सीमा पर है!
आल्पस पर्वत से निकलने वाली दो नदियों के नाम बताओ।
यूरोप के पूर्वी छोर पर कौन सा पर्वत है?
इनके अलावा तुम यूरोप में और कितनी पर्वत मालाएं ढूंढ सकते हो? ढूंढ कर उनके नाम भी लिखो।

यूरोप की एशिया से तुलना करें तो एक मजेदार बात दिखाई देती है। एशिया में कई बड़े-बड़े पठार हैं। पर ऐसे कोई बड़े पठार यूरोप में नहीं हैं। यूरोप के कई देशों में कुछ छोटे-छोटे पठार जरूर हैं। तुम चाहो तो कक्षा छठवीं की किताब में एशिया की बनावट का नक्शा देखकर जाँच लो कि यहाँ बताई बात ठीक है या नहीं।

यूरोप का एक बहुत बड़ा हिस्सा विशाल मैदानों से बना है। इन विशाल मैदानों में कई नदियाँ बहती हैं।

 

 

तुम इन नदियों को पहचानो और लिखो कि वे किस सागर में मिलती हैं-


नदी का नाम किस सागर में मिलती है

1. सीन
2. राइन
3. ओडर
4. पो
5. डैन्यूब
6. वेस्टुला
7. वोल्गा
8. नीपर
9. डॉन
10. बीना

 

 

 

 

यूरोप के प्रायद्वीप व खाड़ियाँ


यूरोप का मानचित्र देखो, कितना कटाफटा किनारा है। कहीं समुद्र यूरोप के भीतर तक घुस आया है। बाल्टिक सागर को देखो। कहीं यूरोप की जमीन सागरों के बीच तक फैली है। जैसे, इटली देश की जमीन को देखो। यह किस सागर में घुसी जा रही है? इटली जैसा इलाका तो तीनों तरफ से सागर से घिरा है। ऐसे इलाकों को प्रायद्वीप (यानी द्वीप के समान) कहा जाता है। स्कैन्डीनेविया भी एक प्रायद्वीप ही कहलाएगा है न! नक्शे में जाँच करो।

अब ग्रीस और फ्रांस देश में से प्रायद्वीप तुम अपने आप ढूंढो और उन्हें रंग लो।

तीन तरफ क्या, यूरोप के कुछ देश तो चारों तरफ से सागर से घिरे हैं, यानी द्वीप हैं। ग्रेट ब्रिटेन और आइसलैंड ऐसे ही द्वीप देश हैं। यूरोप में कुछ और द्वीपों को भी ढूंढों।

यूरोप के द्वीपों व प्रायद्वीपों के बहुत से लोगों के जीवन में समुद्र बहुत महत्त्व रखता आया है। यूरोप की खाड़ियों के कारण भी समुद्र लोगों के जीवन में बहुत महत्त्व रखता है। खाड़ियों में जहाजों को आने जाने व ठहरने में और व्यापार का सामान जहाजों पर लादने व उतारने में काफी आसानी रहती है।

खाड़ी समुद्र के उस हिस्से को कहते हैं जिसके तीन तरफ जमीन पाई जाती है। जैसे बाल्टिक सागर एक खाड़ी है। इसके तीन तरफ कौन से देशों की जमीन है? मानचित्र 2 की मदद से इस प्रश्न का जबाव ढूंढकर लिखो।

 

 

 

 

अब बिस्के की खाड़ी, बोथनिया की खाड़ी और एड्रियाटिक सागर को भी ढूंढ निकालो।

 

 

 

क्या काला सागर को भी खाड़ी माना जा सकता है? कारण बताओ!


