स्थानीय निकायों में बच्चों की भागीदारी

Published on
2 min read

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के 15 पंचायतों में समर्थन संस्था ने वाटर एड एवं सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से बच्चों के वॉश अधिकार पर पंचायतों को संवेदनशील करने का कार्य किया है। इसमें गांव में पंचायत एवं अन्य स्थानीय संस्थाओं और समितियों के प्रतिनिधियों के सामने बच्चों के शामिल करते हुए बाल अधिकारों पर बाल संवाद आयोजित किया जाता है। इसमें बच्चे गांव, स्कूल, आंगनवाड़ी एवं घर से जुड़ी समस्याओं, खासतौर से पानी और स्वच्छता के मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं।त्रिस्तरीय पंचायतराज लागू होने से पंचायतों में वंचित समुदाय एवं महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं थी। पर जब संवैधानिक प्रावधानों के बाद चुनाव हुए तब बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाएं पंचायतों एवं नगरीय निकायों में जनप्रतिनिधि बनकर सामने आए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं की तरह ही समाज का एक ऐसा समूह है, जिसकी आवाज को कोई महत्व नहीं दिया जाता। यह समूह है बच्चों का। शाला में शौचालय, मध्यान्ह भोजन, आंगनवाड़ी एवं शाला में पेयजल की व्यवस्था, खेल का साफ मैदान, घर में एवं गलियों में सफाई, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि से जुड़ी समस्या का समाधान बच्चे अपनी प्राथमिकता के आधार पर कराना चाहते हैं, जिसे पूरा करने में पंचायतें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। बच्चों से जुड़ी समस्याओं के समाधान एवं उनकी जरूरतों के लिए बनाए जाने वाले नियमों, व्यवस्थाओं एवं कानूनों में बच्चों की सहभागिता का अधिकार दिए जाने को लेकर कई राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय संधियां एवं समझौते हुए हैं, पर उस पर अमल नहीं होता।बच्चों के मुद्दे पर कार्यरत चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेट्री ने भी अपने अनुभवों में पाया है कि बच्चों की सहभागिता से बच्चों से जुड़ी समस्याओं को समाधान करने में आसानी होती है।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के 15 पंचायतों में समर्थन संस्था ने वाटर एड एवं सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से बच्चों के वॉश अधिकार पर पंचायतों को संवेदनशील करने का कार्य किया है। इसमें गांव में पंचायत एवं अन्य स्थानीय संस्थाओं और समितियों के प्रतिनिधियों के सामने बच्चों के शामिल करते हुए बाल अधिकारों पर बाल संवाद आयोजित किया जाता है। इसमें बच्चे गांव, स्कूल, आंगनवाड़ी एवं घर से जुड़ी समस्याओं, खासतौर से पानी और स्वच्छता के मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। पंचायतें स्थानीय स्तर पर समाधान होनेवाली समस्याओं का समाधान करती हैं एवं बड़ी समस्याओं को संबंधित विभागों को प्रेषित करती हैं। इससे इन गांवों में अच्छी सफलता मिली है। इस तरह के प्रयासों को प्रदेश स्तर पर करने की जरूरत है, ताकि स्थानीय निकाय बच्चों की आवाज को भी विकास में शामिल कर सकें।

संबंधित कहानियां

No stories found.
India Water Portal - Hindi
hindi.indiawaterportal.org