हिमालय की एक क्रायो-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग साइट
हिमालय की एक क्रायो-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग साइटस्रोत: https://www.icimod.org

जलवायु डेटा विश्लेषण और क्रायो-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग प्रशिक्षण

जलवायु डेटा विश्लेषण और क्रायो-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग पर केंद्रित एक सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की में 15 से 20 सितंबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा। आवेदन की अंतिम तारीख 31 जुलाई है।
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आयोजक: क्रायोस्फीयर एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र (C4S), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की – 247667, उत्तराखंड, भारत

पाठ्यक्रम के बारे में: 

बर्फ और हिमनदों (ग्लेशियर) पर निर्भर इलाकों पर जलवायु परिवर्तन का असर बहुत तेज़ी से हो रहा है। इन बदलावों को समझने और पानी के स्रोतों के टिकाऊ प्रबंधन के लिए इनका मॉडल-आधारित अध्ययन ज़रूरी है। 

जलवायु परिवर्तन के जल-चक्र पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करने के लिए अलग-अलग विषयों की जानकारी और बड़े पैमाने पर मौसम संबंधी डेटा की ज़रूरत होती है। यह डेटा मौसम केंद्रों, सैटेलाइट, मौसम मॉडलों और जलवायु मॉडलों में अलग-अलग फ़ॉर्मेट में मौजूद होते हैं। 

इन आंकड़ों को दृश्य रूप में (डेटा विज़ुअलाइज़ेशन) प्रदर्शित किया जाता है, ताकि उनमें मौजूद पैटर्न और असंगतियों का प्रारंभिक अवलोकन किया जा सके।

इस संदर्भ में डेटा मैनिपुलेशन, डेटा ऐसिमिलेशन, डेटा प्रोसेसिंग, मॉडलिंग, विज़ुअलाइज़ेशन और सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए  Python & R जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज द्वारा उपलब्ध कराई गई लाइब्रेरी और पैकेज काफ़ी मददगार साबित होते हैं। Python की Pandas और NumPy जैसी लाइब्रेरी और R के tidyverse व climate4R जैसे पैकेज की मदद से जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को समझना और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए साक्ष्य आधारित निर्णयों का समर्थन करना आसान हो जाता है।

ऊंचे और बर्फ़ीले इलाकों में जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को जलवैज्ञानिक स्थिरता के संदर्भ में समझना ज़रूरी हो गया है। इसले लिए बनाया गया SPHY  (Spatial Processes in Hydrology) मॉडल एक अत्याधुनिक, ओपनसोर्स, ग्रिड-आधारित हाइड्रोलॉजिकल मॉडल है जिसे जल-चक्र के प्रमुख घटकों को सिमुलेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन घटको में बर्फ़ और ग्लेशियर का पिघलना, मिट्टी में नमी की गतिशीलता और अपवाह उत्पादन शामिल है। 

इस प्रशिक्षण में जलवायु डेटा विश्लेषण के लिए R और क्रायोहाइड्रोलॉजिकल सिमुलेशन के लिए SPHY मॉडल के इस्तेमाल का व्यावहारिक अनुभव दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को वास्तविक स्थितियों में PSHY का इस्तेमाल करने के लिए ज़रूरी ज्ञान और कौशल देगा।

पाठ्यक्रम सामग्री: 

यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जलवायु विज्ञान, हाइड्रोलॉजी, और डेटा विश्लेषण पर संयुक्त रूप से काम करने वाले शोधकर्ताओं, पेशेवरों, और छात्रों के लिए तैयार किया गया है। पाठ्यक्रम के लिए प्रतिभागियों को राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) आना होगा। यहां NIH और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के व्याख्यान होंगे और वे प्रायोगिक अभ्यास भी कराएंगे। 

इन विशेषज्ञों का संबंधित विषय पर व्यापक अनुभव है। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों में R और Python जैसे प्रोग्रामिंग टूल्स की सहायता से जलवायु डेटा का इस्तेमाल और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करना है। साथ ही, प्रतिभागियों को हिम और ग्लेशियर से पोषित नदी घाटियों के लिए SPHY मॉडल सेट करना, उसे कैलिबरेट करना और वास्तविक परिस्थितियों में उसका उपयोग करना सिखाया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान, हिमालय और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़ी वास्तविक केस स्टडी पर भी चर्चा की जाएगी। 

इस कोर्स में विषय से संबंधित विविध पहलू शामिल होंगे। इसे चार मुख्य मॉड्यूल में विभाजित किया गया है।

मॉड्यूल 1: R का उपयोग करके जलवायु डेटा विश्लेषण

1. अवलोकित और खुले जलवायु डेटा स्रोतों का अवलोकन: ERA5, GPM, IMDAA, IMD, CMIP6, आदि।

2. जलवायु डेटा विश्लेषण और दृश्यीकरण के लिए प्रोग्रामिंग भाषाओं (R/पायथन) का परिचय

