कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi)

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कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 1. कम्पोस्ट - (पुं.) (वि.) - (अं.) कृषि वि. खेती में प्रयोग की जाने वाली वह खाद जिसमें प्रमुख रूप से कार्बन और खनिज पदार्थ रहते हैं तथा जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से तैयार की जाती है। टि. प्राय: सड़े-गले पौधों, पशुओं के मल इत्यादि को मिटटी में कुछ समय तक दबाकर यह खाद प्राप्‍त की जाती है। compost

खाद बनने के लिए गोबर आदि को सड़ाना पड़ता है, ऐसी भाषा हम बोलते हैं और ‘सड़ाना’ शब्द के साथ कुछ कमी का, बिगाड़ का भाव है। असल में उसे हम ‘सड़ाना’ नहीं, ‘पकाना’ कहेंगे, ‘गलाना’ कहेंगे जैसे कि अनाज पकाकर खाया जाता है।

कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 2. मैले से माने गये अनर्थ का मूल कारण यह है कि उसे चीन में कच्चा या अधपका ही उपयोग में लाया जाता होगा। यह हमने ऊपर देखा। किसी चीज का खाद के तौर पर उपयोग करने के पहले वह पूरी गली हुई याने पकी होनी चाहिए, यह बात आदमी प्राचीन काल से जानता आया है। गोबर के गलने के बाद ही खाद के तौर पर किसान उसका उपयोग करता है। गोबर आदि को ताजा देने के बजाय सड़ा-गलाकर देना अधिक उपयोगी है। यह बात जरा विचित्र तो लगती है क्योंकि और चीजें तो ताजी अच्छी होती हैं, जैसा कि हम अनुभव करते हैं, फिर खाद के संबंध में यह उल्टी बात क्यों? इसकी एक वजह तो यह है कि खाद बनने के लिए गोबर आदि को सड़ाना पड़ता है, ऐसी भाषा हम बोलते हैं और ‘सड़ाना’ शब्द के साथ कुछ कमी का, बिगाड़ का भाव है। असल में उसे हम ‘सड़ाना’ नहीं, ‘पकाना’ कहेंगे, ‘गलाना’ कहेंगे जैसे कि अनाज पकाकर खाया जाता है। दूसरी बात यह है कि ताजा कूड़ा या गोबर पौधों के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि उसे खेत में डालते ही कीटाणुओं की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है और वे भूमि से नाइट्रोजन को, जो कि पौधों की खुराक है, स्वयं खा जाते हैं। इस प्रकार पौधों के लिए नाइट्रोजन की कमी होने से फसलें कुछ समय के लिए कमजोर हो जाती हैं। साथ ही ताजे गोबर आदि में उष्णता अधिक होने से पौधे जल जाते हैं, खासकर हलकी भूमि में। इसके सिवा हानिकारक खर-पतवार के बीज और बिमारियों के कीटाणु खेत में पहुँच जाते हैं। दीमक और गोबरीले बढ़ जाते हैं। दूसरी जगह पर खाद बना-बनाकर खेत में डालने से भूमि की तैयारी और जुताई में बाधा नहीं पड़ती। गलने के बाद गोबर आदि का वजन कम हो जाने से ढोने में कम मेहनत पड़ती है। इन सब कारणों से यह जरूरी है कि कूड़ा आदि सड़ाने की क्रिया खेत के बाहर ही हो और खेत में सड़ी हुई चीज, अर्थात् पौधों के लिए पका-पकाया भोजन ही खाद के रूप में डाला जाय।

विज्ञान की प्रगति के साथ गोबर आदि को गलाकर खाद बनाने का शास्त्र भी ठीक-ठीक विकसित हुआ है। उसको कंपोस्टिंग कहते हैं। उससे बने हुए खाद को कंपोस्ट-मेन्युआर याने मिश्र-खाद या थोड़े में कंपोस्ट कहते हैं। ‘कंपोस्ट’ शब्द चल पड़ा है, इसलिए उसी का उपयोग करता हूँ। कंपोस्ट के माने हैं, जिन चीजों की खाद बन सकती है, उदाहरणार्थ पशु और मनुष्य के मल-मूत्र, घास-पात, तरकारी और फलों के छिलके, राख, कागज आदि चीजों की खास ढंग से खाद बनाना।

सड़ने या गलने की क्रिया का यह शास्त्रीय तरीका आज किसान को मालूम न होने से, चली आयी रूढ़ि के अनुसार वह घूरे पर गोबर आदि डालता है। और सालभर बाद खाद के तौर पर उसका उपयोग करता है। लेकिन आज ऐसा हो, तो भी मानव को इसका शास्त्र भी पहले ठीक-ठाक मालूम रहा होगा, ऐसा लगता है। प्रारंभिक रोमन लेखक मार्क्स केटो (ई.पू. 234-149) ने कम्पोस्टिंग की सिफारिश की है। ईपू. 40 में बानों ने खाद को उपयोग में लाने के पहले वह पूरा गला हुआ होना चाहिए और इसके लिए खाद का ढेर नमीयुक्त रखना चाहिए, इसकी ओर ध्यान खींचा था। खाद की खाइयाँ इस ढंग से बाँधनी चाहिए कि उनमें से नमी न सूख जाय। इस बात पर ई.स. 90 में कोल्युमल ने जोर दिया, साथ ही खाद के पूरा गलने के लिए ग्रीष्म-काल में उसको पलट देने की जरूरत भी उसने बतलायी। ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे पहले चीनी लोगों ने कंपोस्ट की पद्धति निकाली। वे लोग नहर की मिट्टी की तहें कचरे पर देकर कंपोस्ट करते आये हैं। नहर के पास ही वे कंपोस्ट करते हैं जिससे मिट्टी और पानी आसानी से ली जा सके।

विज्ञान की प्रगति के साथ गोबर आदि को गलाकर खाद बनाने का शास्त्र भी ठीक-ठीक विकसित हुआ है। उसको कंपोस्टिंग कहते हैं। उससे बने हुए खाद को कंपोस्ट-मेन्युआर याने मिश्र-खाद या थोड़े में कंपोस्ट कहते हैं। ‘कंपोस्ट’ शब्द चल पड़ा है, इसलिए उसी का उपयोग करता हूँ। कंपोस्ट के माने हैं, जिन चीजों की खाद बन सकती है, उदाहरणार्थ पशु और मनुष्य के मल-मूत्र, घास-पात, तरकारी और फलों के छिलके, राख, कागज आदि चीजों की खास ढंग से खाद बनाना। इसमें मामूली भिन्नता को लेकर कई भिन्न-भिन्न तरीके हैं। यहाँ पर आज जो तरीका अच्छा और अनुभव से सहूलियत का मालूम हुआ, उसी का वर्णन किया है।

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