मानचित्र 4 यूरोप की प्राकृतिक बनावट

 

यूरोप की जलवायु


अपने देश की तुलना में यूरोप बहुत ठंडा रहता है वहाँ गर्मी के मौसम में भी अपने देश जैसी तेज गर्मी नहीं पड़ती। ठंड के महीनों में बहुत से प्रदेशों में तो बर्फ गिरती रहती है।

 

 

यूरोप की जलवायु अपने देश से इतनी अलग क्यों है? चर्चा करो।


एशिया पढ़ते समय तुम जान गए थे कि जो हिस्से भूमध्यरेखा के पास हैं (जैसे इंडोनेशिया) वे साल भर गर्म रहते हैं और ज्यों-ज्यों हम पृथ्वी पर उत्तर या दक्षिण की ओर बढ़ते हैं सर्दी बढ़ती जाती है। यहाँ तक कि ध्रुवीय प्रदेशों में तो कई महीने बर्फ ही जमी रहती है।

मानचित्र में देखो यूरोप भूमध्यरेखा से कितनी दूर उत्तर में है?
क्या यूरोप भारत में भी उत्तर में है।
क्या यह जापान जितना उत्तर में है?
यूरोप के दो देश है, तार्वे व इटली। इनमें से किस देश की जलवायु ज्यादा ठंडी होगी? क्यों?

भूमध्यरेखा से दूरी के अलावा यूरोप की जलवायु पर एक और बात बहुत असर डालती है। यह है अटलांटिक महासागर और उस पर से चलने वाली हवाएँ।

 

 

 

 

बताओ यूरोप का पश्चिमी हिस्सा अटलांटिक महासागर के पास है या पूर्वी हिस्सा?


पश्चिी यूरोप में ठंड कम पड़ती है और पूर्वी यूरोप में बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ती है। उदाहरण के लिये पोलैंड और रूस में जितनी तेज ठंड पड़ती है उससे कम ठंड फ्रांस और इंग्लैण्ड में पड़ती है। जाड़े में रूस की नदियां जम कर बर्फ हो जाती हैं। रूस से लगा हुआ समुद्र तक जम कर बर्फ हो जाता है। लेकिन पश्चिमी यूरोप के तटीय प्रदेशों में ऐसा नहीं होता।

 

 

 

 

जाड़े में स्पेन और चेकोस्लोवाकिया में से कहाँ की जलवायु ज्यादा ठंडी होगी?


यूरोप की जलवायु में पूर्व व पश्चिम में जो फर्क है इसका क्या कारण हो सकता है, चलो पढ़ें।

 

 

 

 

ज्वार भाटा


अगर तुम समुद्र के पास नहीं भी रहते, तो भी किसी कहानी या कविता में, या किसी फिल्म में तुमने ज्वार भाटा की बात शायद सुनी होगी। जब समुद्र का पानी किनारे पे चढ़ आता है और नदियों के मुहाने में भर जाता है तो इसे ज्वार आना कहते हैं। समुद्र तट पर हर 24 घंटे में ऐसा दो बार होता है। पूर्णिमा व आमावस्या के दिन बहुत जोर से ज्वार आता है। ज्वार आने के 5-6 घंटे बाद पानी उतरने लगता है और किनारे पर सूखी धरती निकल आती है। इसे भाटा कहते है। भाटा भी एक दिन में दो बार आता है। उदाहरण के लिये यदि दिन में 12 बजे ज्वार आया तो शाम 6 बजे से भाटा शुरू हो जाता है। फिर रात के 12 बजे ज्वार आने लगता है और सुबह 6 बजे भाटा शुरू होता है।

जोर का ज्वार आने पर समुद्र में ठहरे जहाज किनारे के बहुत पास आ सकते हैं और टकराकर टूट भी सकते हैं। इसलिये बन्दरगाह ऐसी खाड़ियों में बनाए जाते हैं जहाँ पानी गहरा हो। गहरी खाड़ियों में ज्वार का पानी तेजी से नहीं चलता।

 

 

 

 

पछुआ हवाएँ व समुद्री धाराएँ


अटलांटिक महासागर की ओर से यूरोप में साल भर हवाएँ चलती रहती हैं। इन्हें पछुआ हवाएँ कहते हैं क्योंकि ये पश्चिम दिशा से आती हैं। (और ठीक से कहें तो ये हवाएँ दक्षिण पश्चिम दिशा से चल कर उत्तर पूर्व दिशा की ओर जाती हैं।) ये हवाएँ हल्की गर्म होती हैं। ये गर्म पछुआ हवाएँ सदियों में भी चलती रहती हैं।