3. NetCDF, रास्टर, और टाइमसीरीज़ डेटा के साथ काम करना

4. जलवायु प्रवृत्ति, परिवर्तनशीलता विश्लेषण और स्थानिक प्लॉटिंग

मॉड्यूल 2: क्रायो-हाइड्रोलॉजी का परिचय

5. बर्फ़ और ग्लेशियर हाइड्रोलॉजी का अवलोकन

6. हिमालयी नदी बेसिनों के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग

7. जलवायु परिवर्तन का बर्फ़ और ग्लेशियरों पर प्रभाव

मॉड्यूल 3: SPHY का उपयोग करके क्रायोस्फ़ेरिक मॉडलिंग

8. SPHY मॉडल के घटक: बर्फ़, ग्लेशियर, आधार प्रवाह, अपवाह

9. इनपुट डेटा आवश्यकताएँ और प्रीप्रोसेसिंग

10. बेसिन परिसीमन और पैरामीटर असाइनमेंट

मॉड्यूल 4: SPHY मॉडलिंग पर व्यावहारिक प्रशिक्षण

11. बर्फ़-ग्लेशियर-प्रधान हिमालयी नदी बेसिन पर मॉडल सेटअप

12. बर्फ़ और ग्लेशियर पिघलने से बने अपवाहों का पृथक्करण

13. इन बेसिनों में बर्फ़ की चादर में परिवर्तनों का अनुमान

14. अवलोकित स्ट्रीमफ़्लो का उपयोग करके कैलिबरेशन और सत्यापन

तिथि और स्थान

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ऑनलाइन मोड में नहीं होगा। इसे 15 से 20 सितंबर, 2025 के दौरान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की में आयोजित किया जाएगा। (रुड़की, उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है और यह नई दिल्ली, देहरादून और हरिद्वार से सड़क और रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।)

प्रतिभागी:

यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम केवल भारत के निवासियों के लिए है। यह जल संसाधन क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करने वाले विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों के पेशेवरों (इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, और शिक्षाविदों), बदलती जलवायु के प्रभावों पर काम करने वाली एजेंसियों, विशेष रूप से बर्फ़/ग्लेशियर-पिघलन प्रभावित क्षेत्रों/बेसिनों में जल संसाधनों और उनके प्रबंधन से संबंधित लोगों के लिए है। शोधकर्ताओं और स्नातकोत्तर छात्रों को इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। 

पंजीकरण:

प्रति प्रतिभागी पंजीकरण शुल्क (GST सहित):

  • सरकारी/निजी संगठन/पीएसयू/एनजीओ और शिक्षाविद: - ₹10,000/-

  • छात्र: ₹8,000/-

शुल्क में पंजीकरण, पाठ्य सामग्री, सभी कार्यदिवसों पर नाश्ता, दोपहर का भोजन, और सत्र के दौरान चाय शामिल है। NIH अतिथि गृह में साझा आधार पर ठहरने की व्यवस्था संस्थान की दरों के अनुसार भुगतान के आधार पर की जाएगी, जो उपलब्धता के अधीन होगी। प्रतिभागियों को स्वयं या अपने संगठन की मदद से TA/DA की व्यव‍स्था करनी होगी। 

सभी प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम पूर्णता प्रमाणपत्र और पाठ्य सामग्री दी जाएगी। सीटें 30 प्रतिभागियों के लिए सीमित हैं और पंजीकरण शुल्क के भुगतान के बाद ‘प्रथम आगम, प्रथम पात्रता’ के हिसाब से दी जाएंगी। 

पंजीकरण के लिए इच्छुक प्रतिभागियों को ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म (यहाँ क्लिक करें) 31 जुलाई 2025 तक भरना होगा। आवेदन स्वीकार होने के बाद प्रतिभागियों को पंजीकरण शुल्क भुगतान के लिए आवश्यक सभी विवरणों के साथ एक पुष्टिकरण ईमेल भेजा जाएगा। ध्यान रहे कि पाठ्यक्रम में भागीदारी की पुष्टि पंजीकरण शुल्क प्राप्त होने के बाद ही होगी।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाइड्रोलॉजी (NIH) संस्थान के बारे में

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (NIH), रुड़की में प्रस्तावित है। NIH, जल शक्ति मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त सोसाइटी है। यह देश का प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जिसे 1978 में हाइड्रोलॉजी और जल संसाधन प्रबंधन के सभी पहलुओं पर व्यवस्थित और वैज्ञानिक कार्य करने, सहायता करने, प्रोत्साहन देने और समन्वय करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। वर्ष 1987 में इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) संगठन घोषित किया गया। यह संस्थान हाइड्रोलॉजी और जल संसाधनों में अनुसंधान की वैज्ञानिक और तकनीकी विश्वसनीयता के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया nihroorkee.gov.in पर जाएँ।

पाठ्यक्रम निदेशक:

डॉ. एम. के. गोएल

निदेशक, NIH, रुड़की – 247 667 (उत्तराखंड)

ईमेल: director.nihr@gov.in

पाठ्यक्रम संयोजक:

डॉ. सूरजीत सिंह

वैज्ञानिक ‘जी’ और हेड, सेंटर फॉर क्रायोस्फीयर एंड क्लाइमेट चेंज स्टडीज (C4S), NIH, रुड़की – 247 667 (उत्तराखंड)

ईमेल: surjeet.nihr@gov.in

पाठ्यक्रम समन्वयक:

डॉ. विशाल सिंह

वैज्ञानिक ‘डी’, C4S

NIH, रुड़की

फोन: 01332 249246

ईमेल: vishal18.nihr@gov.in

डॉ. सुनील गुरुर

वैज्ञानिक ‘डी’, C4S

NIH, रुड़की

फोन: 01332 249240

ईमेल: gurrapus.nihr@gov.in

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से संबंधित सभी पत्राचार पाठ्यक्रम समन्वयकगण के साथ ही करें।

इस बारे में विस्तार से जानने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हाइड्रोलॉजी की वेबसाइट पर जाएं।

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