मानचित्र 5 पछुआ हवाएँक्या तुमने ध्यान दिया है कि जाड़े और गर्मी के मौसम में अपने यहाँ भारत में हवा की दिशा बदल जाती है? अपने यहाँ साल भर एक ही दिशा से हवा नहीं चलती।

 

 

 

 

इस बात की अपने अनुभव के आधार पर चर्चा करो।


यूरोप की पछुआ हवाएँ गर्म क्यों होती हैं? इसका कारण यह है कि अटलांटिक महासागर का पानी भी साल भर कुछ गर्म बना रहता है। ऐसा क्यों? यह एक और ही मजेदार बात है, ध्यान से पढ़ो।

 

 

 

 

गर्म जलधारा


बड़े-बड़े सागरों में पानी स्थिर नहीं रहता। तुम जानते ही हो की समुद्र में लहरे उठती हैं। समुद्र में ज्वार भाटा भी आता है। पर एक और चीज भी होती है। समुद्रों में भी पानी धाराओं में एक जगह से दूसरी जगह चलता रहता है। समुद्र में ये धाराएँ नदियों की तरह हजारों किलोमीटर चलती हैं।

ऐसी एक जलधारा अटलांटिक महासागर में भी चलती है। यह धारा भूमध्यरेखा के आस-पास शुरू होती है। यह बहती हुई उत्तरी अमेरिका तक जाती है। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी किनारे के साथ बहती हुई यह धारा यूरोप की तरफ बढ़ती है और यूरोप के पश्चिमी तट से टकराती है।

मानचित्र 6 अटलांटिक महासागर में गर्म जलधाराअटलांटिक महासागर में चलने वाली यह जलधारा भूमध्यरेखा के पास के पानी को अमेरिका व यूरोप तक पहुँचाती रहती है। इस धारा में बहने वाला पानी गर्म होता है।

गर्म जलधारा के बहने के कारण अटलांटिक महासागर का पानी कुछ गर्म रहता है। चूँकि यह गर्म जलधारा साल भर चलती है तो सागर का पानी भी साल भर गर्म सा रहता है। यही कारण है कि अटलांटिक सागर पर से चलने वाली पछुआ हवाएँ भी गर्म रहती हैं। गर्म पछुआ हवाएँ और अटलांटिक सागर का गर्म पानी जाड़े में भी पश्चिमी यूरोप को बहुत ज्यादा ठंड नहीं होने देते। ठंड में भी यहाँ के बन्दरगाहों में जहाज आ जा सकते हैं क्योंकि पानी जम कर बर्फ नहीं बन पाता।

पूर्वी यूरोप को इनका लाभ क्यों नहीं मिल पाता? चर्चा करो।

 

 

 

 

खाली स्थान भरो:


भूमध्यरेखा के आस-पास समुद्र का पानी ...... रहता है। (गर्म, ठंडा, बर्फीला)
भूमध्यरेखा के इलाके से निकल कर एक जलधारा उत्तरी अमेरिका के ...... तट तक जाती है। (पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी)
यह जलधारा, ...... में चलती है। (अटलांटिक महासागर, भूमध्यसागर, काला सागर)
इस जलधारा में जो पानी यूरोप के तट तक पहुँचता है वह ...... होता है। (ठंडा, गर्म, बर्फीला)
अटलांटिक महासागर से यूरोप की ओर ...... पछुआ हवाएँ चलती हैं। (जाड़े में, गर्मी में, साल भर)
ये हवाएँ ...... होती हैं। (गर्म, ठंडी, बर्फीली)

 

 

 

 

पश्चिमी यूरोप में साल भर वर्षा


साल भर बहने वाली पछुआ हवाओं का सिर्फ यह असर नहीं है कि वे पश्चिमी यूरोप को गर्म रखती है पूरे साल चलने वाली इन हवाओं के साथ महासागर से बनने वाले बादल भी आते रहते हैं और अक्सर ही रिमझिम-रिमझिम बारिश करते रहते हैं। अपने देश में तो कुछ ही महीने मूसलाधार बारिश होती है। लेकिन पश्चिमी यूरोप में साल भर हल्की-हल्की बारिश होती रहती है। जैसे हम हरे-हरे सावन का और बरखा की ठंडी फुहारों का इन्तजार करते हैं वैसे ही पश्चिम यूरोप के लोग खुले आसमान और सूरज की चमकीली गुनगुनाती धूप का इन्तजार करते रहते हैं।

 

 

 

 

यूरोप भारत से कई बातों में बहुत अलग है। अभी तक तुम कौन-कौन से फर्क समझ पाए?


गर्म जलधारा का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यूरोप को यह मिलता है कि यह धारा मछलियों के लिये खूब सारी भोजन सामग्री भी बहाकर लाती है। इसमें असंख्य जीवाणु बहते हुए आते हैं। मछलियों की तो मौज रहती है। मछली यूरोप के लोगों का एक महत्त्वपूर्ण भोजन है और मछली पकड़ना एक बहुत बड़ा धंधा है।

 

 

 

 

यूरोप के लोग तथा समुद्री मार्ग


पश्चिमी यूरोप का कोई हिस्सा समुद्र से बहुत दूर नहीं है। एशिया के भीतरी भागों से तुलना करके देखो, वे हिस्से समुद्र से हजारों मील दूर हैं।

 

 

 

 

दीवार के या एटलस के मानचित्र को देखकर यूरोप के ऐसे छः नगरों के नाम लिखो जो समुद्र किनारे बसे हैं।


ऐसी हजारों बस्तियां यूरोप के तट पर सदियों से बसी हुई हैं। इनके लोग बहुत पुराने समय से समुद्री यात्राएँ करते रहे हैं और साहसिक व कुशल नाविक बन गए हैं। उन्होंने जहाज बनाने की कला का भी खूब विकास किया है। ये लोग मछली पकड़ने के अलावा दूसरी चीजों का व्यापार भी किया करते थे।

जानते हो पुराने समय से ही यूरोप के लोगों के लिये कहाँ का व्यापार बहुत महत्त्व रखता था? हाँ, भारत का चीन का और इंडोनेशिया का। इन देशों में उन्हें ऐसी चीजें मिलती थीं जो यूरोप में नहीं होती थीं- सूती व रेशमी कपड़े, हीरे जवाहरात, हाथी दांत, लौंग, कालीमिर्च, जायफल जैसे मसाले। वे सोने चांदी के सिक्के देकर यह समान खरीद कर ले जाते थे। पर जरा सोचो, वे भारत, चीन व इंडोनेशिया तक पहुँचते कैसे थे? नक्शे में यूरोप से भारत पहुँचने के दो रास्ते दिखाए हैं। उन्हें देखो।

यूरोप के व्यापारियों व नाविकों ने भारत पहुँचने के और भी रास्ते ढूंढने की कोशिश की। इसलिये क्योंकि नक्शे में दिखाए दोनों रास्तों पर अरब देश के व्यापारियों ने अधिकार कर लिया था।

 

 

 

 

क्या तुम नक्शे में यूरोप से भारत पहुँचने के और मार्ग ढूंढ सकते हो?


इटली देश का एक नाविक था- कोलंबस उसने सोचा कि पृथ्वी तो गोल है। अगर यूरोप से पूर्व दिशा में जाने वाले रास्ते अरब व्यापारियों ने हमारे लिये बन्द कर दिए हैं- तो क्या हुआ? हम पश्चिम दिशा में कोई रास्ता ढूंढ निकालेंगे। चूँकि पृथ्वी गोल है, हम अगर अटलांटिक महासागर में पश्चिम की दिशा में आगे बढ़ते जाएँ, बढ़ते जाएँ, तो कभी न कभी तो घूम कर चीन और भारत पहुँच ही जाएँगे।

 

 

 

 

तुम जरा ग्लोब लेकर कोलंबस के विचार को समझो। क्या उसका विचार ठीक था?


सन 1492 में कोलंबस तीन जहाज लेकर अटलांटिक महासागर की यात्रा पर निकला। तीन महीने यात्रा करने के बाद उसे जमीन दिखाई दी। वह बहुत खुश हुआ। उसे लगा कि वह भारत पहुँच ही गया है। पर, वास्तव में वह अमेरिका पहुँचा था।

मानचित्र 7 व्यापारियों के मार्गकालंबस के जरिए यूरोप के लोगों को अमेरिका का पता चला। फिर कई यूरोपीय लोग जाकर अमेरिका में बसने लगे और व्यापार भी करने लगे। यूरोप के पाल के जहाज अमेरिका की ओर बहने वाली हवाओं के साथ-साथ चलते हुए आसानी से वहाँ पहुँच जाया करते थे।

यह कौन सी हवाएँ थीं जो यूरोप से पश्चिम दिशा की ओर बहती थीं और जहाजों को यूरोप से अमेरिका की तरफ ले जाती थीं? क्या ये पछुआ हवाएँ थी? नहीं, वे तो यूरोप की तरफ बहती थीं। पता चला की यूरोप के दक्षिण में दूसरी हवाएँ हैं जो साल भर अमरीका की तरफ चलती रहती है। यानी वे पूर्व से पश्चिम की ओर चलती रहती है। इन्हें मानचित्र 7 में पहचानो। इनकी दिशा पछुआ हवाओं के विपरीत है। क्या यह बात सही है?

इन हवाओं का नाम ‘व्यापारिक हवाएँ’ पड़ गया। क्या इस बात का कारण सोच सकते हो?
लोग व्यापारिक हवाओं के जरिए यूरोप से अमेरिका तक जहाजों में पहुँचने लगे। अब बताओ कि अमेरिका से यूरोप वे कैसे लौटते होंगे?
क्या पाल के जहाज व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ अमेरिका से यूरोप जा सकते थे? कारण समझाओ।
पछुआ हवाओं के सहारे जहाज किस महाद्वीप से किस महाद्वीप की ओर जा सकते थे?
क्या पछुआ हवाओं के सहारे यूरोप से अमेरिका और अफ्रीका पहुँचा जा सकता था?

यूरोप के लोगों ने कई समुद्री मार्ग खोजे। उनसे वे अमेरिका ही नहीं अफ्रीका, भारत, व ऑस्ट्रेलिया तक पहुँचे और व्यापार शुरू किया। दुनिया भर के व्यापार से यूरोप के व्यापारियों ने बहुत धन कमाया और फिर अपने देश में उद्योग धंधों में धन लगाया। इसके बारे में तुम आगे के पाठ में पढ़ोगे।

 

 

 

 

अभ्यास के प्रश्न


1. अटलांटिक महासागर का यूरोप की जलवायु पर, लोगों के जीवन भर पर और काम धंधों पर बहुत असर रहा है। पूरे पाठ में से वो सारी बातें छांट कर लिखो जिन से यह असर पता लगता है।
2. नक्शे में ढूंढों और बताओ:

- वह देश जिसके चारों तरफ जमीन है - क) हंगरी या रोमानिया ख) पोलैंड या स्विटजरलैंड
- वे पर्वत जो काला सागर और भूमध्य सागर के बीच पड़ते हैं।
- वे पर्वत जो काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच पड़ते हैं।
- आर्कटिक सागर के तट पर कौन से देश हैं।
- क्या भूमध्य सागर से चल कर कोई जहाज अटलांटिक महासागर पहुँच सकता है? अगर हाँ तो कौन से रास्ते से?

 

 

 

 

4. खाली स्थान भरो:


- द्वीप जमीन का वह भाग है जिसके --- तरफ पानी है।
- प्रायद्वीप जमीन का वह भाग है जिसके --- तरफ पानी है।
- खाड़ी सागर का वह भाग है जिसके --- तरफ जमीन है।

5. गहरी खाड़ियों में बंदरगाह क्यों बनाए जाते हैं?

 

 

 

 

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